तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने राष्ट्रीय जनगणना में देरी और आगामी परिसीमन की योजना को लेकर केंद्र की मोदी सरकार पर गंभीर आरोप लगाए हैं. मुख्यमंत्री स्टालिन का कहना है कि ये केवल संयोग नहीं है, केंद्र सरकार दक्षिण भारतीय राज्यों की राजनीतिक ताकत को कमजोर करने की एक सोची-समझी साजिश है.
मुख्यमंत्री स्टालिन ने क्या कहा?
मुख्यमंत्री स्टालिन ने जनगणना में देरी को एक 'खतरनाक साजिश' करार दिया. उन्होंने कहा कि केंद्र 1971 के जनगणना के हिसाब से परिसीमन नहीं करेगी, वह 2027 के जनगणना हिसाब से करेगी. जिससे तमिलनाडु समेत दक्षिण के राज्यों को नुकसान होगा क्योंकि उनकी लोकसभा सीटें घट सकती हैं.
ऐसा करने से उत्तर भारत की लोकसभा की सीटों में बढ़ोतरी होगी और दक्षिण भारत की संसद में भागीदारी कम हो जाएगी.
तमिलनाडु समेत दक्षिण भारतीय राज्यों ने जनसंख्या नियंत्रण नीतियों को अच्छे से अपनाया, जिसके लिए उन्हें दंडित किया जाएगा.
बता दें, तमिलनाडु और अन्य दक्षिण राज्यों की चिंता पर गृह मंत्रालय ने पहले ही आश्वासन दिया था कि उन्हें चिंता करने की जरूरत नहीं है. उनके चिंताओं को संबोधित किया जाएगा.
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मुख्यमंत्री स्टालिन ने जम्मू-कश्मीर का उदाहरण देते हुए कहा कि बीजेपी ने सुप्रीम कोर्ट में कहा था कि राज्य का दर्जा जल्द बहाल किया जाएगा. हालांकि, बीजेपी ने अभी तक ऐसा किया नहीं है. जम्मू कश्मीर अब भी एक केंद्र शासित प्रदेश ही है.
मुख्यमंत्री स्टालिन का विपक्ष पर कटाक्ष
मुख्यमंत्री स्टालिन ने विपक्षी दल AIADMK पर कटाक्ष करते हुए कहा कि भले ही AIADMK अपने राजनीतिक अस्तित्व के लिए बीजेपी के सामने घुटने टेक दी हो. लेकिन DMK ऐसा नहीं करेगा. DMK के नेतृत्व में तमिलनाडु तेजी से प्रगति करेगा.
उल्लेखनीय है कि 11 अप्रैल 2025 को चेन्नई में प्रेस वार्ता कर केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने ऐलान किया था आगामी विधानसभा चुनाव 2026 में बीजेपी और AIADMK साथ चुनाव लड़ेगी.