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राजस्थानः हार की हताशा से उबरने के लिए कांग्रेस का 'मास्टर प्लान'

लोकसभा चुनाव में नरेंद्र मोदी की प्रचंड लहर में राजस्थान में हार की हताशा में डूबी कांग्रेस ने अब बाहर निकलने और पार्टी कार्यकर्ताओं में नया जोश भरने के कवायद शुरू कर दी है. राजस्थान के उपमुख्यमंत्री और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष सचिन पायलट जहां गांव में जाकररात गुजार कर किसानों का हाल चाल जान रहे हैं और समस्याएं सुलझाने के लिए चर्चा कर रहे हैं. वहीं, पार्टी में नई जान फूंकने के लिए कांग्रेस जल्द ही 10 हजार से ज्यादा कार्यकर्ताओं और नेताओं को मलाईदार पद देने की योजना बना रही है. सूबे में राजनीतिक नियुक्तियां करनेकी दिशा में कांग्रेस कदम बढ़ा रही है.

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Congress President Rahul Gandhi
Congress President Rahul Gandhi

लोकसभा चुनाव में नरेंद्र मोदी की प्रचंड लहर में राजस्थान में हार की हताशा में डूबी कांग्रेस अब बाहर निकलने और पार्टी कार्यकर्ताओं में नया जोश भरने के कवायद शुरू कर दी है. राजस्थान के उपमुख्यमंत्री और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष सचिन पायलट जहां गांव में जाकररात गुजार कर किसानों का हाल चाल जान रहे हैं और समस्याएं सुलझाने के लिए चर्चा कर रहे हैं. वहीं, पार्टी में नई जान फूंकने के लिए कांग्रेस जल्द ही 10 हजार से ज्यादा कार्यकर्ताओं और नेताओं को मलाईदार पद देने की योजना बना रही है. सूबे में राजनीतिक नियुक्तियां करने की दिशा में कांग्रेस कदम बढ़ा रही है.

कांग्रेस को राजस्थान में दोबारा से खड़ा करने के लिए प्रदेश अध्यक्ष सचिन पायलट सक्रिय हो गए हैं. पहले उन्होंने दो दिन में तीन जिलों का दौराकर लोगों की समस्याएं सुनीं. इस दौरान पायलट ने राजस्थान के जालौर जिले के कसोला गांव में किसान के खेत में बनी झोपड़ी में रात्रि विश्राम किया और उन्हीं के साथ खाना खाया.

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पायलट ने इस दौरान उन्होंने किसानों का हाल जाना और समस्याओं को सुलझाने के लिए चर्चा की. इस चौपाल के माध्यम से पायलट ने ये संदेश देने की कोशिश की है वो जमीन से जुड़े नेता हैं और किसानों से उनका सीधा जुड़ाव है. इसी के साथ पायलट ने बाकी पार्टी के नेताओं को भी जनता के बीच रहने का दबाव बना दिया है. 

सचिन पायलट जहां जनता के बीच उतर चुके हैं. वहीं, सूबे में पार्टी को दोबारा से मजबूत करने लिए राजनीतिक नियुक्तियों की कवायद शुरू कर रही है, जिसके जरिए पार्टी के वफादार नेताओं और कार्यकर्ताओं को मलाईदार पद देने का प्लान है.

कांग्रेस राजस्थान में राजनीतिक नियुक्तियां दो स्तर पर करने वाली है. पहले फेज में जिला स्तरीय समितियों में और दूसरे फेज में प्रदेश स्तरीय समितियों में नियुक्तियां की जानी हैं. राजस्थान में कांग्रेस जिले स्तर की समितियों में 300 से ज्यादा नेताओं और कार्यकर्ताओं को मौका देने जा रही है. कांग्रेस विधायक की राय पर तरजीह दी जाएगी. इसके अलावा जहां कांग्रेस विधायक नहीं हैं, वहां पार्टी के हारे हुए नेताओं को महत्व दिया जाएगा.

राजस्थान में जिला स्तर पर समितियां हैं, जिनमें गैर सरकारी सदस्यों के पद खाली हैं. इनमें जिला वक्फ समिति, जिला सतर्कता समिति, बीस सूत्रीय कार्यक्रम क्रियान्वयन समिति, उपभोक्ता संरक्षण समिति, जिला जन अभाव अभियोग निराकरण समिति सहित अन्य जिला समितियों में नियुक्तियां होनी हैं. दिलचस्प बात यह कि सूबे की सत्ता में जिस पार्टी की सरकार होती है वह अपने कार्यकर्ताओं और नेताओं को तरजीह देती है.

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बता दें कि राजस्थान में गहलोत सरकार के आने के बाद पूर्ववर्ती बीजेपी सरकार के समय की गई सभी राजनीतिक नियुक्तियों को रद्द कर दिया गया था. उसके बाद करीब 6 महीने से प्रदेश से लेकर जिलों तक के बोर्ड, निगम और समितियों में गैर सरकारी सदस्यों के पद खाली पड़े हैं. ऐसे में गहलोत सरकार लोकसभा चुनाव के हार के बाद इस दिशा में कदम बढ़ा रही है. इसके जरिए कांग्रेस सियासी समीकरण साधने की कोशिश कर रही है.

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