दिल्ली के श्री शारदा इंस्टीट्यूट ऑफ इंडियन मैनेजमेंट की 17 छात्राओं से यौन शोषण के आरोप झेल रहे स्वामी चैतन्यानंद सरस्वती की गिरफ्तारी के बाद उसकी फरारी और रहन-सहन की परतें अब खुलने लगी हैं. पुलिस की जांच में जो कहानियां सामने आईं, वे किसी फिल्मी स्क्रिप्ट से कम नहीं लगतीं. फरारी के दौरान चैतन्यानंद न केवल अपनी पहचान बदलता रहा, बल्कि होटलों में रहने के भी अजीबो-गरीब नियम थोपता था.
रूम नंबर 101 और बाबा की ‘शर्तें’
आगरा के ताजगंज इलाके में जिस होटल से चैतन्यानंद को गिरफ्तार किया गया, वहां उसने रूम नंबर 101 लिया था. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक होटल के हाउसकीपिंग स्टाफ को उसने साफ हिदायत दी थी कि बिना उसकी अनुमति कोई भी कमरे में न घुसे. शर्तें यहीं खत्म नहीं हुईं, अगर किसी को कमरे में आना है, तो पहले नहा-धोकर आए और चप्पल बाहर उतारकर ही प्रवेश करे. इन अजीबोगरीब नियमों से होटल कर्मचारी भी हैरान थे. गिरफ्तारी के बाद पुलिस को जानकारी मिली कि फरारी के दौरान चैतन्यानंद कई सस्ते और छोटे होटलों में छिपा, लेकिन हर बार कमरे में वह खुद को किसी महान साधु की तरह पेश करने से बाज नहीं आया.
फरारी के दो महीने, 13 होटल
6 अगस्त को एफआईआर दर्ज होने के बाद से चैतन्यानंद ने लगभग दो महीने तक पुलिस को छकाया. इस दौरान उसने करीब 13 होटल बदले. उसकी खास कोशिश रहती कि होटल में सीसीटीवी कैमरे न हों, ताकि लोकेशन का कोई सबूत न बचे. होटल की बुकिंग उसके चेले करवाते थे और वह खुद ज्यादातर वक्त कमरे में बंद रहता. पुलिस को यह भी पता चला कि फरारी के दौरान भी वह अपने संस्थान की गतिविधियों पर नजर रख रहा था. मोबाइल और लैपटॉप के जरिए वह न केवल हॉस्टल के सीसीटीवी फुटेज देखता, बल्कि छात्राओं की हरकतों पर नजर रखने की कोशिश भी करता रहा.
गिरफ्तारी के वक्त का नाटक
आधी रात ऑपरेशन में पुलिस ने उसे धर दबोचा. 27 सितंबर की शाम उसने रूम नंबर 101 लिया और पूरी रात वहीं रुका. तड़के 3:30 बजे जब पुलिस ने दरवाजा खटखटाया, तो वह पहले बुरी तरह घबराया. गिरफ्तारी के बाद से वह बार-बार यही दोहराता रहा मुझे घबराहट हो रही है… मैं अपने फोन का पासवर्ड भूल गया हूं. दिल्ली पुलिस ने उसके तीन फोन और आईपैड जब्त कर एफएसएल जांच के लिए भेज दिए हैं.
दो पासपोर्ट, बदले हुए मां-बाप
सबसे सनसनीखेज खुलासा उसके पास से मिले दो पासपोर्ट थे. एक पासपोर्ट पर उसका नाम स्वामी पार्थ सारथी दर्ज था और जन्मस्थान दार्जिलिंग लिखा था. दूसरे पर नाम चैतन्यानंद सरस्वती था और जन्मस्थान तमिलनाडु. दोनों पासपोर्ट में माता-पिता के नाम भी अलग-अलग थे. यही नहीं, पैन कार्ड और अन्य दस्तावेजों में भी जानकारी उलझी हुई पाई गई. यानी बाबा ने पहचान बदलने का ऐसा जाल बुना कि असली और नकली के बीच फर्क करना मुश्किल हो जाए.
छात्राओं को धमकाने का खेल
एफआईआर में दर्ज है कि संस्थान का चेयरमैन रहते हुए चैतन्यानंद देर रात छात्राओं को अपने कमरे में बुलाता और आपत्तिजनक संदेश भेजता था. जब छात्राओं ने विरोध किया तो उसकी तीन महिला सहयोगियों ने दबाव बनाकर उन्हें चुप कराया. इन सहयोगियों की तलाश में पुलिस जुटी है और संभावना है कि जल्द ही उनसे आमने-सामने की पूछताछ होगी.
अंतरराष्ट्रीय पहचान का झूठा मुखौटा
गिरफ्तारी के बाद उसके पास से कई नकली विजिटिंग कार्ड मिले. इनमें उसे कभी संयुक्त राष्ट्र (ECOSOC) का स्थायी राजदूत, तो कभी ब्रिक्स का भारतीय दूत बताया गया था. इतना ही नहीं, उसने कई जगह यह प्रचार भी किया कि उसके प्रधानमंत्री कार्यालय से सीधे संपर्क हैं. इसी झूठी पहचान के दम पर वह संस्थान में धाक जमाए रहा और छात्राओं पर दबाव डालता रहा.
बैंक खाते और करोड़ों की संपत्ति
जांच में सामने आया कि बाबा ने अलग-अलग नामों से कई बैंक खाते खोले थे. एफआईआर दर्ज होने के बाद भी उसने लगभग 50 लाख रुपये की निकासी की. पुलिस अब तक उसके करीब 8 करोड़ रुपये की संपत्ति को फ्रीज कर चुकी है. माना जा रहा है कि यह रकम उसने छात्राओं और संस्थान के जरिए जुटाई थी.
पुलिस हिरासत और आगे की राह
अदालत ने उसे पांच दिन की पुलिस रिमांड पर भेजा है. पुलिस अब उसकी महिला सहायिकाओं से पूछताछ कर रही है और जल्द ही उसे संस्थान ले जाकर पीड़िताओं के सामने खड़ा किया जा सकता है. जांचकर्ता मानते हैं कि पूछताछ से न केवल यौन उत्पीड़न से जुड़े नए तथ्य सामने आएंगे, बल्कि उसके नेटवर्क और पहचान बदलने की तकनीक भी उजागर होगी.
छात्राओं की उम्मीदें
गिरफ्तारी की खबर के बाद पीड़िताओं और उनके परिवारों ने राहत की सांस ली है. एक छात्रा की सहेली ने कहा, यह लड़ाई अभी आधी ही पूरी हुई है. न्याय तभी होगा जब उसे कड़ी से कड़ी सजा मिलेगी. परिवारों का मानना है कि अगर ऐसे अपराधियों को उम्रकैद मिलेगी तभी और लोग सबक लेंगे और छात्राओं को शिकार बनाने की हिम्मत नहीं करेंगे.