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'संविधान सर्वोच्च, न कि न्यायपालिका या कार्यपालिका, बोले- CJI बीआर गवई

महाराष्ट्र और गोवा बार काउंसिल के सम्मान समारोह और राज्य अधिवक्ता सम्मेलन में CJI बीआर गवई ने संविधान की सर्वोच्चता पर बल दिया. उन्होंने कहा कि न्यायपालिका, कार्यपालिका और विधायिका संविधान के अनुरूप और सम्मानपूर्वक मिलकर कार्य करें, जिससे देश की प्रगति और स्थिरता सुनिश्चित हो सके.

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सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस बीआर गवई ने कहा – संविधान ही भारत का अंतिम मार्गदर्शक (फोटो क्रेडिट - पीटीआई)
सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस बीआर गवई ने कहा – संविधान ही भारत का अंतिम मार्गदर्शक (फोटो क्रेडिट - पीटीआई)

महाराष्ट्र और गोवा बार काउंसिल द्वारा आयोजित सम्मान समारोह और राज्य अधिवक्ता सम्मेलन में रविवार को सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश बीआर गवई शामिल हुए. इस दौरान उन्होंने कहा कि देश में संविधान सबसे ऊपर हैं, न कि संस्थाएं. 14 मई को बीआर गवई ने सीजेआई के तौर पर शपथ लिया था.

CJI बीआर गवई ने क्या कहा?

CJI बीआर गवई ने कहा कि देश में न तो न्यायपालिका सर्वोच्च है, न कार्यपालिका या संसद, बल्कि भारत का संविधान ही सर्वोच्च है. सभी तीनों स्तंभों (विधायिका, कार्यपालिका और न्यायपालिका) को भारत के संविधान के अनुरूप काम करना चाहिए. 

उन्होंने कहा कि मुझे खुशी है कि देश ने सामाजिक और आर्थिक, दोनों स्तर पर प्रगति की है और आगे भी कर रहा है. 

CJI बीआर गवई ने भारत के संवैधानिक मूल संरचना को बहुत मजबूत बताया है. विधायिका, कार्यपालिका और न्यायपालिका - ये तीनों स्तंभ बराबर हैं. इन तीनों स्तंभ को एक-दूसरे का सम्मान करना चाहिए और सहयोग के भावना से काम करना चाहिए.

CJI बीआर गवई चैत्यभूमि में बाबा साहेब को दी श्रद्धांजलि

मुंबई के दौरे के दौरान CJI बीआर गवई चैत्यभूमि भी गए. यहां उन्होंने भारतीय संविधान के निर्माता भारतरत्न डॉ भीमराव आंबेडकर के स्मारक पर गए और उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की. 

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CJI बीआर गवई ने कहा, 'मैं आज भीमराव आंबेडकर द्वारा हमें दिए गए संविधान के अनुसार फ्रीडम, इक्वलिटी, फ्रेटरनिटी और एकता के मूल्यों को आगे बढ़ाने और संरक्षित करने के लिए बाबा साहेब का आशीर्वाद लेने आया हूं'.

14 मई को बीआर गवई बने CJI

जस्टिस भूषण रामकृष्णा गवई ने भारत के 52वें मुख्य न्यायाधीश के रूप में शपथ ग्रहण की; यह शपथ राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू द्वारा राष्ट्रपति भवन में आयोजित एक समारोह में दिलाई गई. इस अवसर पर उपराष्ट्रपति जगदीप धनकर, पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह सहित अनेक केंद्रीय मंत्री भी उपस्थित थे. जस्टिस गवई, जो 24 मई 2019 को सुप्रीम कोर्ट जज के पद पर प्रोमोट हुए थे, देश के दूसरे दलित एवं प्रथम बौद्ध मुख्य न्यायाधीश बने हैं और उनका कार्यकाल 23 नवंबर 2025 को उनके रिटायरमेंट तक, यानी लगभग छह माह का होगा.

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