सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को समाजवादी पार्टी (SP) नेता मोहम्मद आजम खान और उनके बेटे अब्दुल्ला आजम खान द्वारा इलाहाबाद हाई कोर्ट के दो अलग-अलग आदेशों के खिलाफ दायर दो विशेष अनुमति याचिकाओं (Special Leave Petitions) में उत्तर प्रदेश सरकार को नोटिस जारी किया. इलाहाबाद हाई कोर्ट ने आजम खान और उनके बेटे अब्दुल्ला के खिलाफ 2019 के दो मामलों को रद्द करने से इनकार कर दिया गया था, जिसमें आरोप है कि उन्होंने क्रमशः पासपोर्ट और पैन कार्ड प्राप्त करने के लिए दस्तावेजों में जालसाजी की.
न्यायमूर्ति एम.एम. सुंदरेश और न्यायमूर्ति एन कोटेश्वर सिंह की पीठ ने दोनों आदेशों पर स्टे (Stay) भी दे दिया. पहले मामले में, 2019 में एफआईआर दर्ज की गई थी, जिसमें आरोप लगाया गया था कि अब्दुल्ला आजम ने अपने पिता मोहम्मद आजम खान के साथ मिलकर समाजवादी पार्टी के उम्मीदवार के रूप में विधायक पद के लिए नामांकन दाखिल करने के लिए जाली दस्तावेज और फर्जी पैन कार्ड हासिल करने की साजिश रची थी. फर्जी पैन कार्ड में उनकी जन्मतिथि 19 मार्च, 1990 दर्ज थी, जबकि पहले जारी किए गए पैन कार्ड में उनकी जन्मतिथि उनके हाई स्कूल सर्टिफिकेट के अनुसार 1 जनवरी, 1993 दर्ज है.
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इलाहाबाद हाई कोर्ट में जब मामले को रद्द करने की याचिका दायर की गई, तो अब्दुल्ला आजम खान ने दलील दी कि मुकदमा आगे नहीं चल सकता क्योंकि इससे दोहरा संकट पैदा हो जाएगा, क्योंकि उन्हें पहले ही फर्जी जन्म प्रमाण पत्र प्राप्त करने के लिए दोषी ठहराया जा चुका है. हालांकि, हाई कोर्ट ने 23 जुलाई के एक आदेश के माध्यम से इसे यह कहते हुए खारिज कर दिया कि दोनों अलग-अलग और विशिष्ट अपराध हैं. उसने रामपुर एमपी/एमएलए कोर्ट को मुकदमा आगे बढ़ाने का आदेश दिया.
एक अन्य मामले में, अब्दुल्ला आजम खान पर पासपोर्ट प्राप्त करने के लिए जाली दस्तावेज बनाने का मुकदमा चल रहा है, जिसमें उनकी जन्मतिथि 30 सितंबर, 1990 बताई गई है, जबकि उनके स्कूल प्रमाणपत्रों में जन्मतिथि 1 जनवरी, 1993 दर्ज है. इस मामले में भी दोहरे खतरे की दलील दी गई थी. क्योंकि उन्होंने दावा किया था कि उन्हें पहले ही इसी अपराध के लिए दोषी ठहराया जा चुका है. हालांकि, इलाहाबाद हाई कोर्ट ने 23 जुलाई को इस दलील को भी खारिज कर दिया था.