scorecardresearch
 

मप्रः भिड़े विधायक, मार्शलों ने संभाला मोर्चा

मध्यप्रदेश विधानसभा के मानसून सत्र के दूसरे दिन मंगलवार को सदन में जबरदस्त हंगमा हुआ. सत्ता पक्ष और विपक्ष के विधायकों के बीच खींचतान तथा छीना-झपटी की स्थिति पैदा हो गई. स्थिति बिगड़ती देख मार्शलों को मोर्चा संभालना पड़ा.

Advertisement
X

मध्यप्रदेश विधानसभा के मानसून सत्र के दूसरे दिन मंगलवार को सदन में जबरदस्त हंगमा हुआ. सत्ता पक्ष और विपक्ष के विधायकों के बीच खींचतान तथा छीना-झपटी की स्थिति पैदा हो गई. स्थिति बिगड़ती देख मार्शलों को मोर्चा संभालना पड़ा.

कांग्रेस विधायकों ने इससे पहले विधानसभाध्यक्ष ईश्वर दास रोहाणी को उनके कक्ष से निकलकर सदन तक नहीं जाने दिया, जिसके कारण सदन की कार्यवाही 10 मिनट देरी से शुरू हुई और इसका संचालन पीठासीन अधिकारी ज्ञान सिंह को करना पड़ा.

विधानसभा में खींचतान तथा छीना-झपटी की स्थिति के कारण सदन की कार्यवाही बुधवार तक के लिए स्थगित कर दी गई. मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने घटना पर दुख जताते हुए इसे मध्य प्रदेश विधानसभा का काला दिन करार दिया. वहीं, विपक्ष के नेता अजय सिंह ने सरकार पर भ्रष्टाचार में लिप्त लोगों को संरक्षण देने का आरोप लगाया.

विधानसभा सत्र के दूसरे दिन की कार्यवाही शुरू होने से पहले ही कांग्रेस विधायक विधानसभाध्यक्ष के कक्ष के बाहर धरने पर बैठ गए. उन्होंने विधानसभाध्यक्ष के कक्ष से निकलकर सदन तक जाने का रास्ता ही रोक दिया, जिसके कारण वह सदन नहीं पहुंच सके.

Advertisement

पीठासीन अधिकारी ज्ञान सिंह ने प्रश्नकाल पूरा होने के बाद अन्य कार्यवाही शुरू की. इसी बीच कांग्रेस विधायक धरना छोड़कर सदन में पहुंच गए. चौधरी राकेश सिंह और कल्पना पारुलेकर ने शून्यकाल में अपनी बात रखने की कोशिश की, जिसे पीठासीन अधिकारी ने अनसुना कर दिया.

इससे आक्रोशित कांग्रेस के विधायक पीठासीन अधिकारी की कुर्सी तक पहुंच गए. तभी भाजपा के कुछ विधायक और राज्य के मंत्री भी वहां पहुंच गए. दोनों ओर से छीना-झपटी की स्थिति पैदा हो गई. ऐसे में मार्शलों को मोर्चा संभालना पड़ा. दोनों दलों के विधायकों की खींचतान के बीच पीठासीन अधिकारी ने सदन की कार्यवाही स्थगित कर दी.

ज्ञान सिंह द्वारा सदन की कार्यवाही स्थगित किए जाने के बाद विधानसभा की कार्यवाही फिर से शुरू हुई. इस बार पीठासीन अधिकारी के आसन पर केदार शुक्ला थे. इस दौरान भाजपा विधायकों ने कांग्रेस विधायकों के खिलाफ निंदा प्रस्ताव ध्वनिमत से पारित किया. कांग्रेस विधायकों का आरोप है कि सदन की कार्यवाही पूरे दिन के लिए स्थगित किए जाने के बाद संवैधानिक प्रक्रिया का उल्लंघन कर कार्यवाही फिर से शुरू की गई. लेकिन संसदीय कार्य मंत्री नरोत्तम मिश्रा ने इससे इंकार किया.

उधर, मुख्यमंत्री चौहान ने घटनाक्रम को मध्य प्रदेश विधानसभा का काला दिन करार देते हुए कहा कि वह सदन में नियम प्रक्रिया के तहत हर विषय पर चर्चा के लिए तैयार हैं, लेकिन विपक्ष चुनाव में मिली हार पर खीझ के कारण सदन का समय जाया कर रहा है.

Advertisement

वहीं, विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष अजय ने राज्य सरकार पर भ्रष्टाचार में लिप्त लोगों को संरक्षण देने का आरोप लगाते हुए कहा कि वह इस गंभीर विषय पर चर्चा से कतरा रही है. उन्होंने इससे भी इंकार किया कि विधानसभाध्यक्ष रोहाणी को कांग्रेस विधायकों ने उनके कक्ष से नहीं निकलने दिया.

उन्होंने कहा कि कांग्रेस के विधायक लगभग एक घंटे धरने पर बैठे रहे, लेकिन रोहाणी एक बार भी बाहर नहीं आए. मुख्यमंत्री चौहान व संसदीय कार्यमंत्री नरोत्तम मिश्रा आए तो उन्हें निकलने से नहीं रोका गया. वास्तविकता यह है कि विधानसभाध्यक्ष रोहाणी सरकार से मिलकर इस मुद्दे पर चर्चा कराना ही नहीं चाहते.

विधानसभाध्यक्ष रोहाणी ने विपक्ष के कृत्य को सोची समझी रणनीति का हिस्सा बताया. उनका कहना है कि कांग्रेस दिशाहीन हो चुकी है और वह सदन में चर्चा कराने की बजाय हंगामा कर रही है.

Advertisement
Advertisement