
संसद के विशेष सत्र के बीच सेंगोल को लेकर सियासत तेज हो गई है. विपक्षी दलों ने संसद भवन के स्पीकर के आसन के पास स्थापित सेंगोल को हटाने की मांग की है. समाजवादी पार्टी ने सेंगोल को राजशाही का प्रतीक बताते हुए उसे हटाकर उसकी जगह संविधान स्थापित करने की मांग की है. लेकिन इस पर मायावती ने सपा को जमकर घेरा है.
बहुजन समाज पार्टी (बसपा) प्रमुख मायावती ने कहा कि सेंगोल को संसद में लगाना या नहीं, इस पर बोलने के साथ-साथ सपा के लिए यह बेहतर होता कि यह पार्टी देश के कमजोर एवं उपेक्षित वर्गों के हितों में और आम जनहित के मुद्दों को भी केंद्र सरकार को घेरती है.

उन्होंने कहा कि जबकि सच्चाई ये है कि ये पार्टी अधिकांश ऐसे मुद्दों पर चुप ही रहती है और सरकार में आकर कमजोर वर्गों के खिलाफ फैसले भी लेती है. इनके महापुरूषों की भी उपेक्षा करती है. इस पार्टी के सभी हथकंडों से जरूर सावधान रहें.
सपा-कांग्रेस ने सेंगोल को लेकर क्या कहा था?
समाजवादी पार्टी के राज्यसभा सांसद आरके चौधरी ने कहा था कि संविधान महत्वपूर्ण है, लोकतंत्र का प्रतीक है. अपने पिछले कार्यकाल में प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में बीजेपी सरकार ने संसद में 'सेंगोल' स्थापित किया. 'सेंगोल' का अर्थ है 'राज-दंड', इसका अर्थ 'राजा का डंडा' भी होता है. रियासती व्यवस्था को खत्म करके देश आजाद हुआ. देश 'राजा के डंडे' से चलेगा या संविधान से? मैं मांग करता हूं कि संविधान को बचाने के लिए संसद से सेंगोल को हटाया जाए.
आरके चौधरी के बयान पर समाजवादी पार्टी के मुखिया और सांसद अखिलेश का भी बयान आया था. उन्होंने कहा था कि मुझे लगता है कि हमारे सांसद शायद ऐसा इसलिए कह रहे हैं क्योंकि जब इसे (सेंगोल) स्थापित किया गया था, तो प्रधानमंत्री ने इसके सामने सिर झुकाया था. शायद शपथ लेते वक्त वह इसे भूल गए, हो सकता है कि मेरी पार्टी ने उन्हें यह याद दिलाने के लिए ऐसा कहा हो. जब प्रधानमंत्री इसके सामने सिर झुकाना भूल गए, तो शायद वह भी कुछ और चाहते थे.
सपा नेता के बयान पर शिवसेना (UBT) नेता संजय राउत ने कहा था कि संविधान अहम है, हम इंडिया ब्लॉक में इस पर चर्चा करेंगे.
SP को मिला था कांग्रेस और RJD का समर्थन
कांग्रेस पार्टी ने सेंगोल मुद्दे पर समाजवादी पार्टी का समर्थन किया है. पार्टी ने कहा है कि सेंगोल पर सपा की मांग गलत नहीं है. कांग्रेस सांसद रेणुका चौधरी ने कहा कि बीजेपी ने अपनी मर्जी से सेंगोल लगा दिया. सपा की मांग गलत नहीं है. सदन तो सबको साथ लेकर चलती है लेकिन बीजेपी सिर्फ मनमानी करती है.
सेंगोल मुद्दे पर आरजेडी लीडर मीसा भारती ने कहा कि सेंगोल को हटाना चाहिए, ये लोकतंत्र में है, राजतंत्र में नहीं. सेंगोल को म्यूजियम में लगाना चाहिए. यह राजतंत्र का प्रतिक है, सेंगोल इसलिए हटाना चाहिए.
आजादी से जुड़ा है सेंगोल का आधुनिक इतिहास
संसद में स्थापित किए गए सेंगोल का आधुनिक इतिहास भारत की आजादी के साथ जुड़ा हुआ सामने आया है, जब तत्कालीन पीएम जवाहर लाल नेहरू को सत्ता हस्तांतरण के प्रतीक के तौर पर सेंगोल सौंपा गया. वहीं, प्राचीन इतिहास पर नजर डालें तो सेंगोल के सूत्र चोल राज शासन से जुड़ते हैं, जहां सत्ता का उत्तराधिकार सौंपते हुए पूर्व राजा, नए बने राजा को सेंगोल सौंपता था. यह सेंगोल राज्य का उत्तराधिकार सौंपे जाने का जीता-जागता प्रमाण होता था और राज्य को न्यायोचित तरीके से चलाने का निर्देश भी.