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जीव-जंतु की गणना हो सकती है, बैकवर्ड क्लास की क्यों नहीं? जातिगत जनगणना पर मुखर हुए लालू

आरजेडी सुप्रीमो ने शुक्रवार को अपने एक नए ट्वीट के जरिए जातिगत जनगणना के मुद्दे को एक बार फिर से उठाया और सवाल पूछा कि जब पशु-पक्षी तथा जीव-जंतु की गणना हो सकती है तो आखिर विभिन्न पिछड़ी और अति पिछड़ी जातियों के लोगों की गणना क्यों नहीं?

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लालू प्रसाद यादव (फोटो- पीटीआई)
लालू प्रसाद यादव (फोटो- पीटीआई)
स्टोरी हाइलाइट्स
  • 'जीव-जंतुओं की गणना हो सकती है, तो पिछड़ी जातियों की क्यों नहीं?'
  • लालू, नीतीश, मायावती, अखिलेश जातिगत गणना के पक्ष में
  • केंद्र सरकार पर दबाव बना रही हैं क्षेत्रीय पार्टियां

जातिगत जनगणना के मुद्दे पर आरजेडी अध्यक्ष लालू प्रसाद लगातार केंद्र सरकार पर हमलावर हैं और सवाल खड़े कर रहे हैं कि आखिर नरेंद्र मोदी सरकार क्यों जातिगत जनगणना कराने के पक्ष में नहीं है?

आरजेडी सुप्रीमो ने शुक्रवार को अपने एक नए ट्वीट के जरिए जातिगत जनगणना के मुद्दे को एक बार फिर से उठाया और सवाल पूछा कि जब पशु-पक्षी तथा जीव-जंतु की गणना हो सकती है तो आखिर विभिन्न पिछड़ी और अति पिछड़ी जातियों के लोगों की गणना क्यों नहीं?

लालू ने ट्वीट करते हुए लिखा “जनगणना में विभिन्न पशु पक्षियों, जीव जंतुओं की गणना हो सकती है पर विभिन्न पिछड़ी अति पिछड़ी जातियों के मनुष्यों की नहीं”.

लालू ने आगे लिखा कि अगर जनगणना का उद्देश्य का विकास और उत्थान करना होता है तो ऐसे में अगर विभिन्न विपक्षी दल जातिगत जनगणना की बात कर रहे हैं तो इसमें क्या गलत है ?

 

“अगर जनगणना का उद्देश्य जन का उत्थान है तो हजारों जातियों की गिनती कर उन जातियों के जनों के जीवन में गुणात्मक उत्थान की बात करना कहां से गलत है?”, लालू ने ट्वीट करके आगे लिखा

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बता दें कि आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद और उनकी पार्टी आरजेडी जाति आधारित जनगणना की लगातार मांग कर रहे हैं. 

लालू के साथ-साथ बहुजन समाजवादी पार्टी की नेत्री मायावती और समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव भी देश में जातिगत जनगणना की बात लगातार उठा रहे हैं.

एनडीए के लिए मुश्किल की बात यह है कि खुद उनके घटक दल जनता दल यूनाइटेड जातिगत जनगणना कराने के पक्ष में हैं. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार देश में जातिगत जनगणना कराने के मुद्दे पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिलने के लिए उन्हें पत्र भी लिखा है.

 

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