राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने SHANTI (Sustainable Harnessing and Advancement of Nuclear Energy for Transforming India) बिल को मंजूरी दे दी है. एक सरकारी नोटिफिकेशन में कहा गया है कि राष्ट्रपति ने शनिवार को SHANTI बिल को मंज़ूरी दी. संसद ने इस कानून को शीतकालीन सत्र के दौरान पास किया था.
SHANTI बिल सिविल न्यूक्लियर सेक्टर को कंट्रोल करने वाले सभी मौजूदा कानूनों को समेटता है और इसे प्राइवेट कंपनियों के लिए खोलता है. यह 1962 के एटॉमिक एनर्जी एक्ट और 2010 के न्यूक्लियर डैमेज के लिए सिविल लायबिलिटी एक्ट को खत्म करता है, जिनके बारे में सरकार ने कहा था कि वे देश में परमाणु ऊर्जा के विकास में रुकावट बन गए थे.
नए कानून के तहत, प्राइवेट कंपनियां और जॉइंट वेंचर सरकार से लाइसेंस लेकर न्यूक्लियर पावर प्लांट बना सकते हैं, उनके मालिक हो सकते हैं, उन्हें चला सकते हैं और उन्हें बंद कर सकते हैं.
क्या-क्या सरकार के कंट्रोल में रहेगा?
SHANTI बिल यह भी साफ करता है कि रणनीतिक और संवेदनशील गतिविधियां राज्य के कंट्रोल में रहेंगी. यूरेनियम और थोरियम की माइनिंग, एनरिचमेंट, आइसोटोपिक सेपरेशन, इस्तेमाल किए गए फ्यूल की रीप्रोसेसिंग, हाई-लेवल रेडियोएक्टिव कचरे का मैनेजमेंट और भारी पानी का प्रोडक्शन सिर्फ़ केंद्र सरकार या सरकार के मालिकाना हक वाली संस्थाओं द्वारा ही किया जाएगा.
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SHANTI बिल के लागू होने से भारत के सिविल न्यूक्लियर फ्रेमवर्क में एक बड़ा बदलाव आया है, जिसमें सरकार ने बिजली उत्पादन को प्राइवेट कंपनियों के लिए खोल दिया है, जबकि न्यूक्लियर फ्यूल साइकिल के ज़रूरी पहलुओं पर अपना कंट्रोल बनाए रखा है.
यह मंज़ूरी राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू द्वारा विकसित भारत-रोजगार और आजीविका मिशन (ग्रामीण) (VB-G RAM G) बिल, 2025 को उनके द्वारा सहमति देने के कुछ घंटों बाद मिली. इसके साथ ही, दो दशक पुराना महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोज़गार गारंटी अधिनियम (MGNREGA) अब एक नए कानूनी ढांचे से तब्दील कर दिया गया है. सरकार का दावा है कि नया कानून विकसित भारत 2047 विज़न के मुताबिक है.