नेपाल की राजनीति में खास स्थान रखने वाले पूर्व प्रधानमंत्री, भारत के एक विश्वसनीय मित्र और माओवादियों के साथ हुए ऐतिहासिक शांति समझौते के प्रमुख शिल्पी गिरिजा प्रसाद कोइराला का शनिवार को निधन हो गया.
नेपाल के पांच बार प्रधानमंत्री रह चुके 87 वर्षीय कोइराला पिछले कुछ माह से बीमार थे और उनके शरीर के कई अंगों ने काम करना बंद कर दिया था.
नेपाली कांग्रेस के उपाध्यक्ष गोपाल मान श्रेष्ठ ने बताया कि वयोवृद्ध राजनीतिज्ञ कोइराला का निधन स्थानीय समयानुसार 12 बज कर 10 मिनट पर उनकी बेटी और उप प्रधानमंत्री सुजाता कोइराला के निवास पर हुआ.
नेपाली कांग्रेस के अध्यक्ष कोइराला पिछले कई माह से बीमार थे. नेपाली कांग्रेस देश में सत्तारूढ़ सीपीएन. यूएमएल की एक मुख्य घटक है.
कोइराला राजनीतिक परिदृश्य में भारतीय नेतृत्व के करीबी समझे जाते थे.
पिछले कई माह से उनका स्वास्थ्य ठीक नहीं था. सुधार के लक्षण नजर आने के बाद कोइराला को बुधवार को मार्ती गंगा लाल हार्ट सेंटर से छुट्टी दे दी गई थी और तब से वह अपनी बेटी के घर पर थे. सुजाता विदेश मंत्री भी हैं.
पूर्व में, सुजाता के सलाहकार चिरंजीवी नेपाल ने बताया कि कोइराला को अतिसार हो गया था और वह कोमा में चले गए. पार्टी सूत्रों ने बताया कि कोइराला के रक्त में हीमोग्लोबिन का स्तर कम हो गया था और उन्हें श्वांस लेने में भी तकलीफ हो रही थी. उन्हें फेफड़ों की समस्या भी थी और उनके शरीर के कई अंगों ने काम करना बंद कर दिया था.
नेपाल में करीब एक दशक से चले आ रहे सशस्त्र संघर्ष को समाप्त कर माओवादियों को मुख्यधारा की राजनीति में लाने तथा शांति प्रक्रिया की अगुवाई में कोइराला की उल्लेखनीय भूमिका थी. करीब एक दशक के सशस्त्र संघर्ष में 16,000 से अधिक लोगों की मौत हो गई थी.
नेपाल को, 240 साल से चली आ रही राजशाही को दो साल पहले समाप्त कर एक हिंदू देश से एक गणराज्य में तब्दील करने में भी कोइराला की महत्वपूर्ण भूमिका थी.
श्रेष्ठ ने बताया कि कोइराला का अंतिम संस्कार रविवार को किया जाएगा.