राजस्थान के फलोदी में हुए सड़क हादसों के मामले की सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (NHAI) और प्रशासन की कार्यप्रणाली पर कड़ी नाराजगी जताई है. अदालत ने साफ कहा कि NHAI द्वारा दाखिल हलफनामा ऐसा प्रतीत होता है जैसे वह हादसों की जिम्मेदारी ठेकेदारों या स्थानीय प्रशासन पर डालकर खुद को बचाने की कोशिश कर रहा हो.
कोर्ट ने सवाल उठाया कि आखिर इन हादसों के लिए वास्तविक रूप से जिम्मेदार कौन है और पीड़ितों के लिए सही कानूनी उपाय क्या है. कोर्ट ने कहा कि यह मामला सिर्फ फलोदी या सीतापुर तक सीमित नहीं है, बल्कि भारत माला परियोजना के तहत बने हाईवे पर यह समस्या देशभर में देखने को मिल रही है.
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सुनवाई के दौरान सॉलिसिटर जनरल (SG) ने दलील दी कि देश में स्पीड लिमिट से जुड़े कानून और नियम मौजूद हैं. इस पर पीठ ने टिप्पणी करते हुए कहा कि वे खुद भारत माला हाईवे पर नियमित यात्रा करते हैं और यह समस्या लगभग हर जगह नजर आती है. अदालत ने कहा कि कई जगह सर्विस रोड या निकास बिंदुओं के आसपास ट्रक कहीं भी खड़े कर दिए जाते हैं और अवैध ढाबे संचालित हो रहे हैं, जिससे दुर्घटनाओं का खतरा बढ़ जाता है.
NHAI समय-समय पर जिलाधिकारियों को लिखता ही चिट्ठी
SG ने स्वीकार किया कि सर्विस रोड पर ढाबे नहीं होने चाहिए और ये अवैध हैं. उन्होंने बताया कि ढाबों को हटाने की प्राथमिक जिम्मेदारी NHAI की है, लेकिन इस अधिकार को जिला मजिस्ट्रेटों को सौंपा गया है, जिनके अधीन नगर निकाय और पुलिस आते हैं. NHAI समय-समय पर जिलाधिकारियों को पत्र लिखकर कार्रवाई की मांग करता है.
इस पर सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया कि अधिकार सौंप देने से NHAI की जिम्मेदारी खत्म नहीं हो जाती. खासकर उन इलाकों में जहां हाईवे शहरों या खेतों से गुजरते हैं, वहां अतिक्रमण और अव्यवस्थित पार्किंग आम बात हो गई है.
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NHAI से मामले पर कोर्ट ने मांगी रिपोर्ट
अदालत ने NHAI को निर्देश दिया कि वह विस्तृत रिपोर्ट दाखिल करे, जिसमें यह स्पष्ट किया जाए कि उसके पास क्या अधिकार हैं, कौन से नियम लागू हैं और नियमों को लागू न करने के लिए जिम्मेदार कौन है. कोर्ट ने यह भी संकेत दिया कि जरूरत पड़ने पर वह स्वतः संज्ञान लेते हुए एक एडवोकेट कमिश्नर नियुक्त कर सकती है, जो मौके पर जाकर वीडियो रिकॉर्डिंग के जरिए हालात की रिपोर्ट पेश करेगा.
सुप्रीम कोर्ट ने साफ कहा कि केवल नियमों की सूची पेश करना पर्याप्त नहीं होगा, बल्कि जमीनी स्तर पर समस्या का विस्तृत विश्लेषण जरूरी है, ताकि ऐसे हादसे आगे ना हो.