सुप्रीम कोर्ट ने हाल में कर्ज वसूली और अवैध निर्माण से जुड़े दो मामलों में सख्त रुख अपनाया है. कोर्ट ने साफ कर दिया है कि नियम तोड़ने वालों को कैसी भी राहत नहीं दी जा सकती.
पहले मामले में कर्ज वसूली से जुड़े एक आरोपी को राहत देने से कोर्ट ने इनकार कर दिया. चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (CJI) ने सुनवाई के दौरान कहा कि अदालत में ऐसे कई मामले आ रहे हैं, जहां बेईमान लोग आखिरी तारीख तक इंतजार करते हैं और फिर याचिका दायर कर राहत मांगने लगते हैं. CJI ने साफ शब्दों में कहा कि आपने पैसा हड़प लिया और फिर वापस नहीं किया. ऐसे मामलों में किसी तरह की राहत नहीं दी जा सकती.
दूसरे मामले में सुप्रीम कोर्ट ने कैंटोनमेंट इलाके में बिना अनुमति बनाए गए निर्माण को गिराने के आदेश में दखल देने से इनकार कर दिया. इस मामले में भी CJI ने कड़ी टिप्पणी की. उन्होंने कहा कि लोग क्रेजी हो गए हैं, दूसरे शब्दों में कहा जाए तो कोर्ट का तात्पर्य ये रहा कि लोग अब हद से ज्यादा चालाक हो गए हैं. अगर उन्हें एक कमरा कंपाउंड करने की अनुमति दी जाती है, तो वे सीढ़ी बना लेते हैं, फिर छत पर कब्जा कर लेते हैं. इसके बाद 30 साल तक अदालतों में अधिकारियों को घसीटते रहते हैं और कहते हैं कि यह कंपाउंडेबल है, वह कंपाउंडेबल है.
CJI ने सीधे सवाल किया जब आपको पता था कि निर्माण की अनुमति नहीं है, तो आपने बिना इजाजत कमरा क्यों बनाया? कोर्ट ने कहा कि ऐसे मामलों में वह हस्तक्षेप नहीं करेगा. सुप्रीम कोर्ट के इन फैसलों से साफ संकेत मिलता है कि चाहे कर्ज न चुकाने का मामला हो या अवैध निर्माण का, नियम तोड़ने वालों के प्रति अदालत अब कोई नरमी दिखाने के मूड में नहीं है.