अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव से पहले आज बेंगलुरु में विपक्ष की 'महाबैठक' हो रही है. इस बैठक में कांग्रेस के साथ 24 दल शामिल हो रहे हैं. इस बीच सूत्रों के हवाले से खबर आ रही है कि कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) और आम आदमी पार्टी (आप) सहित भाजपा विरोधी दलों के नए गठबंधन को अब संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (यूपीए) नहीं कहा जाएगा. सूत्रों ने इंडिया टुडे को बताया कि नया नाम मंगलवार को बेंगलुरु में विपक्ष की बैठक के दौरान तय होने की संभावना है.
तब सोनिया गांधी थी अध्यक्ष
यूपीए 2004 से 2014 तक दो कार्यकाल के लिए केंद्र में सत्ता में था और इसकी अध्यक्ष कांग्रेस की दिग्गज नेता सोनिया गांधी थीं.सूत्रों के मुताबिक, प्रस्तावित भाजपा विरोधी गुट का एक न्यूनतम साझा कार्यक्रम होगा और बैठक के दौरान राज्य-दर-राज्य आधार पर सीट बंटवारे पर चर्चा होगी. सूत्रों ने कहा कि अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव के लिए गठबंधन के लिए सामान्य न्यूनतम कार्यक्रम और संचार बिंदुओं का मसौदा तैयार करने के लिए एक उप-समिति का गठन किया जाएगा.
नए नाम पर बोले जयराम
बैठक को लेकर कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने कहा, '26 पार्टियां हैं. हम विभिन्न मुद्दों पर एकजुट होने की कोशिश कर रहे हैं. भविष्य के जो भी मुद्दे हैं उन पर चर्चा होगी. हम उन सबका समाधान करेंगे.'यूपीए की जगह नए नाम को लेकर पूछे गए सवाल पर जयराम रमेश ने कहा, 'चिंता मत करो. हम सारे फैसले लेंगे. मैं अभी इस बारे में नहीं बता सकता कि हम क्या चर्चा करेंगे क्योंकि यह सिर्फ कांग्रेस का मामला नहीं है. हम सब मिल बैठ कर फैसला करेंगे.'
मोदी के ख़िलाफ कौन होगा नेता, इसका जवाब देते हुए रमेश ने कहा, 'सोनिया गांधी सभी संसदीय बैठकों में थीं. उनकी मौजूदगी से विपक्ष की बैठकों को ताकत मिलेगी.' जेडीएस को आमंत्रण पर जयराम रमेश ने कहा कि आमंत्रण की कोई जरूरत नहीं है. जिस किसी में भी भाजपा के खिलाफ लड़ने का साहस है वह हमारे साथ आ सकता है.
विपक्ष की बैठक क्या होगा?
1. आज होने वाली बैठक में सामान्य न्यूनतम कार्यक्रम का मसौदा तैयार करने के लिए एक उपसमिति का गठन करना और 2024 के आम चुनावों के लिए गठबंधन के लिए चर्चा का मसौदा तय करना.
2. पार्टियों के संयुक्त कार्यक्रम की रूपरेखा तैयार करने के लिए एक उपसमिति का गठन करना, जिसमें रैलियां, सम्मेलन और आंदोलन शामिल हैं.
3. एक राज्य से दूसरे राज्य में सीट बंटवारे पर निर्णय लेने की प्रक्रिया पर चर्चा करना.
4. ईवीएम के मुद्दे पर चर्चा करना और ईसीआई को सुधारों का सुझाव देना.
5. गठबंधन के लिए एक नाम सुझाना.
6. प्रस्तावित गठबंधन के लिए एक साझा सचिवालय स्थापित करना.
18 जुलाई को शाम 4 बजे बैठक के बाद एक संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस होगी. 18 तारीख को मल्लिकार्जुन खड़गे के संबोधन से बैठक शुरू होगी.
सोनिया की डिनर पॉलिटिक्स
एक तरफ राहुल गांधी ने मल्लिकार्जुन खड़गे के साथ मोर्चा संभाल रखा है तो वहीं दूसरी तरफ सोनिया गांधी भी सक्रिय हो गई हैं. 18 जुलाई की बैठक में सोनिया गांधी भी शामिल होंगी. बैठक से पहले 17 जुलाई की रात सभी विपक्षी दलों के नेताओं को डिनर पर बुलाया गया है. बताया जाता है कि इस डिनर का आइडिया भी सोनिया गांधी का ही है.
पटना की बैठक में में शामिल हुए थे ये नेता
पटना में हुई महाबैठक में 15 दलों के 27 नेता शामिल हुए थे. इन नेताओं के नाम नीतीश कुमार (जेडीयू), ममता बनर्जी (एआईटीसी), एमके स्टालिन (डीएमके), मल्लिकार्जुन खड़गे (कांग्रेस), राहुल गांधी (कांग्रेस), अरविंद केजरीवाल (आप), हेमंत सोरेन (झामुमो), उद्धव ठाकरे (एसएस-यूबीटी), शरद पवार (एनसीपी), लालू प्रसाद यादव (राजद), भगवंत मान (आप), अखिलेश यादव (सपा), केसी वेणुगोपाल (कांग्रेस), सुप्रिया सुले (एनसीपी), मनोज झा (राजद), फिरहाद हकीम (एआईटीसी), प्रफुल्ल पटेल (एनसीपी), राघव चड्ढा (आप), संजय सिंह (आप), संजय राऊत (एसएस-यूबीटी), ललन सिंह (जेडीयू),संजय झा (जेडीयू), सीताराम येचुरी (सीपीआईएम), उमर अब्दुल्ला (नेकां), टीआर बालू (डीएमके), महबूबा मुफ्ती (पीडीपी), दीपंकर भट्टाचार्य (सीपीआईएमएल)तेजस्वी यादव (राजद), अभिषेक बनर्जी (एआईटीसी), डेरेक ओ'ब्रायन (एआईटीसी), आदित्य ठाकरे (एसएस-यूबीटी) और डी राजा (सीपीआई) हैं.
पहली और दूसरी बैठक के बीच कितने बदल गए राजनीतिक समीकरण?
पटना में हुई महाबैठक के करीब 25 दिन बाद दूसरी बैठक होने जा रही है. लेकिन इस दरमियान शरद पवार की पार्टी NCP की कहानी पूरी तरह बदल गई. शरद पवार के भतीजे अजित पवार बगावत कर महाराष्ट्र की एकनाथ शिंदे सरकार में शामिल हो गए. उनका दावा है कि उनके साथ एनसीपी के 40 विधायक हैं. इतना ही नहीं अजित पवार ने एनसीपी पर भी दावा ठोक दिया है. एनसीपी की ये लड़ाई चुनाव आयोग में पहुंच गई है.