विदेश मंत्री एस जयशंकर ने 'आजतक' के खास कार्यक्रम 'सीधी बात' में दस्तक दी. इस इंटरव्यू में उन्होंने कहा कि 'आज भारत की विदेश नीति अधिक आत्मनिर्भर और आत्मविश्वास से लबरेज है. विदेश नीतियों के मामले में हमारी क्षमताएं बढ़ी हैं. हम आज बेबाकी से अपनी बात रखते हैं और अपनी जनता के हितों के मद्देनजर ही काम करते हैं. उन्होंने स्पष्ट तौर पर कहा कि बीते 9 सालों और यहां तक कि अभी के चार सालों में विदेश नीति में बड़ा फर्क आया है. इस फर्क को रेखांकित करते हुए विदेश मंत्री ने जोर देते हुए कहा कि देश बदला है, पीएम बदले हैं तो विदेश नीति भी बदली है. '
गोवा की घटना पर भी डाली रोशनी
बातचीत के दौरान उन्होंने कुछ दिन पहले गोवा में हुई एससीओ समिट के एक वाकये का भी जिक्र किया, जब पाकिस्तानी विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो भारत आए थे और इस दौरान डॉ. जयशंकर की उनसे नाराज होने की खबरें सामने आई थीं. उस दौरान असल में क्या हुआ था, विदेश मंत्री ने इस पर भी रोशनी डाली.
लोगों को हितों के साथ जुड़ी विदेश नीतिः विदेश मंत्री
अपने करियर के अनुभवों और बतौर विदेश मंत्री होने के अपने अनुभवों को डॉ. एस जयशंकर ने 'आजतक' से साझा किया. उन्होंने मंत्रालय संभालते हुए अपने 4 साल के कार्यकाल पर कहा कि इन दिनों में काफी कुछ सीखा है. खासतौर पर राजनीति से काफी कुछ सीखने को मिला है. मैं ब्यूरेक्रेसी के बैकग्राउंड से था और कभी सोचा नहीं था कि इस 'दूसरी तरह की दुनिया' में आऊंगा.
ब्यूरोक्रेटस और राजनेता के अलग-अलग अनुभव
उन्होंने कहा कि ब्यूरोक्रेटस और राजनेता के अलग-अलग अनुभव होते हैं. राजनेता की पब्लिक के साथ सीधी कनेक्टिविटी होती है. इसी तरह उन्होंने सबसे बड़ी उपलब्धि को लेकर कहा, कि उपलब्धि यही है कि विदेश नीति को डिप्लोमेट के तौर पर पब्लिक के हितों के साथ जोड़ पाए हैं. जिसका उदाहरण लोगों ने कोविड के समय में भी देखा है. इसके अलावा पूरा निचोड़ यह है कि 'हम फॉरेन पॉलिसी फॉर यू' को कायम करने में सफल रहे हैं. इससे लोगों को भी फील होता है कि आपकी सरकार आपके साथ खड़ी है.
'बीते 9 सालों में काफी बदली है विदेश नीति'
नॉन एलायमेंट औऱ मल्टी एलॉयमेंट में क्या फर्क है. इस पर उन्होंने कहा कि देश बदल गया है, पीएम बदले हैं तो स्वाभाविक से बात है विदेश नीति भी बदलेगी. विदेश नीतियों के मामले में हमारी क्षमताएं बढ़ी हैं. हम आज बेबाकी से अपनी बात रखते हैं और अपनी जनता के हितों के मद्देनजर ही काम करते हैं. उन्होंने स्पष्ट तौर पर कहा कि बीते 9 सालों और यहां तक कि अभी के चार सालों में विदेश नीति में बड़ा फर्क आया है.
क्यों खरी-खरी बोलते दिखते हैं एस जयशंकर?
जब उनसे पूछा गया कि पहली बार भारत का विदेश मंत्री फ्रंट फुट पर खेलता दिख रहा है, कैसे? इस पर उन्होंने कहा कि 'अब मैं प्रोफेशनल डिप्लोमेट नहीं हूं, राजनीतिक व्यक्ति हूं. पीएम मोदी का निर्देश था कि हमें सबसे पहले इंडियन कंज्यूमर इंट्रेस्ट देखना है. हमारी कोशिश होनी चाहिए कि दुनिया के मार्केट में हम सस्ते में तेल कैसे खरीदें. तेल लेने में कोई प्रतिबंध नहीं था. पश्चिमी देश खुद तेल ले रहे थे, लेकिन आपको ज्ञान दे रहे हैं कि आप नहीं लोग, ये मुझे लगा कि ये डबल स्टैंडर्ड है. जबकि आपको पब्लिक में लोग टोकते हैं तो पब्लिक में जवाब भी देना होता है. पीएम मोदी हमारे रोज के निर्णयों के लिए विजन देते हैं. इससे हमारे काम का विजन क्लियर होता है.'
इसी बातचीत में सवाल आया कि मु्स्लिम देशों के साथ आपने अच्छे संबंध कर लिए, लेकिन देश के अंदर अच्छे संबंध नहीं है. ऐसी ही बात बराक ओबामा ने कही. इस पर विदेश मंत्री ने कहा कि 'विपक्ष तो कहेगा ही. अगर आप को उस किस्म के हैं व्यक्ति (ओबामा या कोई और भी) देश में साढ़े तीन करोड़ घर दिए, 80 करोड़ लोगों को खाना मिलता है, जनधन योजना आदि या ऐसी योजनाओं में किसी के साथ भेदभाव हुआ है? ये बहुत फेयर गवर्नेंस है. बराक ओबामा की टिप्पणी पर कहा कि, आज की राजीनीति नेशनल बाउंड्री में नहीं रह गई है. लोगों को लगा कि ये विजिट बहुत सफल होगी, जो कहा गया, जो लोग इससे कंफर्टेबल महसूस नहीं करते थे, तो उन्होंने जो कहना था वो कहा.'
'मंत्री मैं हूं, विजन उनका है'
बातचीत के दौरान उनसे जब सवाल किया गया कि असली विदेश मंत्री कौन हैं? तो इसके जवाब में एस जयशंकर ने कहा कि, ये सवाल गलत है. असली मंत्री मैं हूं, लेकिन अगर आप कहेंगे कि सोच किसकी है, विजन किसका है? तो मैं कहूंगा कि विजन पीएम मोदी का है.
गोवा एससीओ समिट में क्यों दिखे थे नाराज?
जब आप किसी इवेंट पर आते हैं. तो उस इवेंट का प्रॉपर एजेंडा होता है. उस पर बात होती है. वो आए एससीओ मीटिंग में और वो बात करने लगे किसी और विषय पर. बेसिकली वह गलत लेन में थे. बिलावल भुट्टो गोवा एससीओ समिट में आए थे. उस समय इस पर काफी चर्चा हुई थी. वह कश्मीर पर बोलने लगे, आतंकवाद को जस्टिफाई करने लगे. उन्होंने कहा कि, मैं गुस्से में नहीं था, लेकिन जो हुआ वह गलत था. वह एक सही प्लेटफॉर्म का मिसयूज कर रहे थे.
चीन-पाकिस्तान पर कही ये बात
चुनाव प्रचार में आपके खिलाफ एक माहौल बनेगा, विपक्ष के लोग जरूर कहेंगे कि पाकिस्तान का कुछ बिगाड़ नहीं पाए और चीन से डर गए. इस पर विदेश मंत्री ने कहा कि 'भारत की पब्लिक ये जानेगी कि दोनों झूठ हैं. अगर आप आज पाक के हालात और उसकी क्रिडिबिलिटी देखें, अगर आज दुनिया में आतंकवाद के खिलाफ जो एक विचारधारा है वह कैसे बनी? इसे पश्चिमी देशों ने तो नहीं बनाया न. चीन के बारे में कहूं तो जो हमारे 1993-1996 के अग्रीमेंट जो थे, चीन ने उसका उल्लंघन किया है. भारत में मिलिट्री डिप्लायमेंट चीनी बॉर्डर पर जो इस समय है, वह पहले कभी नहीं देखा गया.'