राजस्थान में सरकार होने के बावजूद कांग्रेस को एक भी सीट पर जीत नहीं मिलने से वहां की राजनीति में संकट गहरा गया है और कांग्रेस के नेता ही बगावती मोड में दिखाई दे रहे हैं. इस बीच कांग्रेस को समर्थन दे रहे बीएसपी विधायकों की राज्यपाल से मुलाकात की चर्चा ने भी सियासत गरमी दी है. ऐसे में सवाल ये भी उठने लगे हैं कि क्या राजस्थान की राजनीति में कुछ उलटफेर हो सकता है. "/> राजस्थान में सरकार होने के बावजूद कांग्रेस को एक भी सीट पर जीत नहीं मिलने से वहां की राजनीति में संकट गहरा गया है और कांग्रेस के नेता ही बगावती मोड में दिखाई दे रहे हैं. इस बीच कांग्रेस को समर्थन दे रहे बीएसपी विधायकों की राज्यपाल से मुलाकात की चर्चा ने भी सियासत गरमी दी है. ऐसे में सवाल ये भी उठने लगे हैं कि क्या राजस्थान की राजनीति में कुछ उलटफेर हो सकता है. "/> राजस्थान में सरकार होने के बावजूद कांग्रेस को एक भी सीट पर जीत नहीं मिलने से वहां की राजनीति में संकट गहरा गया है और कांग्रेस के नेता ही बगावती मोड में दिखाई दे रहे हैं. इस बीच कांग्रेस को समर्थन दे रहे बीएसपी विधायकों की राज्यपाल से मुलाकात की चर्चा ने भी सियासत गरमी दी है. ऐसे में सवाल ये भी उठने लगे हैं कि क्या राजस्थान की राजनीति में कुछ उलटफेर हो सकता है. "/>
 

राजस्थान की हार से कांग्रेस में खलबली, क्या होगा कोई बड़ा उलटफेर?

राजस्थान में सरकार होने के बावजूद कांग्रेस को एक भी सीट पर जीत नहीं मिलने से वहां की राजनीति में संकट गहरा गया है और कांग्रेस के नेता ही बगावती मोड में दिखाई दे रहे हैं. इस बीच कांग्रेस को समर्थन दे रहे बीएसपी विधायकों की राज्यपाल से मुलाकात की चर्चा ने भी सियासत गरमी दी है. ऐसे में सवाल ये भी उठने लगे हैं कि क्या राजस्थान की राजनीति में कुछ उलटफेर हो सकता है.

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राजस्थान में कांग्रेस को 25 में से एक भी सीट नहीं मिली
राजस्थान में कांग्रेस को 25 में से एक भी सीट नहीं मिली

लोकसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी की प्रचंड जीत ने विरोधियों में खलबली मचा दी है. खासकर, मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस के अंदर हार का ज्यादा असर दिखाई दे रहा है. राष्ट्रीय स्तर पर जहां खुद पार्टी अध्यक्ष राहुल गांधी अपनी जिम्मेदारी छोड़ने के लिए अड़े हुए हैं, वहीं राज्यों में भी हालात तकरार वाले नजर आ रहे हैं. राजस्थान में सरकार होने के बावजूद कांग्रेस को एक भी सीट पर जीत नहीं मिलने से वहां की राजनीति में संकट गहरा गया है और कांग्रेस के नेता ही बगावती मोड में दिखाई दे रहे हैं. इस बीच कांग्रेस को समर्थन दे रहे बीएसपी विधायकों की राज्यपाल से मुलाकात की चर्चा ने भी सियासत गरमी दी है. ऐसे में सवाल ये भी उठने लगे हैं कि क्या राजस्थान की राजनीति में कुछ उलटफेर हो सकते हैं.

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ये सवाल इसलिए भी क्योंकि कांग्रेस के अंदर से तो बगावती सुर उठ ही रहे हैं. दूसरी तरफ बहुमत के मुहाने पर खड़ी कांग्रेस को समर्थन दे रहे विधायकों की राज्यपाल से मुलाकात की चर्चा ने भी इन आशंकाओं को बल दे दिया है. हालांकि, इस पूरे घटनाक्रम को कांग्रेस के अपने नेताओं ने ही जन्म दिया है.

गहलोत सरकार में मंत्री उदय लाल आंजना ने लोकसभा चुनाव में राजस्थान में बुरी हार के लिए टिकट वितरण पर सवाल खड़े किए हैं. यहां तक कि आंजना ने यहां तक कह दिया कि अशोक गहलोत के बेटे वैभव को जोधपुर लोकसभा सीट से चुनाव नहीं लड़ना चाहिए था. साथ ही उदय लाल का ये भी मानना है कि कांग्रेस को हनुमान बेनिवाल की पार्टी के साथ गठबंधन करना चाहिए था, जिससे बीजेपी ने गठजोड़ कर लिया.

उदय लाल के बयान के अलावा अशोक गहलोत और डिप्टी सीएम सचिन पायलट के बीच की दूरियों को भी कांग्रेस की हार से जोड़कर देखा जा रहा है. हालांकि, पार्टी इस बात से इनकार कर रही है.

बीएसपी विधायकों ने मचाई खलबली

सोमवार को बहुजन समाज पार्टी के 6 विधायकों के राज्यपाल से मिलने की खबर ने भी सियासी सरगर्मियों को हवा देने का काम किया. खबर आई है कि कांग्रेस सरकार को समर्थन दे रहे सभी बीएसपी विधायक शाम में मिलेंगे. हालांकि, बाद में बीएसपी विधायकों ने इस मुलाकात को रद्द कर दिया. राजभवन ने बताया कि यह मीटिंग विधायकों की तरफ से ही रद्द की गई है और इसका कोई कारण नहीं बताया गया है.

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हालांकि, बीएसपी विधायकों का साथ छोड़ना भी गहलोत सरकार के लिए मुसीबत खड़ी नहीं कर सकता है. 200 सीटों वाली राजस्थान विधानसभा में कांग्रेस के पास 100 सदस्य हैं. जबकि 6 बीएसपी विधायकों ने उसे समर्थन दिया है. इसके अलावा निर्दलीय विधायकों का भी गहलोत सरकार को समर्थन है. बता दें कि राजस्थान में कुल 13 निर्दलीय विधायक हैं. जबकि 6 अन्य हैं. वहीं, प्रमुख विपक्ष दल बीजेपी के पास महज 73 विधायक हैं.

ऐसे में भले ही गहलोत सरकार के तख्तापलट की संभावनाएं न के बराबर हों, लेकिन पांच महीने पहले राज्य की सत्ता पर काबिज होने के बाद कांग्रेस को 25 में से एक भी सीट नहीं मिलने से पार्टी नेताओं की तरफ से ही विरोधी स्वर उठने लगे हैं. यहां तक कि मंत्री कटारिया के इस्तीफे तक की भी चर्चा हो रही है. कांग्रेस की इस कलह पर बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष मदन लाल सैनी ने कहा कि कांग्रेस ने किसानों और युवाओं से झूठे वादे किए थे, जिसका असर लोकसभा चुनाव में देखने को मिला है.

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