पहलगाम में हुए आतंकी हमले के एक दिन बाद बीएसएफ के जवान पूर्णम कुमार शॉ गलती से इंटरनेशनल बॉर्डर क्रॉस कर पाकिस्तान पहुंच गए थे. बीस दिन बाद पाकिस्तानी रेंजर्स ने भारत को उन्हें सौंप दिया. अब कॉन्स्टेबल शॉ पर पाकिस्तान में हुई बर्बरता की कहानी सामने आई है.
सूत्रों का कहना है कि पीके शॉ ने पाकिस्तान की कस्टडी में काफी बर्बरता सही. सूत्रों का कहना है कि उन्हें ब्रश नहीं करने दिया गया. उन्हें सोने नहीं दिया गया. उन्हें शारीरिक तौर पर प्रताड़ना नहीं दी गई बल्कि मानसिक तौर पर भी उन्हें यातना दी गई. उन्हें कस्टडी में रहने के दौरान तीन जगह ले जाया गया. उन्हें एयरबेस के पास भी ले जाया गया ताकि वह विमानों के उड़ने की आवाज सुन सके.
सूत्रों का कहना है कि पाकिस्तानी अधिकारी जब शॉ से पूछताछ करने आते थे तो वे अधिकतर सिविलियन कपड़े पहनते थे. शॉ बीएसएफ में 16 साल से हैं. उनकी पोस्टिंग हाल ही में फिरोजपुर में हुई थी. उनसे आईबी पर तैनात वरिष्ठ अधिकारियों के बारे में भी पूछताछ की गई.
अधिकतर समय उनकी आंख पर पट्टी बांधकर अलग-अलग जगह ले जाया जाता था. एक जगह उन्हें जेल में भी रखा गया. उनके साथ गाली-गलौच भी दी गई. प्रोटोकॉल के मुताबिक, बीएसएफ ने तलाशी के बाद उनके कपड़े नष्ट कर दिए.
बता दें कि पाकिस्तान ने भारत के बीएसएफ जवान पूर्णम कुमार शॉ को 14 मई को भारत को सौंप दिया. पाकिस्तानी रेंजर्स ने अटारी वाघा सीमा के रास्ते बीएसएफ कॉन्स्टेबल को वापस भेजा. वे पिछले करीब बीस दिनों से पाकिस्तान के कब्जे में थे. कॉन्स्टेबल पूर्णम कुमार कल सुबह 10:30 बजे वतन वापस लौटे थे.
कैसे पाकिस्तान पहुंच गए थे पूर्णम कुमार?
पूर्णम कुमार गलती से इंटरनेशनल बॉर्डर क्रॉस करके पाकिस्तान पहुंच गए थे, जिसके बाद पाकिस्तान रेंजर्स ने उन्हें हिरासत में ले लिया था. वे पंजाब के फिरोजपुर सेक्टर में तैनात थे. भारत ने 7 मई को ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के तहत आतंकी ठिकानों पर सटीक हमले किए. पाकिस्तान ने भी जवाबी हमले किए, जिससे तनाव बढ़ गया. ऐसे में पूर्णम के परिवार की चिंता और भी बढ़ गई थी.