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वक्फ बिल, जनगणना में कास्ट काउंटिंग, वन नेशन-वन इलेक्शन... आने वाले संसद सत्र में सरकार के एजेंडे में क्या?

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई वाली सरकार के तीसरे कार्यकाल का पहला शीतकालीन सत्र शुरू होने में अभी काफी समय बाकी है लेकिन अभी से ही एजेंडे को लेकर बात होने लगी है. संसद के आगामी सत्र और उससे आगे के लिए सरकार के एजेंडे में क्या-क्या है?

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह (फाइल फोटो)
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह (फाइल फोटो)

लोकसभा चुनाव के बाद संसद के पहले शीतकालीन सत्र में अभी करीब दो महीने का समय बाकी है लेकिन अभी से ही संकेत मिलने लगे हैं कि यह सत्र सियासी गर्माहट से भरपूर हो सकता है. आगामी संसद सत्र और उसके आगे के लिए वक्फ बिल और वन नेशन-वन इलेक्शन जैसे मुद्दे सरकार के एजेंडे में हैं. वक्फ बिल संसद के आगामी सत्र में सदन पटल पर रखा जा सकता है.

गृह मंत्री अमित शाह ने मोदी सरकार 3.0 के सौ दिन पूरे होने पर प्रेस कॉन्फ्रेंस कर उपलब्धियां गिनाईं और आगामी एजेंडे को लेकर संकेत भी दे दिए. आइए जानते हैं कि आगामी संसद सत्र और उसके बाद के लिए सरकार के एजेंडे में क्या-क्या है?

वक्फ बिल

वक्फ कानून में संशोधन के लिए सरकार संसद के मॉनसून सत्र के दौरान दो बिल लेकर आई थी. विपक्षी पार्टियों ने इसके खिलाफ मोर्चा खोल रखा था तो वहीं एनडीए के घटक दल भी इसे विस्तृत चर्चा के लिए स्टैंडिंग कमेटी को भेजने की मांग कर रहे थे. यह बिल लोकसभा में पेश किए जाने के बाद जेपीसी को भेज दिया गया था. जगदंबिका पाल की अगुवाई में इसके लिए जेपीसी बनाई गई थी. जेपीसी की मैराथन बैठकों के बीच अमित शाह ने संकेत दिए हैं कि यह बिल आगामी सत्र में आएगा. उन्होंने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा, "वक्फ (संशोधन) विधेयक वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन और संरक्षण से जुड़ा है. आने वाले दिनों में इसे संसद में पारित करवाया जाएगा. विधेयक वक्फ संपत्तियों के दुरुपयोग को भी रोकेगा."

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जनगणना में कास्ट काउंटिंग

देश की राजनीति में जातिगत जनगणना का मुद्दा भी गर्म है. बिहार में आरजेडी के तेजस्वी यादव जातिगत जनगणना कराने को अपनी उपलब्धि बताते हुए बीजेपी को घेर रहे हैं, जातिगत जनगणना कराने के लिए केंद्र सरकार को मजबूर कर देने की बात कर रहे हैं. वहीं, हरियाणा में कांग्रेस ने अपने घोषणापत्र में जातिगत जनगणना कराने का वादा कर दिया है. अनुप्रिया पटेल की अपना दल (एस) से लेकर चिराग पासवान की लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) तक, खुलकर जातिगत जनगणना का समर्थन कर रहे हैं. संघ भी इसके लिए ग्रीन सिग्निल दे चुका है.

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ऐसे में माना जा रहा है कि सरकार अपने ओबीसी वोटबैंक को इंटैक्ट रखने के लिए आगे जातिगत जनगणना का दांव भी चल सकती है. अमित शाह ने यह कहा भी है कि 2021 से लंबित जनगणना बहुत जल्द शुरू होगी. जनगणना की तैयारियां शुरू हो गई हैं और जल्द ही इसे लेकर ऐलान कर दिया जाएगा. जनगणना में कास्ट काउंटिंग के सवाल पर उन्होंने कहा कि जब इसका ऐलान किया जाएगा, तब सभी जानकारियां सार्वजनिक कर दी जाएंगी. अमित शाह ने कास्ट काउंटिंग की हामी नहीं भरी तो इनकार भी नहीं किया.

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वन नेशन-वन इलेक्शन

वन नेशन-वन इलेक्शन को लेकर सरकार ने पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अगुवाई में एक कमेटी बनाई थी. कोविंद कमेटी ने अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंप दी है. मोदी कैबिनेट ने कोविंद कमेटी की रिपोर्ट को मंजूरी भी दे दी है. गृह मंत्री अमित शाह भी यह कह चुके हैं कि सरकार की योजना इसी कार्यकाल में वन नेशन वन इलेक्शन की व्यवस्था लागू करने की है. खुद पीएम मोदी भी स्वतंत्रता दिवस पर लाल किले की प्राचीर से राष्ट्र को संबोधित करते हुए वन नेशन वन इलेक्शन पर जोर दे चुके हैं. ऐसे में साफ है कि वन नेशन-वन इलेक्शन भी केंद्र सरकार के एजेंडे में शीर्ष पर है.
 

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