माओवादी हिंसा से निपटने को संप्रग-2 के एजेंडे की उच्च प्राथमिकता करार देते हुए सरकार ने मंगलवार को घोषणा कि वह इस बड़ी समस्या से निपटने के लिये समेकित दृष्टिकोण अपना रही है, जिसमें राज्य सरकारों को वाम विचारधारा वाले चरमपंथ से जुड़े विभिन्न मसलों के हल के लिये मदद दी जायेगी.
प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और संप्रग अध्यक्ष सोनिया गांधी ने संप्रग-2 सरकार के पहले साल के कामकाज की रिपोर्ट जारी की जिसमें कहा गया है, ‘सरकार ने वामपंथी उग्रवाद से निपटने के लिये सुरक्षा, विकास और जन धारणा जैसे क्षेत्र में समेकित दृष्टिकोण अपनाया है. वाम विचारधारा वाले चरमपंथ से जुड़े विभिन्न मसलों के हल के लिये राज्य सरकारों को मदद दी जायेगी.’
रिपोर्ट कहती है, ‘इनमें केंद्र, अर्धसैनिक बलों और कमांडो बटालियनों की व्यवस्था, उग्रवाद और आतंकवाद रोधी स्कूलों की स्थापना, राज्य पुलिस बल के आधुनिकीकरण की योजना के तहत प्रदेश के पुलिस बलों तथा उनके खुफिया तंत्रों का आधुनिकीकरण का उन्नयन करना, सुरक्षा संबंधी व्यय योजना के तहत इससे जुड़े खचो’ की प्रतिपूर्ति, वामपंथी उग्रवाद से प्रभावित राज्यों में विशेष बुनियादी ढ़ांचा योजना के तहत महत्वपूर्ण ढांचागत विषमताओं को दूर करना शामिल है.’
रिपोर्ट के मुताबिक, समेकित दृष्टिकोण में रक्षा मंत्रालय, केंद्र पुलिस संगठनों और पुलिस अनुसंधान और विकास ब्यूरो के माध्यम से राज्य पुलिस बलों के प्रशिक्षण में सहायता करना, गुप्तचर सूचनाओं का आदान प्रदान, सामुदायिक पुलिस व्यवस्था और नागरिक कार्रवाई में सहायता तथा विभिन्न मंत्रालयों की योजनाओं के जरिये विकास कार्य में सहायता करना भी शामिल है.
संप्रग-2 के कामकाज की रिपोर्ट में इस संदर्भ में वर्ष 2009-10 में 668.61 करोड़ रुपये की राशि जारी की गयी. इसमें राज्य पुलिस बलों के आधुनिकीकरण के लिये 578.61 करोड़ रुपये, सुरक्षा संबंधी व्यय के लिये 60 करोड़ रुपये तथा विशेष ढ़ांचागत योजना के तहत 30 करोड़ रुपये जारी किये गये हैं.
रिपोर्ट में बताया गया कि इसके अलावा राज्य पुलिस बलों के आधुनिकीकरण के लिये सभी राज्यों को 1,230 करोड़ रुपये जारी किये गये हैं. इससे पहले, रिपोर्ट जारी करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा, ‘नक्सलवाद की चुनौती से निपटते हुए हम ऐसी नीति अपनायेंगे जो जमीनी स्तर पर विकास की चिंताओं को ईमानदारी से दूर करे लेकिन साथ ही सरकार के शासन को पुरजोर तरीके से लागू करे.’