ऑपरेशन सिंदूर पोस्ट मामले में अशोका यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर अली खान महमूदाबाद को सुप्रीम कोर्ट से एक और राहत मिली है. सुनवाई के दौरान बुधवार को सुप्रीम कोर्ट ने जांच एजेंसी को फटकार लगाते हुए पूछा कि वह खुद को "गलत दिशा में क्यों ले जा रही है." अदालत ने स्पष्ट किया कि जांच निष्पक्ष और उद्देश्यपूर्ण होनी चाहिए, न कि किसी पूर्वाग्रह से प्रेरित.
जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस जॉयमाल्य बागची की बेंच ने कहा कि प्रोफेसर अली खान महमूदाबाद को अब सोशल मीडिया पर लिखने या अन्य आर्टिकल पब्लिश करने की छूट होगी, बशर्ते वे मामला जो अदालत में विचाराधीन है, उस पर कुछ भी न कहें.
यह भी पढ़ें: प्रोफेसर अली खान महमूदाबाद केस में जस्टिस सूर्यकांत की टिप्पणियों में गौर करने लायक हैं ये बातें
ऑपरेशन सिंदूर पर सोशल मीडिया पोस्ट के लिए किया गया था गिरफ्तार
गौरतलब है कि महमूदाबाद को ऑपरेशन सिंदूर के दौरान सोशल मीडिया पोस्ट के लिए 18 मई को गिरफ्तार किया गया था और हरियाणा की एक अदालत ने उन्हें 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया था. बाद में 21 मई को सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें अंतरिम जमानत दे दी थी. हालांकि, अदालत ने जांच को स्थगित करने से इनकार कर दिया था.
सुप्रीम कोर्ट ने एसआईटी जांच का आदेश दिया था
सुप्रीम कोर्ट ने साथ ही हरियाणा के पुलिस प्रमुख को निर्देश दिया था कि एक विशेष जांच टीम (SIT) का गठन किया जाए, जिसमें वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी शामिल हों. खास बात यह रही कि अदालत ने साफ निर्देश दिया कि इस टीम में कोई भी अधिकारी हरियाणा या दिल्ली से नहीं होना चाहिए और टीम में कम से कम एक महिला अधिकारी होनी चाहिए.
यह भी पढ़ें: ऑपरेशन सिंदूर पर टिप्पणी को लेकर गिरफ्तार हुए प्रोफेसर अली खान महमूदाबाद कौन हैं?
कोर्ट ने अंतरिम जमानत पर रखी थी शर्त
इसके अलावा अदालत ने पहले यह शर्त भी रखी थी कि अली खान महमूदाबाद इस मामले से संबंधित कोई भी सार्वजनिक टिप्पणी या सोशल मीडिया पोस्ट न करें, लेकिन अब उन्हें अन्य विषयों पर अपनी बात रखने की अनुमति मिल गई है. फिलहाल यह मामला सुप्रीम कोर्ट में विचाराधीन है और आगे की सुनवाई में यह तय होगा कि जांच किस दिशा में जाती है और क्या प्रोफेसर अली खान महमूदाबाद के खिलाफ आगे कोई सख्त कार्रवाई हो सकती है या नहीं.