आम आदमी पार्टी के वरिष्ठ नेता और दिल्ली के पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया और AI ग्रोक के बीच एक्स पर हुई शिक्षा पर संवाद ने एक बार फिर राष्ट्रीय बहस को जन्म दिया है. सिसोदिया ने दिल्ली में आम आदमी पार्टी सरकार द्वारा पिछले 10 वर्षों में किए गए शिक्षा सुधारों को साझा करते हुए एआई ग्रोक से यह सवाल पूछा कि क्या यह मॉडल देशभर में लागू किया जा सकता है?
इस डिजिटल संवाद के दौरान एआई ग्रोक ने दिल्ली मॉडल को भारत में शिक्षा क्रांति लाने में सक्षम करार दिया. ग्रोक ने कहा, 'शिक्षा राष्ट्र निर्माण में निवेश है. सरकारी स्कूल बंद करना किसी भी देश की प्रगति में बाधक है.' एआई ग्रोक ने यह भी कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) का लक्ष्य शिक्षा पर जीडीपी का 6% खर्च करना है, लेकिन केंद्र सरकार महज 4.6% ही खर्च कर रही है.
मनीष सिसोदिया ने दिल्ली में किए गए शिक्षा सुधारों की सात स्तंभों पर आधारित रूपरेखा साझा की जिसमें इन्फ्रास्ट्रक्चर सुधार, शिक्षकों का सशक्तिकरण, पाठ्यक्रम नवाचार, स्कूल नेतृत्व, आधारभूत साक्षरता, प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी और जवाबदेही जैसे पहलुओं को रखा गया. उन्होंने कहा, 'दिल्ली मॉडल कोई सरकारी स्कीम नहीं, लाखों परिवारों की उम्मीद है जिन्होंने फिर से सपने देखने शुरू किए हैं.'
दिल्ली के सरकारी स्कूलों में नीट और जेईई जैसी परीक्षाओं में सफलता को उदाहरण के तौर पर रखा गया. ग्रोक के अनुसार, 2015 से पहले दिल्ली के सरकारी स्कूलों से कोई भी छात्र जेईई एडवांस्ड पास नहीं करता था. लेकिन 2023 और 2024 में यह संख्या क्रमशः 720 और 1,414 तक पहुंच गई.
शिक्षा के निजीकरण पर दिया ये जवाब
बातचीत के दौरान एक अन्य अहम पहलू शिक्षा के निजीकरण और सरकारी स्कूलों को बंद करने की नीतियों को लेकर उठा. ग्रोक ने स्पष्ट कहा कि 2015 से 2022 के बीच देश में 1.5 लाख से अधिक सरकारी स्कूल बंद या विलय किए गए, जिसका तर्क कम नामांकन दिया गया. लेकिन असल वजह सार्वजनिक निवेश की कमी और निजीकरण की प्रवृत्ति रही है.
सिसोदिया ने कहा, 'जब तक शिक्षा सिर्फ नीति दस्तावेजों में 6% और बजट में 3.5% पर सिमटी रहेगी, तब तक भारत ज्ञान-आधारित समाज नहीं बन सकता. हमने दिल्ली में दिखाया है कि इच्छाशक्ति हो तो सरकारी स्कूलों में भी क्रांति संभव है.'
पंजाब मॉडल पर भी हुई चर्चा
बातचीत में पंजाब मॉडल की भी चर्चा हुई. ग्रोक ने कहा कि पंजाब ने दिल्ली के शिक्षा मॉडल से काफी कुछ सीखा है और 2025 में परख सर्वेक्षण में तीनों कक्षाओं में राष्ट्रीय स्तर पर शीर्ष प्रदर्शन किया है. वहीं गुजरात जैसे राज्यों की खराब स्थिति की ओर भी ध्यान दिलाया गया, जो तीनों कक्षाओं में देश के दस सबसे कमजोर राज्यों में शामिल है.
एआई ग्रोक ने वैश्विक उदाहरण देते हुए फिनलैंड, सिंगापुर और दक्षिण कोरिया जैसे देशों के सार्वजनिक शिक्षा में निवेश और शिक्षकों की भूमिका को भारत के लिए अनुकरणीय बताया. ग्रोक के अनुसार, भारत में अभी भी शिक्षकों की स्थिति और प्रशिक्षण की गुणवत्ता कई राज्यों में बेहद कमजोर है.
चर्चा में कई यूजर्स ने भी पूछे सवाल
एक्स पर हुई इस चर्चा में कई यूजर्स ने भी सवाल पूछे. बिहार, पंजाब और देशभर की शिक्षा व्यवस्था को लेकर यूजर्स की जिज्ञासाओं पर ग्रोक ने तथ्यपरक उत्तर दिए. दिल्ली और पंजाब की तुलना पर ग्रोक ने कहा कि दोनों राज्यों ने शिक्षा सुधार में गंभीर प्रयास किए हैं, लेकिन पंजाब में हाल के वर्षों में कुछ प्रमुख सूचकांकों में बेहतर प्रदर्शन हुआ है.
बातचीत के अंत में मनीष सिसोदिया ने सुझाव दिया कि अगर एआई ग्रोक के पास ऑडियो संवाद की क्षमता हो, तो इस तरह की चर्चाएं और व्यापक प्रभाव डाल सकती हैं. इस पर ग्रोक ने जवाब दिया कि वह फिलहाल टेक्स्ट-आधारित संवाद तक ही सीमित है, लेकिन शिक्षा पर बहस को आगे बढ़ाने के लिए तत्पर है.