RBI के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन का मानना है कि अमेरिका-चीन के बीच चल रहे ट्रेड वॉर भारत के लिए फायदेमंद साबित हो सकता है, अगर भारत अपने पत्ते सही तरीके से चलता है तो. उन्होंने कहा कि ये वक्त निवेश को बढ़ावा देने और भारतीय निर्यातकों को समर्थन देने के साथ-साथ विशेष रूप से अमेरिका के साथ व्यापार वार्ता पर तेजी से आगे बढ़ने का अच्छा मौका है.
इंडिया टुडे टीवी के साथ एक इंटरव्यू में रघुराम राजन ने कहा कि दो वैश्विक दिग्गजों के बीच संघर्ष के कारण व्यापार जगत में अनिश्चितता भारत के लिए फायदेमंद हो सकता है, अगर देश अपने पत्ते सही तरीके से खोले तो. उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि यह वक्त अपनी कमर कसने और संयुक्त राज्य अमेरिका के साथ व्यापार वार्ताओं पर तेजी से आगे बढ़ने का अच्छा मौका है, ताकि निवेश को बढ़ावा दिया जा सके और भारतीय निर्यातकों का समर्थन किया जा सके.
उनकी ये टिप्पणी ऐसे वक्त में आई है जब पूरी दुनिया अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के टैरिफ के दौर से जूझ रही है. उन्होंने ट्रंप के टैरिफ कदम को कम वक्त में सेल्फ गोल करार देते हुए चेतावनी दी है कि अमेरिका अपनी अर्थव्यवस्था को पटरी से उतार सकता है, जैसे वह सॉफ्ट लैंडिंग की ओर बढ़ रहा था.
उन्होंने कहा, बेरोजगारी सच में अपने निचले स्तर पर थी और अब महंगाई उस स्तर तक नीचे आ रही थी, जहां फेड दरों को कम करने में सहज महसूस कर सकता था. टैरिफ अचानक एक झटका है.
सीमित हैं भारत की लिमिट
राजन ने कहा कि वियतनाम जैसे देश, जिनकी निर्यात निर्भरता अमेरिका पर अधिक है, को सबसे अधिक नुकसान होगा, जबकि भारत का जोखिम उसके आर्थिक आकार के कारण अपेक्षाकृत सीमित है.
उन्होंने कहा, 'अमेरिका को भारतीय निर्यात हमारे सकल घरेलू उत्पाद की तुलना में अपेक्षाकृत कम है... हां, इसका कुछ प्रभाव पड़ेगा और यह भारतीय निर्यातकों के लिए नुकसानदायक होगा, लेकिन इससे हमारी अर्थव्यवस्था और हमारी वृद्धि की प्रकृति में कोई महत्वपूर्ण बदलाव नहीं आएगा.'
हालांकि, उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि भारत को इस मौके को बर्बाद नहीं करना चाहिए. राजन ने कहा, "यह भारत के लिए अपने टैरिफ को कम करने का भी एक अवसर है- न केवल अमेरिका के लिए, बल्कि व्यापक रूप से." "हममें से कुछ अर्थशास्त्री पिछले कुछ सालों में भारत में टैरिफ में एक बार फिर से धीरे-धीरे वृद्धि को लेकर थोड़े चिंतित थे. ये टैरिफ कर करने का एक मौका है."
भारत के लिए उम्मीद की किरण
राजन ने बार-बार इस बात पर जोर दिया कि भारत को संरक्षणवाद से आगे बढ़कर अपने व्यापार और निवेश के माहौल में सुधार करना चाहिए. उन्होंने कहा, 'यह पूर्व की ओर देखने, उत्तर की ओर देखने का अच्छा समय है... आरसीईपी पर फिर से विचार करें, आसियान के साथ किसी भी तरह के संबंधों पर फिर से विचार करें, लेकिन जापान-चीन से भी संपर्क करें.'
उन्होंने चीन के साथ भी रिश्तों को सुधारने पर सुझाव दिया, जहां भारत का व्यापार घाटा काफी ज्यादा है.
उन्होंने ट्रंप की आक्रामक टैरिफ नीति की सिल्वर लाइन को भी हरी झंडी दिखाई. उन्होंने कहा, 'चीन से बाहर निकलने की इच्छुक कंपनियों को भारत आकर्षक लग सकता है. ये ऐसा वक्त है जब व्यापार जगत में अनिश्चितता है. हम अपने घरेलू बाजार के आकर्षण और एक कम अमेरिकी टैरिफ एंट्री पॉइंट से बहुत ज्यादा निवेश पैदा कर सकते हैं, अगर हम अपने पत्ते सही तरीके से खोले तो.'
इसके अलावा राजन ने चेतावनी देते हुए कहा कि हमे सिर्फ इतना ही नहीं, बल्कि हमें दूसरा काम भी करना होगा. जो है भारत में निवेश को ज्यादा अनुकूल बनाएगा, जिसमें टैक्स लॉ ज्यादा प्रेडिक्टेबल बनाना, टैक्स अथॉरिटी की छापेमारी को कम करना शामिल है. हमें अपनी कमर कसनी होगी और जो जरूरी है वो करना होगा.
राजन ने सेवा निर्यात में भारत की लचीलापन के बारे में भी बात की. उन्होंने कहा, 'इस सब में एक अच्छी खबर ये है कि हमारे सेवा निर्यात टैरिफ से अपेक्षाकृत अछूते रहे हैं... हम एक तरह से थोड़े ज़्यादा सुरक्षित हैं.'
रघुराम राजन ने सुझाव दिया कि अमेरिकी टैरिफ से बनी ग्लोबल सप्लाई चेन भारत के लिए डिस्इन्फ्लेशन साबित हो सकती है. उन्होंने कहा, ‘भारतीय निर्यातक पूर्वी एशिया में बाजारों की तलाश कर सकते हैं, लेकिन निश्चित रूप से घरेलू बाजार भी कुछ आकर्षक लगेगा. पर चीनी प्रोडक्ट, भारत में अपना ठिकाना खोज सकता है. क्योंकि उसे अमेरिका में एंट्री नहीं मिल रही है.
आरबीआई के पूर्व गवर्नर ने ये भी कहा कि अगर टैरिफ जहां हैं, वहीं रहते हैं तो हम सच में एक ग्लोबल स्तर पर मंदी देख सकते हैं. मौजूदा स्थिति को भारत के लिए एक अवसर के रूप में देखा जाना चाहिए. उन्होंने एक संतुलित, सोची-समझी रणनीति का अपील करते हुए सरकार के फैसले की प्रशंसा की.
डोमेस्टिक रिफॉर्म
उन्होंने डोमेस्टिक रिफॉर्म का आह्वान करते हुए कहा, 'हमें डोमेस्टिक रिफॉर्म करना वैसे भी करना चाहिए... लेकिन इससे भी अच्छी बात यह है कि हम काफी मात्रा में एफडीआई आते हुए देख सकते हैं.' वियतनाम और मैक्सिको को अपने टैरिफ संबंधी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है और जियो पॉलिटिक्स टेशन के कारण अन्य देश कम आकर्षक हो रहे हैं, ऐसे में भारत एक स्थिर और आकर्षक विकल्प के रूप में उभर सकता है. अगर वह अपने घर को व्यवस्थित कर सके तो.'
रघुराम राजन ने कहा, 'भारत जियोपोलिटिक्स मोर्चे पर जहरीला नहीं है, कुछ अन्य देशों से अलग ये हमारे लिए एक उपयुक्त पल है. पर हमें सच में एकजुट होकर काम करने की जरूरत है.'