25 मई को छत्तीसगढ़ के बस्तर इलाके में हुए माओवादी हमले में घायल वरिष्ठ कांग्रेसी नेता विद्याचरण शुक्ल नहीं रहे. शुक्ल को तीन गोलियों लगी थीं और उनका गुड़गांव के मेदांता मेडिसिटी अस्पताल में इलाज चल रहा था.
शुक्ल को घायल होने के अगले दिन ही एयर लिफ्ट कर रायपुर से यहां लाया गया था. शुरुआत में शुक्ल की हालत में सुधार हुआ, मगर एक हफ्ते बाद ही यह फिर बिगड़ने लगी.इनफेक्शन के चलते उनके अंग काम करना बंद करने लगे. डॉक्टरों के मुताबिक मंगलवार दोपहर उनका देहांत हो गया.
विद्याचरण शुक्ल मध्य प्रदेश के पहले मुख्यमंत्री रविशंकर शुक्ल के छोटे बेटे थे. वह महज 29 साल की उम्र में महासमुंद से सांसद बने थे और उस वक्त सबसे कम उम्र के सांसद थे. उसके बाद शुक्ल इंदिरा कैबिनेट में कई पदों पर रहे. इमरजेंसी के दौरान इंद्र कुमार गुजराल को हटाकर शुक्ल को ही सूचना और प्रसारण मंत्री बनाया गया.
गौरतलब है कि माओवादियों ने छत्तीसगढ़ में परिवर्तन यात्रा निकाल रहे कांग्रेसियों पर हमला किया था. कांग्रेसी नेता सुकमा में एक रैली संबोधित कर लौट रहे थे, जब उन पर दरभा घाटी में हमला किया गया. इसमें छत्तीसगढ़ कांग्रेस के अध्यक्ष नंद कुमार पटेल, पूर्व मंत्री और सलमा जुडूम के प्रणेता महेंद्र कर्मा, पूर्व विधायक उदय मुदलियार समेत 27 लोग मारे गए थे. जबकि 31 घायल हुए. घायलों में विद्याचरण शुक्ल के अलावा विधायक कवासी लखमा भी थे.