
देशभर के सभी राज्यों में राजभवन का नाम बदल दिया गया है. अब राजभवन को लोकभवन से जाना जाएगा. केंद्रीय गृहमंत्रालय के निर्देश के बाद आधारिक रूप से अब राजभवन को लोकभवन कहा जाएगा.
केंद्र में मोदी सरकार को 11 साल से ज्यादा समय बीत चुका है. एक दशक में नाम बदलने के कई उदाहरण सामने आए हैं. जैसे - राजपथ का नाम बदलकर कर्तव्य पथ कर दिया गया तो प्रधानमंत्री आवास अब लोक कल्याण मार्ग कहलाता है.
मोदी सरकार की ओर से नाम बदलना साफ संदेश देता है कि सत्ता पद लाभ उठाने के लिए नहीं, बल्कि जिम्मेदारी है. ये नाम बदलना बस दिखावे के लिए नहीं. बल्कि संदेश देती है कि सोच में बड़ा बदलाव है. जो सरकार को जनता की सेवा करने वाली है, न कि सिर्फ सत्ता चलाने वाली.

1. राजपथ से कर्तव्य पथ
पहले इसे राजपथ कहा जाता था, यानी राजाओं का रास्ता या शक्ति का प्रतीक" अब इसका नाम कर्तव्य पथ रखा गया है - यानी “कर्तव्य का रास्ता”. यह संदेश देता है कि सत्ता कोई अधिकार नहीं, बल्कि जिम्मेदारी और सेवा का अवसर है.

2. रेस कोर्स रोड से लोक कल्याण मार्ग
प्रधानमंत्री का आधिकारिक निवास पहले रेस कोर्स रोड कहलाता था, जिसे 2016 में लोक कल्याण मार्ग नाम दिया गया - मतलब “लोक कल्याण का रास्ता”. यह नाम जनता के भले के लिए काम करने का भाव दिखाता है, न कि विशेषाधिकार या प्रतिष्ठा का.
3. सेवा तीर्थ
प्रधानमंत्री कार्यालय (PMO) वाले नए परिसर को सेवा तीर्थ नाम दिया गया है - यानी “सेवा का पवित्र स्थान”. नाम यह बताता है कि यह जगह सेवा और समर्पण की भावना का केंद्र है. ताकि वह स्थान केवल प्रशासनिक केंद्र न होकर सेवा-प्रधान कार्यों का प्रतीक बने.
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4. सेंट्रल सचिवालय से कर्तव्य भवन
जो बड़ा प्रशासनिक केंद्र पहले सेंट्रल सचिवालय कहलाता था, अब कर्तव्य भवन कहलाएगा. यह नाम इस बात पर जोर देता है कि सरकारी पद कोई सम्मान नहीं, बल्कि जनता की सेवा का कर्तव्य है.

सेवा और ज़िम्मेदारी की नई सोच
अब राजभवन को लोकभवन बुलाना दर्शाता है कि शासन की हर ईंट-पत्थर में "कर्तव्य" और "जनसेवा" का भाव जोड़ा जा रहा है. ये बदलाव ऐसे देखने में लोगों को प्रतीकात्मक लग सकते हैं, लेकिन असलियत में यह लोकतंत्र की दिशा बदलने वाली उस सोच को दर्शाता है.
हर एक ऑफिस, बिल्डिंग और नाम इस बात का सबूत हैं कि सरकार का काम है जनता की सेवा करना.
नाम बदलना मतलब सोच बदलना
सरकारी संस्थाएं अब ‘सेवा’, ‘कर्तव्य’ और ‘जनता सबसे पहले’ की भाषा बोल रही हैं. ये संकेत हमें बताते हैं कि भारतीय लोकतंत्र अब सेवा की प्राथमिकता दे रहा है, ताकत और आदर से ज्यादा. यह एक नई शुरुआत है जिसमें पॉवर को नहीं बल्कि जिम्मेदारी को महत्व मिलेगा.
गुजरात-महाराष्ट्र के राज्यपाल ने शेयर की तस्वीर
गुजरात और महाराष्ट्र के राज्यपाल आचार्य देवव्रत ने एक्स पर पोस्ट करते हुए बताया कि गुजरात राजभवन का नाम अब ‘गुजरात लोकभवन’ होगा.