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कोलकाता के सरकारी अस्पताल ने रचा इतिहास! गर्भवती महिला की ओपन हार्ट सर्जरी सफल

यह पूर्वी भारत में किसी भी सरकारी अस्पताल में इस तरह की पहली सफल सर्जरी बताई जा रही है. डॉक्टरों के मुताबिक, महिला करीब पांच महीने की गर्भवती थीं और ऐसे में भ्रूण की मृत्यु की संभावना 90 प्रतिशत तक थी.

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डॉक्टरों के अनुसार गर्भस्थ शिशु में भी कोई तत्काल जटिलता नहीं दिखी है. (Photo- ITG)
डॉक्टरों के अनुसार गर्भस्थ शिशु में भी कोई तत्काल जटिलता नहीं दिखी है. (Photo- ITG)

कोलकाता के राज्य सरकार संचालित एसएसकेएम (SSKM) अस्पताल में डॉक्टरों की एक विशेष टीम ने एक दुर्लभ और बेहद जोखिम भरी ओपन हार्ट सर्जरी कर गर्भवती महिला और उसके अजन्मे बच्चे दोनों की जान बचाकर चिकित्सा इतिहास रच दिया है. यह पूर्वी भारत में किसी भी सरकारी अस्पताल में इस तरह की पहली सफल सर्जरी बताई जा रही है.

अस्पताल के वरिष्ठ सर्जन डॉ. सुवेंदु शेखर महापात्रा ने रविवार को बताया, “यह मामला देश में बहुत दुर्लभ है और पूर्वी भारत में किसी सरकारी संस्थान में ऐसा पहली बार हुआ है. यह हमारे लिए गर्व का क्षण है.”

कूचबिहार की रहने वाली जबा बर्मन की हालत थी गंभीर

मरीज जाबा बर्मन, उम्र 21 वर्ष, कूचबिहार की रहने वाली हैं और उनकी शादी एक बैटरी रिक्शा चालक निताई बर्मन से हुई है. सितंबर में जबा को अचानक सांस लेने में तकलीफ होने लगी. जांच में पता चला कि उन्हें रप्चर्ड साइनस ऑफ वल्साल्वा (Ruptured Sinus of Valsalva) नामक दुर्लभ और जानलेवा हृदय रोग है. इसमें दिल की मुख्य रक्त वाहिका एऑर्टा (Aorta) का हिस्सा फट जाता है और दिल के अंदर असामान्य रक्त प्रवाह शुरू हो जाता है. यह स्थिति न केवल मां बल्कि गर्भस्थ शिशु के लिए भी जानलेवा थी.

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स्थिति की गंभीरता देखते हुए जबा को उत्तर बंगाल के कूचबिहार से कोलकाता के एसएसकेएम अस्पताल रेफर किया गया.

पहले डिवाइस लगाने की कोशिश, लेकिन हालात बिगड़ते गए

अस्पताल के कार्डियोलॉजी विभाग ने शुरू में एक डिवाइस लगाकर ब्लड लीक रोकने की कोशिश की, लेकिन समस्या पूरी तरह खत्म नहीं हुई. जाबा की तबीयत लगातार बिगड़ती चली गई. उन्हें बुखार, पीलिया और एनीमिया जैसी जटिलताएं होने लगीं.

डॉक्टरों के मुताबिक, जबा करीब पांच महीने की गर्भवती थीं और ऐसे में भ्रूण की मृत्यु की संभावना 90 प्रतिशत तक थी. इस परिस्थिति में अस्पताल ने कार्डियोथोरेसिक एंड वैस्कुलर सर्जरी (CVTS), एनेस्थीसिया, परफ्यूजन और गाइनाकोलॉजी विशेषज्ञों की एक संयुक्त मेडिकल बोर्ड गठित की.

दिल थाम देने वाली सर्जरी

इसके बाद डॉक्टरों ने बेहद जटिल और जोखिम भरी ओपन हार्ट सर्जरी करने का निर्णय लिया. सर्जरी के दौरान जबा को कार्डियोपल्मोनरी बाईपास मशीन पर रखा गया यानी दिल को अस्थायी रूप से रोककर कृत्रिम रूप से रक्त संचार जारी रखा गया. इस प्रक्रिया के दौरान गर्भस्थ शिशु को किसी भी तरह की हानि न पहुंचे, इसका विशेष ध्यान रखा गया. सर्जरी सफल रही. जबा की हालत अब स्थिर है और डॉक्टरों के अनुसार गर्भस्थ शिशु में भी कोई तत्काल जटिलता नहीं दिखी है.

मुख्य सर्जन प्रो. डॉ. सुवेंदु शेखर महापात्रा ने कहा, "यह जीत सरकारी चिकित्सा व्यवस्था की क्षमता दिखाती है यह मामला बेहद जोखिम भरा था, क्योंकि मरीज को पीलिया और एनीमिया जैसी समस्याएं भी थीं. हमने मां और बच्चे दोनों को सुरक्षित रखा. यह हम सबके लिए गर्व और राहत की बात है.”

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