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नर्वस नाइंटीज का शिकार हुई कांग्रेस, BJP 240 सीटें लेकर भी नर्वस!

क्रिकेट का नर्वस नाइंटीज पॉलिटिक्स में भी आ गया. 2024 के चुनाव नतीजे को देखें तो इस बार ऐसा कांग्रेस ने अपना परफॉर्मेंस तो सुधारा लेकिन वो 100 साइकोलॉजिकल बैरियर को नहीं तोड़ पाई और 99 पर ही सिमट गई. बीजेपी इस बार एनडीए की छतरी तले सरकार तो जरूर बना रही है लेकिन वो अपने दम पर बहुमत हासिल नहीं कर पाई है और सत्ता का ये समीकरण उन्हें कदम-कदम पर नर्वस फील कराता रहेगा.

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18वीं लोकसभा एनडीए फिर सरकार बना रही है.
18वीं लोकसभा एनडीए फिर सरकार बना रही है.

बिहार में इसको कहते हैं 'नर्भसा' जाना. ऐसा तब होता है जब व्यक्ति अपना लक्ष्य हासिल करते-करते रह जाता है. क्रिकेट में सचिन तेंदुलकर के साथ ऐसा कई बार हुआ है. ठीक ऐसा ही इस बार कांग्रेस और बीजेपी दोनों के साथ हुआ. कांग्रेस तो 100 सीटें भी हासिल नहीं कर पाई और 99 पर पहुंचकर 'नर्वस नाइंटीज' का शिकार हो गई. 

जबकि बीजेपी मंगलवार (मतगणना वाले दिन) दिन भर इस बात को लेकर नर्वस रही कि उसे अकेले बहुमत मिल पाएगा या नहीं. कल दिन भर बीजेपी की टैली 240 से 245 के बीच हिचकोले खाती रही. इसके साथ ही बीजेपी नेतृत्व की सांसें भी अटकी रहीं. आखिरकार बीजेपी अपने दम पर उतनी सीटें हासिल नहीं कर पाई ताकि वो खुद सरकार बना ले. 

जनादेश 2024 को देखें तो कांग्रेस सत्ता हासिल करना तो दूर, सियासत की पिच पर सेंचुरी भी नहीं ठोंक पाई और नर्वस नाइंटीज का शिकार हो गई. चुनाव आयोग के नतीजों के अनुसार इस लोकसभा चुनाव में कांग्रेस अकेले दम पर 99 सीटें ही जीत सकीं. याद रहे 2019 में कांग्रेस को 52 सीटें मिली थी. 

बात बीजेपी की. ज्यादा दिन नहीं हुए. तारीख थी 5 फरवरी 2024. लोकसभा में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लोकसभा में चुनावी नतीजों की जो तस्वीर खीचीं थी वो इस प्रकार थी. तब प्रधानमंत्री मोदी ने लोकसभा के पटल पर कहा था- 'अध्यक्ष जी, मैं आंकड़ों में नहीं पड़ता. मैं बस देश का मिजाज़ देख रहा हूं जो इस बार एनडीए को 400 सीट पार तो करवा के  रहेगा ही, अकेले भाजपा को 370 सीट मिलेंगी.'

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अब नतीजों को देखिए. एनडीए 400 और बीजेपी 370 तो दूर, बीजेपी अपने दम पर बहुमत का बेंचमार्क भी बीजेपी हासिल नहीं कर सकी. इस चुनाव में बीजेपी को 240 सीटें ही मिल सकी हैं. इस तरह बीजेपी अपने दम पर सरकार बनाने के लिए 272 का जो जरूरी आंकडा है उससे 32 सीटें दूर है. ये एक बहुत बड़ा फासला है. 

क्या होता है नर्वस नाइंटीज

दरअसल इस टर्म का इस्तेमाल क्रिकेट के लिए किया जाता है. आपने कई बार देखा-सुना होगा कि मैच के दौरान जब बल्लेबाज 90 रनों के स्कोर को पार कर लेता है, तो सबकी नजरें उसी पर टिक जाती है. आखिर आगे क्या होगा. क्या वो अपना सेंचुरी पूरा कर पाएगा. 

दरअसल बैटसमैन कई बार परफॉर्मेंस के इस दबाव में आ जाता है और 90 से 100 रन पूरा करते करते वो आउट हो जाता है. इसी को नर्वस नाइंटीज कहा जाता है. मास्टर ब्लास्टर सचिन तेंदुलकर वनडे करियर में सबसे ज्यादा बार नर्वस नाइंटीज का शिकार हुए हैं. वे अपने वनडे करियर में 18 बार नर्वस नाइंटीज का शिकार हुए हैं.  

कांग्रेस के लिए स्थिति तो बदली लेकिन कितनी?

2014 में जब नरेंद्र मोदी पहली बार देश के प्रधानमंत्री बने तो कांग्रेस मात्र 44 सीटों पर सिमट गई. स्थिति ऐसी हो गई कि कांग्रेस को नेता प्रतिपक्ष का पद पाने के लिए संघर्ष करना पड़ा. इसके बाद 2019 में भी कांग्रेस के लिए स्थिति कमोबेश एक जैसी ही बनी रही. इस चुनाव में पार्टी 52 सीटें जीत पाई. यानी कि 2 लोकसभा चुनावों में कांग्रेस के लिए स्थिति नहीं बदली. लिहाजा इस बार कांग्रेस के लिए करो या मरो जैसी स्थिति थी. 

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राहुल ने जनता से कनेक्ट स्थापित करने के लिए वही किया जो महात्मा गांधी से लेकर सियासत के दूसरे दिग्गज करते आए हैं. राहुल गांधी ने पदयात्राओं का सहारा लिया और देश को नाप दिया. राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा का असर तो हुआ, पार्टी की सीटें लगभग दोगुनी हो गई, लेकिन कांग्रेस 100 का मेंटल बैरियर पार नहीं कर सकी. 

हालांकि राहुल की चुनौतियां कम नहीं थी. बीजेपी की ओर से राम मंदिर का प्रचंड प्रचार, दिसंबर 2023 में राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की हार. ये ऐसे बिन्दू थे जहां कांग्रेस को काफी काम करना था. राहुल ने प्रचार शुरू किया और अपने एजेंडे पर डटे रहे.

नतीजों में देखें तो कांग्रेस की सीटें तो जरूर बढ़ गई लेकिन कांग्रेस क्रिकेट के 'नर्वस नाइंटीज' सिंड्रोम से उबर नहीं पाई. कांग्रेस ने इस चुनाव में इंडिया गठबंधन के लिए 295 का टारगेट सेट किया था. निश्चित रूप से टारगेट में सबसे बड़ी हिस्सेदारी कांग्रेस की होनी थी. लेकिन कांग्रेस की पूरी टीम 99 के स्कोर पर ही सिमट गई. 

हालांकि कांग्रेस को संतोष हो सकता है उसने बीजेपी के अश्वमेघ का घोड़ा रोक दिया है. 2024 का चुनाव इस बात के लिए जाना जाएगा बीजेपी 2019 के मुकाबले 63 सीटें नीचे होकर 240 सीटों पर आ गई है. 

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बीजेपी का 'नर्वस' फैक्टर

बीजेपी के लिहाज से देखें तो प्रचंड जनादेश का इंतजार कर रही पार्टी नर्वस होकर उस स्थिति में पहुंच गई है जहां उसे सरकार बनाने के लिए नीतीश कुमार और चंद्रबाबू नायडू का साथ लेना पड़ रहा है. अब 240 सीटों के साथ बीजेपी केंद्र में अटल-आडवाणी के दौर में पहुंच गई है. इसके अलावा ये पीएम नरेंद्र मोदी का गठबंधन सरकारों के साथ पहला प्रयोग होगा. 

बहुमत से 32 सीटें दूर बीजेपी को अब संसद में संभल कर चलना पड़ेगा. CAA को ही ले लें, बीजेपी प्रचंड बहुमत के दम पर जिस सहजता से ये बिल पास करवा ली थी अब संसद में वैसी स्थिति नहीं रहेगी. जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 को खत्म करना हो या फिर तीन तलाक की समाप्ति, बीजेपी ने बहुमत के दम पर ही बेधड़क इन बिलों का संसद से पास करवा लिया. 

लेकिन अब 240 सीटों के रूप में बीजेपी संसद में नर्वस फैक्टर का शिकार होती रहेगी. अल्पसंख्यकों से जुड़े मुद्दे पर कोई बड़ा फैसला लेने से पहले नरेंद्र मोदी को नीतीश कुमार से सलाह लेनी होगी. यूनिफॉर्म सिविल कोड, एनआरसी ऐसे ही मुद्दे हैं. इसके अलावा पब्लिक सेक्टर कंपनियों के विनिवेश, बैंकिंग सेक्टर में रिफॉर्म्स, किसान, रोजगार, क्षेत्रीय आरक्षण जैसे मुद्दों पर कोई भी निर्णायक कदम उठाने से पहले बीजेपी अब नर्वस रहेगी. बीजेपी को हमेशा ये ध्यान में रखना होगा कि इस पर सहयोगी दलों का क्या रुख रहता है. 

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प्रधानमंत्री मोदी को अब कोई भी बिल लाने से पहले अपने सहयोगियों को न सिर्फ विश्वास में लेना पड़ेगा बल्कि उनकी सहमति भी लेनी पड़ेगी. दीगर है कि गुजरात में बतौर मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी पूर्ण बहुमत की सरकार चला रहे थे, 2014 और 2019 में भी केंद्र में नरेंद्र मोदी पूर्ण बहुमत की ही सरकार चला रहे थे. और फैसले लेने के लिए वे सुप्रीम अथॉरिटी थे. उन्हें किसी हिचक या झिझक का सामना नहीं करना पड़ रहा था, लेकिन इस बार गठबंधन सरकारों के साथ उनका पहला प्रयोग होगा. 
 

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