मध्यप्रदेश के नरसिंहपुर जिले में युवक कांग्रेस नेता और उसके साथी की वाहन से कुचलकर की गई हत्या पर विधानसभा में कांग्रेस ने हंगामा किया और हत्यारों को राजनीतिक संरक्षण हासिल होने का आरोप लगाते हुए बहिर्गमन किया.
विधानसभा में कांग्रेस के विधायक नर्मदा प्रसाद प्रजापति, नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह व उपनेता चौधरी राकेश सिंह ने ध्यानाकर्षण के जरिए नरसिंहपुर में युकां नेता मनोज चौकसे व उनके साथी बलराम राजपूत की हत्या का मामला उठाया. उनका सीधा आरोप था कि हत्या के आरोपियों में से एक सत्ताधारी दल के पूर्व विधायक जालम सिंह का बेटा व पूर्व सांसद प्रहलाद पटेल का भतीजा मोनी पटेल है, लिहाजा पुलिस उन्हें गिरफ्तार नहीं कर रही है.
कांग्रेस विधायकों ने चौकसे द्वारा पूर्व में जबलपुर के पुलिस महानिरीक्षक को दिए गए एक आवेदन का हवाला दिया और उसकी छायाप्रति भी लहराई. इस आवेदन में चौकसे ने वाहन से कुचलकर अपनी हत्या की आशंका जताई थी. साथ ही जिनसे उसे भय था उनका नाम भी उस आवेदन में है. चौकसे एक अपहरण के मामले का चश्मदीद था, लिहाजा उसे लगातार धमकियां दी जा रही थी.
कांग्रेस विधायकों ने सीधे तौर पर गृहमंत्री का आरोपियों को संरक्षण का आरोप लगाया. उनका आरोप है कि चौकसे की शिकायत पर दो माह बाद भी कार्रवाई नहीं हुई लिहाजा चौकसे व उसके साथी की ठीक वैसे ही हत्या की गई है, जिस तरह की उसने आशंका जताई थी. कांग्रेस विधायकों ने इस हत्याकांड की केंद्रीय जांच ब्यूरो से जांच की मांग की.
गृहमंत्री उमाशंकर गुप्ता ने सदन को भरोसा दिलाया कि किसी भी आरोपी को राजनीतिक संरक्षण नहीं है, जो भी आरोपी है उन्हें जल्दी पकड़ा जाएगा. दो माह पहले चौकसे द्वारा दिए गए आवेदन पर कार्रवाई किए जाने का गुप्ता ने हवाला दिया और कहा कि दो आरोपी गिरफ्तार भी किए जा चुके हैं. वहीं मृतकों के परिजनों ने जिन पर आशंका जताई है, उन पर भी मामला दर्ज कर गिरफ्तारी की जाएगी.
विपक्ष गृहमंत्री के जवाब से संतुष्ट नहीं हुआ और उसने गृहमंत्री के खिलाफ नारेबाजी करते हुए सदन से बहिर्गमन कर गया.