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RSS और BJP के बीच सेतु का रोल निभाएंगे, जानें कौन हैं 12 साल में संघ से जुड़ने वाले अरुण कुमार

संघ ने यह बदलाव देश के 7 राज्यों में अगले साल 2022 में होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले लिया है, जहां बीजेपी सत्ता में है. उत्तर प्रदेश सहित छह राज्यों में जहां पार्टी की साख दांव पर है. गोपाल कृष्ण साल 2015 से समन्वय काम संभाल रहे थे, लेकिन अब अरुण कुमार के यह अहम जिम्मेदारी सौंपी गई हैं. ऐसे में कौन है अरुण कुमार जो अब संघ और बीजेपी के बीच सेतु का काम करेंगे? 

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अरुण कुमार
अरुण कुमार
स्टोरी हाइलाइट्स
  • अरुण कुमार को संघ ने नियुक्त किया समन्वयक
  • 12 साल की उम्र में आरएसएस से जुड़े थे अरुण
  • दिल्ली, हरियाणा और जम्मू-कश्मीर में प्रचारक रहे

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने अपने सह-सरकार्यवाह अरुण कुमार को बीजेपी समेत राजनीतिक मुद्दों के लिए संघ का समन्वयक नियुक्त किया है. संघ ने यह बदलाव देश के 7 राज्यों में अगले साल 2022 में होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले लिया है, जहां बीजेपी सत्ता में है. उत्तर प्रदेश सहित छह राज्यों में जहां पार्टी की साख दांव पर है. गोपाल कृष्ण साल 2015 से समन्वय काम संभाल रहे थे, लेकिन अब अरुण कुमार के यह अहम जिम्मेदारी सौंपी गई हैं. ऐसे में कौन है अरुण कुमार जो अब संघ और बीजेपी के बीच सेतु का काम करेंगे? 

आरएसएस के प्रचार प्रमुख सुनील आंबेकर ने संघ में बदलाव की पुष्टि करते हुए कहा कि आरएसएस में संयुक्त महासचिव बनाए गए अरुण कुमार को गोपाल कृष्ण की जगह समन्वयक बनाया गया है. उन्होंने कहा कि यह आरएसएस का एक नियमित संगठनात्मक फेरबदल है, जो पहले से तय था. 

चित्रकूट में आरएसएस के पूर्णकालिक कार्यकर्ताओं की चल रही बैठक में अरुण कुमार को समन्वयक बनाया गया है.  कृष्ण गोपाल संघ की दो प्रमुख शाखाओं के प्रभारी बने रहेंगे, लघु उद्योग भारती जो एमएसएमई क्षेत्र से संबंधित है और विद्या भारती, जिसे शिक्षा का जिम्मा सौंपा गया है. आरएसएस ने पश्चिम बंगाल के क्षेत्र प्रचारक प्रदीप जोशी को अखिल भारतीय सह संपर्क प्रमुख के रूप में भी प्रतिनियुक्त किया है. 

प्रचार प्रमुख का पद संभाल चुके हैं अरुण 

अरुण कुमार दिल्ली से हैं और पहले अखिल भारतीय प्रचार प्रमुख का पद संभाल चुके हैं. अरुण कुमार हरियाणा के प्रांत प्रचारक का पद भी संभाला और जम्मू-कश्मीर में काफी लंबा समय बिताया है. अनुच्छेद 370 को लेकर जागरूकता पैदा करने के अभियान को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका अरुण कुमार ने निभाई है. 

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12 साल की उम्र में संघ से जुड़े

अरुण कुमार मूल रूप से दिल्ली के रहने वाले हैं और उनका आरएसएस का केंद्र भी दिल्ली ही होगा. अप्रैल 1964 में पूर्वी दिल्ली के झिलमिल में जन्म लेने वाले अरुण कुमार आपातकाल के दौर में महज 12 साल की आयु में 1976 में आरएसएस से जुड़े. संघ की शाखा में जाना शुरू किया और साल 1982 में प्रचारक बने. इस दौरान वो जिला प्रचारक, विभाग प्रचारक व सह प्रांत प्रचारक का दायित्व संभाला. 

संघ के प्रचारक के तौर पर अरुण कुमार का केंद्र दिल्ली, हरियाणा व जम्मू-कश्मीर रहा. पिछले दिनों बेंगलुरु में संघ की बैठक में अखिल भारतीय सह संपर्क प्रमुख नियुक्त किए गए थे.  वर्तमान में वह अखिल भारतीय प्रचार प्रमुख का दायित्व संभाल रहे थे. इतना ही नहीं उनके भाई कपिल खन्ना भी संघ से जुड़े हैं और वह वर्तमान में विश्व हिंदू परिषद (विहिप) के दिल्ली प्रदेश अध्यक्ष का दायित्व संभाल रहे हैं. वहीं, अब अरुण कुमार के समन्वयक बनाकर संघ ने अहम जिम्मेदारी सौंपी है. संघ में यह कार्य साल 2015 में गोपाल कृष्ण संभाल रहे थे. 

विधानसभा चुनाव को ध्यान में रख संघ ने किया बदलाव 

संघ में यह बदलाव सात राज्यों में विधानसभा चुनाव से पहले आया है, जहां भाजपा सत्ता में है उत्तर प्रदेश सहित छह राज्यों में जहां पार्टी की साख दांव पर है. संघ और पार्टी दोनों इस धारणा को बदलने की तैयारी कर रहे हैं कि केंद्र और राज्यों में बीजेपी सरकार कोरोना महामारी की दूसरी लहर के लिए तैयार नहीं थी. आरएसएस ने अपने कार्यकर्ताओं के लिए विशेष प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित करने का भी निर्णय लिया है ताकि कोविड महामारी की तीसरी लहर के प्रकोप के मामले में लोगों और प्रशासन की सहायता की जा सके.

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आरएसएस के अखिल भारतीय प्रचार प्रमुख सुनील आंबेकर ने एक बयान में कहा कि कार्यक्रम में एक विशेष मॉड्यूल होगा जो कार्यकर्ताओं को आवश्यक सावधानियों के साथ माताओं और बच्चों को सहायता प्रदान करने में सक्षम बनाएगा. कोरोना के बीच आरएसएस की 39,454 शाखाएं देश भर में काम कर रही थीं और वह अपने कार्यकर्ताओं को कोरोना महामारी की संभावित तीसरी लहर के लिए सहायता कार्य करने के लिए राष्ट्रव्यापी प्रशिक्षण देगी. इस सहायता कार्य से 2.5 लाख स्पॉट तक पहुंचने का लक्ष्य था, जिसका प्रशिक्षण कार्य सितंबर तक पूरा कर लिया जाएगा. 

 

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