काठमांडू से हाइजैक इंडियन एयरलाइंस की फ्लाइट IC-814 की सीट नंबर 16 C पर एक यात्री बैठा था, जिसका नाम मीडिया और जनता के साथ साझा की गई पैसेंजर लिस्ट में शामिल नहीं था. फ्लाइट IC-814 में सवार यह गुमनाम यात्री कौन था और भारतीय अधिकारियों ने उसका नाम सार्वजनिक क्यों नहीं किया? नेटफ्लिक्स पर रिलीज हुई अनुभव सिन्हा निर्देशित वेब सीरीज 'IC 814- द कंधार हाइजैक' ने 1999 की उस घटना को एक बार फिर चर्चा के केंद्र में ला दिया है. लेकिन लोगों को शायद ही पता है कि इस विमान में एक भारतीय जासूस भी फंस गया था, जिसने अगर अपने जूनियर की इंटेल को गंभीरता से लिया होता तो संभवत: यह हाइजैक नहीं हुआ होता.
फ्लाइट IC-814 की सीट नंबर 16 C पर बैठे वह यात्री शशि भूषण सिंह तोमर थे- जो उस समय काठमांडू स्थित भारतीय दूतावास में फर्स्ट सेक्रेटरी के रूप में तैनात थे. शशि भूषण तब भारत की खुफिया एजेंसी रॉ के काठमांडू स्टेशन हेड थे. रॉ के तत्कालीन प्रमुख एएस दुलत ने भी आजतक से बातचीत में इस बात पर मुहर लगाई कि हाइजैक विमान IC-814 में काठमांडू में रॉ के तत्कालीन स्टेशन हेड भी मौजूद थे. दुलत ने कहा, 'वह बेचारा आदमी जो 8 दिनों तक विमान में फंसा रहा. उसे कुछ भी नहीं पता था.' यही समस्या थी. रॉ के स्टेशन हेड को पता होना चाहिए था कि ऐसी कोई योजना बनायी जा रही है और संबंधित अधिकारियों को इसकी जानकारी देनी चाहिए थी. क्योंकि उनको इसी काम के लिए तैनात किया गया था. इसके बजाय, वह भारत की एविएशन हिस्ट्री के सबसे बुरे चैप्टर का खुद हिस्सा बन गए.
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एसबीएस तोमर अपनी बीमार पत्नी से मिलने आ रहे थे
वरिष्ठ पत्रकार प्रवीण स्वामी ने साल 2000 में द फ्रंटलाइन के लिए अपनी रिपोर्ट में लिखा था कि शशि भूषण सिंह तोमर अस्पताल में भर्ती अपनी पत्नी से मिलने के लिए काठमांडू से दिल्ली लौट रहे थे. स्वामी की रिपोर्ट के मुताबिक, 'IC-814 की सीट नंबर 16 C पर बैठा यात्री, एक भारतीय खुफिया अधिकारी था, जिस पर नेपाल में आतंकवादी गतिविधियों की निगरानी करने की जिम्मेदारी थी. नेपाल में भारतीय दूतावास में तैनात रिसर्च एंड एनालिसिस विंग (रॉ) के ऑपरेटिव एसएस तोमर, अस्पताल में भर्ती अपनी पत्नी सोनिया से मिलने के लिए नई दिल्ली वापस जा रहे थे.'
प्रवीण स्वामी ने अपनी रिपोर्ट में बताया कि सोनिया तोमर [एसएस तोमर की पत्नी] एनके सिंह की सबसे छोटी बहन हैं, जो तब शायद प्रधानमंत्री कार्यालय के सबसे शक्तिशाली ब्यूरोक्रेट थे. 1998 से 2001 के बीच एनके सिंह पूर्व पीएम अटल बिहारी वाजपेयी के सचिव थे. इतना ही नहीं, सोनिया की सबसे बड़ी बहन श्यामा की शादी नेशनल सिक्योरिटी गार्ड (NSG) के पूर्व डायरेक्टर निखिल कुमार से हुई थी. बता दें कि IC-814 अमृतसर में जब रिफ्यूलिंग के लिए करीब 50 मिनट तक रुका था, उस समय अपेक्षा थी कि शायद एनएसजी को इस विमान को हाइजैकर्स से मुक्त कराने के लिए ऑपरेशन की जिम्मेदारी सौंपी जाए, लेकिन ऐसा नहीं हुआ.
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शशि भूषण ने हाइजैक इंटेल को किया था नजरअंदाज
संयोग देखिए कि शशि भूषण को यह इंटेल पहले ही मिला था कि काठमांडू से किसी भारतीय विमान को हाइजैक किया जा सकता है. लेकिन उन्होंने इस इंटेल को बुरी तरह नजरअंदाज किया था और जिस रॉ ऑपरेटिव ने यह इंटेल दी थी उसे डांट भी लगाई थी. और किस्मत का खेल देखिए कि वह खुद उस विमान में सवार थे, जिसे हाइजैक कर लिया गया था. पूर्व रॉ अधिकारी आरके यादव 2014 में प्रकाशित हुई अपनी किताब 'मिशन रॉ' में लिखते हैं, 'जूनियर रॉ ऑपरेटिव यूवी सिंह काठमांडू स्थित भारतीय दूतावास में सेकेंड सेक्रेटरी के पद पर तैनात थे. उन्होंने अपने सीनियर एसबीएस तोमर को सूचित किया कि पाकिस्तानी आतंकवादी किसी भारतीय विमान को हाइजैक कर सकते हैं, ऐसा इंटेल इनपुट उन्हें उनके सूत्रों से मिली है.'
वह आगे लिखते हैं, 'एसबीएस तोमर ने अपने जूनियर रॉ ऑपरेटिव यूवी सिंह इस इंटेल के सोर्स के बारे में पूछा. यूवी सिंह ने उन्हें बताया कि एयरपोर्ट पर तैनात एक जिम्मेदार अधिकारी से उन्हें यह इंटेल मिला है.' आरके यादव के मुताबिक, 'एसबीएस तोमर ने यूवी सिंह को डांट लगाई और अफवाहें न फैलाने को कहा. यह रिपोर्ट रॉ हेडक्वार्टर को कभी नहीं भेजी गई और उन्होंने बिना क्रॉसचेकिंग के इसे दबा दिया.' शशि भूषण सिंह तोमर के IC-814 में वे आठ दिन बहुत तनावपूर्ण बीते होंगे. वह अच्छी तरह जानते होंगे कि अगर हाइजैकर्स को उनके बारे में पता चला तो बख्शे नहीं जाएंगे.
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आरके यादव अपनी किताब में लिखते हैं, 'रॉ अधिकारियों द्वारा इस गंभीर चूक के लिए एसबीएस तोमर को कभी फटकार नहीं लगाई गई. चूंकि वह प्रधानमंत्री कार्यालय में तैनात एक वरिष्ठ नौकरशाह के करीबी रिश्तेदार थे, इसलिए उन्हें लापरवाही के लिए सजा देने के बजाय, अमेरिका में एक आकर्षक पोस्टिंग से पुरस्कृत किया गया.' इस घटना के वर्षों बाद एक साक्षात्कार में तत्कालीन रॉ चीफ अमरजीत सिंह दुलत ने कहा था, '24 दिसंबर को, जिस दिन आईसी 814 का अपहरण किया गया था, यह नहीं पता था कि तोमर उस फ्लाइट में बैठे थे, यह बात बाद में पता चली.'