राहुल गांधी के खिलाफ वीडी सावरकर पर कथित मानहानिकारक बयान के मामले में पुणे की विशेष एमपी-एमएलए अदालत ने बड़ा फैसला सुनाया है. अदालत ने सावरकर के पोते सत्यकी सावरकर की उस अर्जी को खारिज कर दिया जिसमें उन्होंने 2023 के लंदन वाले कथित बयान का यूट्यूब वीडियो कोर्ट में चलाने की अनुमति मांगी थी.
गवाही के दौरान 14 नवंबर को सबूत के तौर पर दी गई सीडी खाली निकली. इसके बाद सत्यकी के वकील संग्राम कोल्हटकर ने यूट्यूब का मूल लिंक चलाने की मांग की, लेकिन राहुल गांधी के वकील मिलिंद पवार ने इसका विरोध किया. अदालत ने अपने आदेश में कहा कि शिकायतकर्ता ने सीडी के संबंध में भारतीय साक्ष्य अधिनियम की धारा 65-बी के अनुसार प्रमाण पत्र दाखिल किया है, लेकिन उसी प्रमाण पत्र का उपयोग यूट्यूब यूआरएल के लिए नहीं किया जा सकता है.
यह भी पढ़ें: राहुल गांधी पर झूठी गवाही का आरोप, सावरकर के परपोते ने पुणे कोर्ट में दी अर्जी
सत्यकी ने 27 नवंबर को एक अतिरिक्त सीडी चलाने की अर्जी दी, लेकिन जज अमोल शिंदे ने कहा कि रिकॉर्ड में ऐसी कोई सीडी मौजूद ही नहीं है. सत्यकी के वकील ने कोर्ट को बताया, '2023 में केस दर्ज होने पर हमने मूल वीडियो वाली सीडी और यूट्यूब लिंक दिया था. उस वक्त जज ने वीडियो देख भी लिया था. अब सीडी खाली है. हमने खाली सीडी और गायब अतिरिक्त सीडी की न्यायिक जांच की मांग की है.'
सत्यकी सावरकर का आरोप है कि राहुल गांधी ने लंदन में दावा किया था कि वीडी सावरकर ने अपनी किताब में लिखा है कि उन्होंने और उनके 5-6 दोस्तों ने एक मुस्लिम व्यक्ति को पीटा और उन्हें इससे खुशी हुई. उन्होंने कहा कि वीडी सावरकर ने कभी ऐसा कुछ नहीं लिखा और न ही ऐसी कोई घटना हुई. सत्यकी ने कहा कि राहुल गांधी ने मनगढ़ंत कहानी के जरिए वीडी सावरकर को बदनाम करने की कोशिश की.