बॉम्बे हाईकोर्ट ने मंगलवार को पुणे के पोर्श कांड मामले में नाबालिग आरोपी के पिता विशाल अग्रवाल, सासून अस्पताल के दो डॉक्टरों समेत आठ आरोपियों की जमानत याचिका खारिज कर दी है. कोर्ट ने अपराध की गंभीरता और गवाहों को प्रभावित करने तथा सबूतों से छेड़छाड़ की आशंका को देखते हुए ये फैसला सुनाया.
बॉम्बे हाईकोर्ट ने मंगलवार को नाबालिग आरोपी के पिता विशाल अग्रवाल, सासून अस्पताल के दो डॉक्टरों और अन्य समेत कुल आठ आरोपियों की जमानत अर्जियां खारिज करते हुए सख्त टिप्पणी की.
कोर्ट ने कहा कि इस मामले में जो अपराध हुआ है, वह बहुत ही गंभीर प्रकृति का है. ऐसी स्थिति में आरोपियों को जमानत देना सही नहीं होगा.
अदालत ने आशंका जताई कि यदि आरोपियों को बाहर जाने दिया गया तो वह मामले से जुड़े गवाहों को प्रभावित कर सकते हैं और सबूतों में हेरफेर करने की कोशिश कर सकते हैं.
'सबूतों से छेड़छाड़'
राज्य की ओर से कोर्ट में पेश हुए विशेष लोक अभियोजक शिशिर ने जमानत का विरोध किया. उन्होंने तर्क दिया कि आरोपियों ने हादसे के तुरंत बाद ब्लड सैंपल बदलकर महत्वपूर्ण सबूतों से छेड़छाड़ की और न्यायिक प्रक्रिया के साथ धोखा किया.
अधिवक्ता ने कहा कि कई गवाह अस्पताल में डॉक्टरों के जूनियर हैं या आर्थिक रूप से कमजोर हैं, जिन्हें प्रभावित किया जा सकता है.
कोर्ट ने अभियोजन के तर्कों से सहमति जताते हुए कहा कि अपराध की गंभीरता और गवाहों पर प्रभाव की संभावना को देखते हुए जमानत नहीं दी जा सकती.
क्या है मामला
बता दें कि ये मामला 19 मई 2024 का है, जब कल्याणी नगर में एक नाबालिग ने कथित तौर पर शराब पीकर पोर्श कार चलाई और दो आईटी प्रोफेशनल्स- अनीश अवधिया और अश्विनी कोष्टा को टक्कर मार दी, जिससे उनकी मौत हो गई.
हादसे के बाद ब्लड सैंपल में छेड़छाड़ और जांच में कई कथित अनियमिताओं का पर्दाफाश हुआ था, जिसमें अग्रवाल परिवार के सदस्यों और सासून अस्पताल के स्टाफ की मिलीभगत सामने आई थी.