सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली अध्यादेश के मामले को पांच जजों की संवैधानिक बेंच को भेज दिया है. दिल्ली की केजरीवाल सरकार द्वारा दायर इस मामले में अब सुप्रीम कोर्ट की पांच जजों की बेंच सुनवाई करेगी.
दिल्ली में केजरीवाल सरकार बनाम उपराज्यपाल मामले में सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली सरकार के पक्ष में फैसला दिया था. इसमें निर्वाचित सरकार को अफसरों के ट्रांसफर-पोस्टिंग का अधिकार दिया गया था. इसके बाद केंद्र सरकार 'राष्ट्रीय राजधानी सिविल सेवा प्राधिकरण' बनाने का अध्यादेश लेकर आई है.
केंद्र के इस अध्यादेश को आम आदमी पार्टी ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है. पिछली सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने मामले को संवैधानिक बेंच के पास भेजने का संकेत दिया था.
आम आदमी पार्टी को लगा झटका
दिल्ली सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से अध्यादेश पर रोक लगाने की मांग की थी. हालांकि, कोर्ट ने अध्यादेश पर फिलहाल कोई रोक नहीं लगाई है. साथ ही मामले को बड़ी बेंच के पास भेज दिया है. दिल्ली सरकार की ओर से पेश वकील ने मामले को संवैधानिक पीठ के पास न भेजने की अपील की थी. बहस के दौरान सिंघवी ने दलील दी थी कि संविधान पीठ के किसी भी संदर्भ से पूरी व्यवस्था ठप हो जाएगी क्योंकि इसमें समय लगेगा. यह बहुत छोटा बिंदु है, जिसे 370 से पहले लिया जा सकता है. इसके बाद कोर्ट ने संकेत दिया है कि इस मामले में आर्टिकल 370 के बाद सुनवाई शुरू हो सकती है.
क्या है मामला?
11 मई को सुप्रीम कोर्ट ने फैसला दिया. सुप्रीम कोर्ट ने साफ कर दिया कि दिल्ली की नौकरशाही पर चुनी हुई सरकार का ही कंट्रोल है और अफसरों की ट्रांसफर-पोस्टिंग पर भी अधिकार भी उसी का है.
प्रशासनिक सेवाओं के नियंत्रण और अधिकार से जुड़े मामले पर फैसला देते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा था, दिल्ली की पुलिस, जमीन और पब्लिक ऑर्डर पर केंद्र का अधिकार है, लेकिन बाकी सभी मामलों पर चुनी हुई सरकार का ही अधिकार होगा.
सुप्रीम कोर्ट ने ये भी साफ कर दिया था कि पुलिस, जमीन और पब्लिक ऑर्डर को छोड़कर बाकी सभी दूसरे मसलों पर उपराज्यपाल को दिल्ली सरकार की सलाह माननी होगी.
केंद्र का अध्यादेश क्या है?
केंद्र सरकार 19 मई को अध्यादेश लेकर आई थी. इसका नाम 'राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली (संशोधन) अध्यादेश, 2023' है.
चूंकि, अभी संसद नहीं चल रही है, इसलिए केंद्र सरकार ये अध्यादेश लेकर आई है. नियम के तहत, 6 महीने के अंदर इस अध्यादेश को संसद के दोनों सदनों में पास कराना होगा, तब जाकर ये स्थायी कानून बनेगा.
अध्यादेश के तहत, अधिकारियों की ट्रांसफर और पोस्टिंग से जुड़ा आखिरी फैसला लेने का हक फिर से उपराज्यपाल को दे दिया गया है.
इसके तहत, दिल्ली में सेवा दे रहे 'दानिक्स' कैडर के ग्रुप-A अफसरों के ट्रांसफर-पोस्टिंग और उनके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई के लिए एक अथॉरिटी का गठन किया जाएगा. दानिक्स यानी दिल्ली, अंडमान-निकोबार, लक्षद्वीप, दमन एंड दीव, दादरा एंड नागर हवेली सिविल सर्विसेस.
इस अथॉरिटी में तीन सदस्य- दिल्ली के मुख्यमंत्री, दिल्ली के मुख्य सचिव और दिल्ली के गृह प्रधान सचिव होंगे. इस अथॉरिटी के अध्यक्ष दिल्ली के मुख्यमंत्री होंगे.
अथॉरिटी को सभी ग्रुप-A और दानिक्स के अधिकारियों के ट्रांसफर-पोस्टिंग और नियुक्ति से जुड़े फैसले लेने का अधिकार होगा, लेकिन इस पर आखिरी मुहर उपराज्यपाल की होगी.
अगर उपराज्यपाल अथॉरिटी के फैसले से सहमत नहीं होते हैं तो वो इसे बदलाव के लिए लौटा भी सकते हैं. फिर भी मतभेद रहता है तो आखिरी फैसला उपराज्यपाल का ही होगा.