इसरो के पूर्व प्रमुख और अंतरराष्ट्रीय स्तर के अंतरिक्ष वैज्ञानिक प्रो यू आर राव का निधन हो गया. राव को इस साल की शुरुआत में दिल की बीमारी की वजह से अस्पताल में भर्ती कराया गया था. उन्होंने देर रात 2.30 बजे अंतिम सांस ली. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भी उनके देहावसान पर दुख जताया. उन्होंने ट्विटर पर लिखा कि भारत के अंतरिक्ष प्रोग्राम में राव का योगदान कभी भुलाया नहीं जा सकेगा.
Saddened by demise of renowned scientist, Professor UR Rao. His remarkable contribution to India's space programme will never be forgotten.
— Narendra Modi (@narendramodi) July 24, 2017
राव को पूरे विश्व में उनके काम के लिए जाना जाता है. वे इसरो के कई सफल प्रक्षेपणों का हिस्सा रहे हैं. आर्यभट्ट से मंगल ग्रह के मिशन तक राव ने इसरो की कई परियोजनाओं पर काम किया है. आपको बता दें कि यू आर राव के नेतृत्व में ही 1975 में पहले भारतीय उपग्रह 'आर्यभट्ट' से लेकर 20 से अधिक उपग्रहों को डिजाइन किया गया और सफलता पूर्वक प्रक्षेपित किया गया. राव ने भारत में प्रक्षेपास्त्र प्रौद्योगिकी का विकास भी तेज किया, जिस वजह से 1992 में एएसएलवी का सफल प्रक्षेपण किया गया.
राव को उनके उत्कृष्ठ काम के लिए इस साल जनवरी में 'पद्म विभूषण' प्रदान किया गया था. पुरस्कार मिलने के बाद हेब्बर ने कहा था कि उन्होंने सोचा था कि ये पुरस्कार उन्हें 'मरणोपरांत' मिलेगा. इसके अलावा अंतरिक्ष विज्ञान में अहम योगदान के लिए भारत सरकार ने यू आर राव को 1976 में 'पद्म भूषण' से भी सम्मानित किया था.
उडुपी के एक छोटे से गांव आदमपुर में जन्मे प्रोफेसर राव भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम से सतीश शावन और विक्रम साराभाई के समय से जुड़े थे. 1984 से 1994 के बीच उन्होंने दस साल के लिए इसरो के अध्यक्ष के रूप में भी अपनी सेवाएं दीं.
स्पेस और रिसर्च का उनका ज्ञान बेजोड़ था. यही वजह है कि अपनी मृत्यु से पहले तक वे तिरुवनंतपुरम में भारतीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी संस्थान (IIST) के कुलपति के पद पर तैनात थे.