यह प्रतिलेख भारतीय राजनीति में 'आपातकाल' की अवधारणा पर चर्चा करता है। इसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की 1975 के आपातकाल पर की गई टिप्पणियों का उल्लेख है, लेकिन मुख्य ध्यान कांग्रेस पार्टी के भीतर 'आंतरिक आपातकाल' के दावों पर है। वक्ता कांग्रेस में बोलने की स्वतंत्रता और आंतरिक लोकतंत्र की कमी पर प्रकाश डालता है।