पंडित दीनदयाल उपाध्याय बीजेपी के वैचारिक मार्गदर्शन और नैतिक प्रेरणा के स्रोत हैं. सन 1951 में जनसंघ की स्थापना पर वे संगठन मन्त्री बनाये गये थे. 1951 को हुए जनसंघ के पहले 'अखिल भारतीय सम्मेलन' की अध्यक्षता की थी. 1968 में जनसंघ के अध्यक्ष चुने गए। पीएम नरेंद्र मोदी ने भी मजदूरों के लिए शुरू की गई योजनाओं का नाम पंडित दीनदयाल उपाध्याय के नाम पर रखा है.
श्यामा प्रसाद मुखर्जी जनसंघ पार्टी के संस्थापक थे. डॉ. मुखर्जी जम्मू-कश्मीर को भारत का पूर्ण और अभिन्न अंग बनाना चाहते थे. संसद में अपने भाषण में डॉ॰ मुखर्जी ने धारा-370 को समाप्त करने की भी जोरदार वकालत की थी. 1953 में बिना परमिट लिये जम्मू कश्मीर चले गए. वहाँ उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया. जून 1953 में उनकी रहस्यमय परिस्थितियों में मृत्यु हो गयी थी.
पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी भाजपा के पहले अध्यक्ष थे। साल 1996 में 13 दिन की सरकार में पीएम रहे थे। वे भारत के पहले गैर कांग्रेसी पीएम थे, जिन्होंने पांच साल का कार्यकाल पूरा किया। अपने कार्यकाल के दौरान पोखरण परमाण परीक्षण, टेलिकॉम नीति और लाहौर बस सेवा जैसे फैसलों के लिए अटल बिहारी वाजपेयी को याद किया जाता है।
लालकृष्ण आडवाणी के संस्थापकों में से एक थे। वह तीन बार बीजेपी के अध्यक्ष पद पर रह चुके हैं। अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में वह डिप्टी पीएम भी रहे थे। साल 1990 में राम मंदिर आंदोलन के दौरान उन्होंने सोमनाथ से अयोध्या के लिए रथयात्रा निकाली।साल 1992 में बाबरी मस्जिद विध्वंस के बाद जिन लोगों को अभियुक्त बनाया गया है उनमें आडवाणी का नाम भी शामिल था। वर्तमान में वह बीजेपी के मार्गदर्शक मंडल के सदस्य हैं.
पीएम नरेंद्र मोदी वर्तमान में बीजेपी का सबसे बड़ा चेहरा हैं. उनके नेतृत्व में बीजेपी ने 2015 का लोकसभा चुनाव लड़ा और 282 सीटें जीती थी. अपने 3 साल के कार्यकाल में वह स्वच्छ भारत अभियान, जनधन योजना जैसे कार्यक्रम शुरू किए. हाल ही में उनके द्वारा नोटबंदी के फैसले ने देश-विदेश में काफी सुर्खियां बटोरी थी. इससे पहले वे गुजरात लगातार 5 बार मुख्यमन्त्री रहे थे.
अमित शाह बीजेपी के वर्तमान अध्यक्ष हैं. वे गुजरात के गृहमंत्री भी रह चुके हैं. 2014 चुनाव में वह यूपी के प्रभारी थे. इस चुनाव में यूपी से बीजेपी को 71 सीटें जीती थी. उनके नेतृत्व में बीजेपी में आज तक सबसे अधिक चुनावों में जीत हासिल की है. हालांकि अमित शाह का नाम इशरत जहां और सोहराबुद्दीन शेख फर्जी मुठभेड़ में उनका नाम आया था. बाद में उन्हें कोर्ट ने आरोप मुक्त कर दिया था.
प्रोफेसर बलराज मधोक भारतीय जन संघ के एक संस्थापक और अध्यक्ष थे. इसके अलावा वह छात्र संगठन अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के भी संस्थापक थे. मधोक ने जनसंघ की काम को ज्यादा लोकतांत्रिक बनाने की मांग उठाई थी. इसके अलावा उन्होंने पार्टी में आरआरएसएस के बढ़ते दखल का विरोध भी किया था. मधोक जनसंघ की जनता पार्टी से विलय के खिलाफ थे. इससे नराज होकर लालकृष्ण आडवाणी ने उन्हें पार्टी से निकाल दिया था. इसके बाद वह फिर कभी नहीं लौटे.
राजमाता विजयाराजे सिंधिया बीजेपी के संस्थापकों में से एक थीं. 1967 में मध्य प्रदेश में सरकार बनाने में उन्होंने बड़ी भूमिका निभाई थी. वह 1957 से 1991 तक आठ बार ग्वालियर और गुना से सांसद रहीं। राजमाता ने भाजपा को खड़ा करने के लिए अपने और बेटियों तक के गहने बेचकर चुनावों में गाड़ियां भेजीं थी.
कुशाभाऊ को भारतीय जनता पार्टी का पितृ पुरुष भी कहा जाता है. बीजेपी की संस्थापना के वक्त कुशाभाव ठाकरे पार्टी के सचिव और गुजरात, ओडिशा और मध्यप्रदेश के प्रभारी थे. वह 1998 से 2000 तक बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष भी रहे हैं। छत्तीसगढ़ में बीजेपी के संगठन को खड़ा करने का काफी श्रेय कुशाभाऊ पटेल को जाता है.
भैरव सिंह शेखावत बीजेपी के संस्थापक सदस्यों में से एक थे. वे तीन बार राजस्थान के मुख्यमंत्री रहे. वे अकेले ऐसे नेता थे जिन्होंने 1952 से राजस्थान के सभी चुनावों (1972 को छोड़कर) में जीत दर्ज की थी. उन्हें पुलिस और ब्योरोक्रेसी में सुधार के लिए जाना जाता है. भैरव सिंह शेखावत 2002 से 2007 तक भारत के उपराष्ट्रपति भी रहे थे.
डॉ. जोशी बीजेपी के संस्थापक सदस्यों में से एक थे. आगे चलकर वह भाजपा के अध्यक्ष भी बनें थे. 1996 में जब 13 दिनों के लिए बीजेपी की सरकार में गृह मंत्री रहे थे. इसके अलावा 15वीं लोकसभा में उन्हें पीएसी का चेयरमैन भी बनाया था.
विदेश मंत्री सुषमा स्वराज बीजेपी की शीर्ष महिला नेत्रियों में गिनी जाती हैं. वह दिल्ली की पहली महिला सीएम रही हैं. इसके अलावा वह 2009 से 2014 तक लोकसभा में विपक्ष की नेता रही. 2004 आम चुनाव के बाद उन्होंने घोषणा की थी कि यदि सोनिया गांधी पीएम बनी तो वह केश कटवाकर भिक्षु का जीवन बिताएंगी. फिलहाल वह सोशल मीडिया के जरिए देश-विदेश में लोगों की समस्या सुलझाने के चलते काफी पॉपुलर हैं.
प्रमोद महाजन बीजेपी के सबसे हाईप्रोफ़ाइल नेताओं में से एक थे. वह पार्टी के लिए चंदा जुटाने में माहिर नेता माने जाते थे. पीएम अटल बिहारी वाजपेयी के राजनीतिक सलाहकार से लेकर संचार मंत्री भी रहे। 2004 में समय से पहले आम चुनाव करवाने के फ़ैसले में प्रमोद महाजन की अहम भूमिका थी. इसी चुनाव में भाजपा के हाईटेक प्रचार कार्य की बागडोर उन्हीं के हाथों में थी. 2006 में उनके छोटे भाई प्रवीण महाजन ने उनकी गोली मारकर हत्या कर दी थी.
कल्याण सिंह को बतौर कट्टरपंथी हिन्दुवादी में जाना जाता है. 1991 में वे यूपी के सीएम रहे। बाबरी मस्जिद विध्वंस के वक्त यूपी के सीएम थे. विध्वंस की नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए 1992 को सीएम पद से इस्तीफा दे दिया था. इसके बाद 1997 से 1999 तक दोबारा यूपी के सीएम रहे थे. वर्तमान में वह हिमाचल प्रदेश और राजस्थान के राज्यपाल हैं.
रमन सिंह बीजेपी के उन चुनिंदा नेताओं में से हैं, जो लगातार तीन बार किसी राज्य के सीएम रहे हैं. उन्होंने 2003 से लेकर 2008 तक, फिर 2008 से 2013 तक, और 2013 से अबतक सीएम का कार्यभार संभाला था. रमन सिंह 1990 और 1993 में मध्यप्रदेश विधानसभा के सदस्य रहे। उसके बाद सन् 1999 में वे लोकसभा के सदस्य चुने गये। एनडीए सरकार में वह राज्य मंत्री भी रहे थे.
वसुंधरा राजे सिंधिया बीजेपी की नेत्री राजमात विजय राजे सिंधिया की बेटी है. वह राजस्थान की पहली महिला मुख्यमंत्री थी. वह 2003 से 2008 तक और फिर 2013 से वर्तमान तक दो बार राजस्थान की सीएम रही. इसके अलावा 1998-1999 में अटलबिहारी वाजपेयी मंत्रिमंडल में राजे को विदेश राज्यमंत्री रही थी.
केशुभाई पटेल दो बार बीजेपी से गुजरात के सीएम रहे थे. वे छह बार गुजरात विधानसभा के सदस्य रहे हैं. 2001 में भुज में आए भूकंप के बाद उन्होंने सीएम पद से हटा दिया गया था. जिसके बाद नरेंद्र मोदी सीएम बने थे. अगस्त 2012 में उन्होंने भाजपा से इस्तीफा दे दिया और नए राजनैतिक दल "गुजरात परिवर्तन पार्टी" की शुरुआत की.
शिवराज सिंह चौहान मध्यप्रदेश के लगातार तीन बार से सीएम हैं. 2005 में उन्हें बाबूलाल गौर की जगह राज्य का सीएम बनाया गया था। इसके अलावा वे 1991 से पांच बार विदिशा संसदीय क्षेत्र से भी लोकसभा के लिए चुने जा चुके हैं. वहीं शिवराज सिंह चौहान मध्यप्रदेश में भारतीय जनता पार्टी के महासचिव और अध्यक्ष भी रह चुके हैं.
साक्षी महाराज बीजेपी के सबसे बड़बोले नेताओं में से एक है. यह अक्सर अपने विवादित बयानों के चलते सुर्खियों में रहते हैं. साक्षी महाराज कभी हिंदुओं द्वारा ज्यादा से ज्यादा बच्चे पैदा करने, कभी गोहत्यारों को फांसी देने जैसे विवादित बयान देते रहे हैं.
शांता कुमार दो बार (1977 और 1990) हिमाचल प्रदेश के सीएम रहे चुके हैं. वह हिमाचल प्रदेश के पहले गैर-कांग्रेसी सीएम थे. शांता कुमार साल 1986 से 1990 तक बीजेपी के अध्यक्ष रहे थे. शांता केंद्र में अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व में बनी एनडीए सरकार में मंत्री भी रहे थे.
बंगारू लक्ष्मण साल 2000 से 2001 तक भाजपा अध्यक्ष थे. इसके अलावा वह 1999 से 2000 तक भारत सरकार में रेल राज्य मंत्री रहे। तहलका मैग्जीन द्वारा किए गए स्टिंग ऑपरेशन में उन्हें फर्जी रक्षा सौदों में लिप्त पाया गया. इस मामले में उन्हें चार साल जेल की सजा हुई थी.
प्रेम कुमार धूम बीजेपी से हिमाचल प्रदेश के दो बार सीएम रह चुके हैं. बतौर सीएम धूमल का पहला कार्यकाल 1998 से
2003 तक चला. वहीं उनका दूसरा कार्यकाल 2008 से 2012 तक चला. फिलहाल वह हिमाचल प्रदेश विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष हैं.