महाराष्ट्र की राजनीति में उद्धव ठाकरे पिछड़ते जा रहे हैं. हाथ से सत्ता गंवाने के बाद अब पार्टी बचाना भी उनके लिए चुनौती साबित हो रहा है. इस बीच उनको एक और बड़ा सियासी झटका लग गया है. लोकसभा स्पीकर ने राहुल शेवले को फ्लोर लीडर मान लिया है. मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने भी इसकी पुष्टि की है. आज ही शिंदे गुट के 12 सांसद लोकसभा स्पीकर से मिलने गए थे.
लोकसभा स्पीकर से मुलाकात के दौरान 12 सांसदों ने एक ज्ञापन भी सौंपा था. उसमें साफ कहा गया था कि उनके गुट के पास पूरा बहुमत है, वे लोग ही बाला साहेब ठाकरे के असल अनुयायी हैं. इसी वजह से मांग हुई थी कि राहुल शेवले को लोकसभा में पार्टी का फ्लोर लीडर माना जाए. इसके अलावा भावना गवाली को भी चीफ व्हिप बनाने की मांग हुई थी. सूत्रों के मुताबिक, लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने राहुल शेवाले को लोक सभा में शिवसेना के नेता के रूप में मान्यता दे दी है.
12 जनवरी 1988 में एटॉर्नी जनरल ने सुप्रीम कोर्ट में कहा था कि जब संसदीय दल का विभाजन होगा तो जिसके पास बहुमत है उसे मान्यता देनी चाहिए. यह दलबदल कानून के तहत नहीं आता है. 2021 में लोक जनशक्ति पार्टी के विवाद में दिल्ली हाई कोर्ट का फैसला है जिसके पास बहुमत है उसे दिया जाएगा. स्पीकर के फैसले को सही ठहराते हुए चिराग पासवान की याचिका खारिज कर दी गई थी.
अब शिवसेना के मामले में चीफ व्हिप भावना गवली ने बैठक कर स्पीकर को कहा कि वे लोग राहुल शेवाले को नेता चुन रहे हैं. इसके बाद स्पीकर ने कानूनी सलाह ली और सभी 12 सांसदों के दस्तखत वेरीफाई किए. इसके बाद राहुल शेवाले को शिवसेना के नेता के रूप में मान्यता दी.
अमित शाह से मिले शिंदे
राजधानी दिल्ली में आज महाराष्ट्र की सियासत की वजह से राजनीतिक तापमान ज्यादा रहा. मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात की. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से भी शिंदे गुट के सांसद मुलाकात कर सकते हैं. खबर तो ये भी है कि एकनाथ शिंदे शिवसेना पर अपनी पकड़ मजबूत करने के लिए चुनाव आयोग का दरवाजा खटखटा सकते हैं. ऐसे में सत्ता परिवर्तन होने के बाद भी महाराष्ट्र की राजनीति में सियासी हलचल जारी है.
इस सियासी हलचल का असर ये रहा है कि अब उद्धव ठाकरे और ज्यादा तल्ख अंदाज में बयानबाजी करने लगे हैं. मंगलवार को ही उन्होंने वर्तमान स्थिति के लिए बीजेपी को जिम्मेदार बता दिया. उन्होंने कहा कि वो (बीजेपी) मुर्गा लड़ा रहे हैं. इस लड़ाई में जब एक मुर्गा मर जाएगा तब वो दूसरे मुर्गे को मार कर शिवसेना खत्म कर देंगे. इस तरह उनकी मंशा पूरी हो जाएगी. उद्धव तो यहां तक मानते हैं कि उनकी पार्टी का कोई भी सदस्य गद्दार नहीं है, बल्कि बीजेपी ने उन्हें गुमराह कर अलग करने का काम किया है.
उद्धव ने इस बात पर भी जोर दिया है कि बीजेपी उनके तरकश के कितने भी तीर क्यों ना निकाल ले, लेकिन उन तीरों को चलाने वाला धनुष उनके पास ही रहने वाला है. इस एक बयान से उद्धव ने बीजेपी और शिंदे गुट को बड़ा संकेत देने का प्रयास किया है. अब ये संकेत जमीन पर स्थितियों को कितना बदलते हैं, ये तो समय बताएगा, लेकिन अभी के लिए उद्धव की चुनौतियां कम होने के बजाय बढ़ती जा रही हैं.
इसके ऊपर कल सुप्रीम कोर्ट में एक अहम सुनवाई होने वाली है. उस सुनवाई पर भी दोनों शिंदे और उद्धव खेमे की नजर रहने वाली है. कई मुद्दों पर बहस होगी, फैसले होंगे. उन फैसलों के आधार पर ही एकनाथ शिंदे और उद्धव ठाकरे आगे की रणनीति पर काम करने वाले हैं.