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'रेपिस्ट, रेपिस्ट होता है...', उन्नाव केस की सर्वाइवर का छलका दर्द, CBI पर भी उठाए सवाल

कुलदीप सिंह सेंगर की सज़ा सस्पेंड किए जाने को लेकर सुप्रीम कोर्ट में CBI की देरी से की गई चुनौती की सर्वाइवर ने कड़ी आलोचना की है. रेप सर्वाइवर ने कानूनी संघर्ष के दौरान समय पर मदद न मिलने की भी बात कही है.

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उन्नाव रेप पीड़िता ने आजतक से बात करते हुए अपना दर्द साझा किया. (Photo: ITG)
उन्नाव रेप पीड़िता ने आजतक से बात करते हुए अपना दर्द साझा किया. (Photo: ITG)

उन्नाव रेप सर्वाइवर ने शनिवार को सेंट्रल ब्यूरो ऑफ़ इन्वेस्टिगेशन (CBI) के सुप्रीम कोर्ट जाने से जुड़ी कथित देरी पर सवाल उठाया. उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि पावर और राजनीतिक प्रभाव अपराध की गंभीरता को कम नहीं कर सकते.

पीड़िता ने कहा, "बाहुबल मायने नहीं रखता, रेपिस्ट रेपिस्ट होता है, चाहे वह कितना भी बड़ा नेता क्यों न हो." 

उन्होंने यह भी कहा कि वह कोर्ट के सामने पेश होने का इरादा रखती हैं, और जजों के सामने तथ्य रखने और जांच और ट्रायल में लंबी देरी के लिए जवाबदेही तय करने के लिए तैयार हैं.

'देर से मिला इंसाफ...'

पीड़िता ने आरोप लगाया कि बार-बार आश्वासन के बावजूद, मामले में प्रगति धीमी रही, जिससे उन्हें समय पर इंसाफ नहीं मिला. उन्होंने कहा कि लंबी कानूनी प्रक्रिया ने संस्थागत जवाबदेही पर गंभीर सवाल उठाए हैं, खासकर उन मामलों में जिनमें प्रभावशाली आरोपी शामिल होते हैं.

उन्होंने आगे कहा, "कोई भी कानून से ऊपर नहीं होना चाहिए. मुझे उम्मीद है कि सुप्रीम कोर्ट देरी पर ध्यान देगा और कड़े निर्देश जारी करेगा. देर से मिला इंसाफ न मिलने के बराबर है. जब तक दोषियों को सज़ा नहीं मिल जाती, मैं लड़ती रहूंगी."

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उनका यह बयान ऐसे वक्त में आया है, जब सुप्रीम कोर्ट हाई-प्रोफाइल यौन उत्पीड़न मामलों में देरी को लेकर नए सिरे से जांच के बीच इस मामले की सुनवाई करने वाला है.

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'अगर पहले ही मज़बूत कार्रवाई...'

सर्वाइवर ने सीबीई के इस कदम के समय पर सार्वजनिक रूप से सवाल उठाया है, और कहा है कि अगर पहले ही मज़बूत कार्रवाई की जाती तो इंसाफ के लिए लड़ाई का नतीजा कुछ और हो सकता था.

आजतक से बात करते हुए पीड़िता ने कहा, "जांच एजेंसी का दखल बहुत देर से हुआ और ट्रायल के अहम चरणों में उसे सपोर्ट नहीं मिला." उन्होंने याद किया कि कैसे वे अपने बच्चों और परिवार को छोड़कर अकेले कोर्ट जाती थीं, जबकि केस लंबा खिंचता जा रहा था.

सुनवाई के शुरुआती दौर को याद करते हुए, पीड़िता ने बताया कि वह अक्सर CBI के वकीलों की गैरमौजूदगी में कोर्ट जाती थी. उन्होंने बताया कि वह कभी-कभी घर का काम पूरा किए बिना ही घर से निकल जाती थी, और वहां जाकर देखती थी कि सिर्फ़ उनका वकील और बचाव पक्ष का वकील ही मौजूद हैं.

‘मैं कोर्ट जाऊंगी और जज से बात करूंगी...’

पीड़िता ने कहा कि अब वह खुद कोर्ट में पेश होकर जजों के सामने अपना दर्द और अनुभव बताएंगी. उन्होंने कहा, "मैं कोर्ट जाऊंगी और जज के सामने खड़ी होकर अपना दर्द बताऊंगी. मुझे यकीन है कि जज साहब मेरी बात सुनेंगे."

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सुप्रीम कोर्ट पहुंची CBI 

उन्नाव रेप केस में, CBI ने सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर कर दिल्ली हाई कोर्ट के दोषी कुलदीप सिंह सेंगर की सज़ा को सस्पेंड करने और अपील लंबित रहने के दौरान उसे ज़मानत देने के फैसले को चुनौती दी है. सेंगर को दिसंबर 2019 में दिल्ली की एक कोर्ट ने दोषी ठहराया था और 25 लाख रुपये के जुर्माने के साथ उम्रकैद की सज़ा सुनाई थी. दोषी ने जनवरी 2020 में इस सज़ा को चुनौती दी थी और मार्च 2022 में, अपनी सज़ा को सस्पेंड करने की मांग की थी.

23 दिसंबर को, दिल्ली हाई कोर्ट ने याचिका का निपटारा करते हुए सेंगर की अपील लंबित रहने तक उसकी सज़ा को सस्पेंड करने का आदेश दिया और कुछ शर्तों के साथ उसे ज़मानत दे दी. हालांकि, सेंगर अभी भी जेल में है क्योंकि वह पीड़िता के पिता की हत्या से जुड़े एक और CBI केस में 10 साल की सज़ा भी काट रहा है.

दिल्ली के दो वकीलों ने भी हाई कोर्ट के सज़ा सस्पेंड करने के आदेश को चुनौती देते हुए एक स्पेशल लीव याचिका के ज़रिए सुप्रीम कोर्ट का रुख किया है.

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