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PM Modi in Nepal: नेपाल के लुम्बिनी क्यों जा रहे हैं पीएम मोदी? इस जगह का भगवान बुद्ध से क्या है कनेक्शन

PM Modi in Nepal: 2014 में प्रधानमंत्री बनने के बाद मोदी का ये 5वां नेपाल दौरा है. प्रधानमंत्री मोदी नेपाल के प्रधानमंत्री शेर बहादुर देउबा के निमंत्रण पर नेपाल पहुंच रहे हैं. यहां वो भगवान बुद्ध की जन्मस्थली लुम्बिनी का दौरा करेंगे.

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प्रधानमंत्री मोदी का ये 5वां नेपाल दौरा है
प्रधानमंत्री मोदी का ये 5वां नेपाल दौरा है
स्टोरी हाइलाइट्स
  • लुम्बिनी का दौरा करेंगे प्रधानमंत्री मोदी
  • गौतम बुद्ध की जन्मस्थली है लुम्बिनी
  • लुम्बिनी में 563 ईपू में हुआ था जन्म

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज नेपाल की यात्रा पर हैं. वो यहां गौतम बुद्ध की जन्मस्थली लुम्बिनी का दौरा करेंगे. लुम्बिनी में पीएम मोदी मायादेवी मंदिर में पूजा-अर्चना करेंगे. 2014 में प्रधानमंत्री बनने के बाद मोदी का ये 5वां नेपाल दौरा है.

लुम्बिनी दक्षिणी नेपाल के तराई क्षेत्र में स्थित है. ये भारतीय सीमा के बेहद करीब है. ये स्थल अब एक बौद्ध तीर्थ केंद्र के रूप में विकसित किया जा रहा है. 

लुम्बिनी वो जगह है जहां सिद्धार्थ गौतम यानी भगवान बुद्ध का जन्म हुआ था. माना जाता है कि 563 ईसा पूर्व में महामाया देवी अपने मायके जा रही थीं, तभी रास्ते में उन्हें प्रसव पीड़ा हुई. उन्हें एक पेड़ के नीचे बिठाया गया, जहां उन्होंने एक बालक को जन्म दिया. इसी बालक का नाम सिद्धार्थ गौतम रखा गया. बालक को जन्म देने के बाद ही महामाया देवी का निधन हो गया. बाद में गौतम को उनकी मौसी महाप्रजापति गौतमी ने पाला. 

16 साल की उम्र में सिद्धार्थ गौतम ने यशोधरा से शादी की. उन्होंने एक बालक को जन्म दिया, जिसका नाम राहुल था. सिद्धार्थ के पिता शुद्धोदन उन्हें राजकुमार बनाना चाहते थे, लेकिन उनके मन में कुछ और ही था. बाद में सिद्धार्थ गौतम अपनी पत्नी यशोधरा और बेटे राहुल को त्यागकर वन की ओर चले गए. 

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सालों की तपस्या के बाद बिहार के बोधगया में बोधि वृक्ष के नीचे उन्हें ज्ञान की प्राप्ति हुई. यहीं वो सिद्धार्थ गौतम से गौतम बुद्ध बने. ज्ञान प्राप्ति के बाद गौतम बुद्ध ने समूचे भारत में घूमकर 'बुद्धं शरणम् गच्छामि, संघं शरणम् गच्छामि' का नारा दिया. उनका ये धर्म प्रचार का काम 40 साल तक चलता रहा. 

आखिर में उत्तर प्रदेश के कुशीनगर में पावापुरी नाम की जगह पर 80 साल की उम्र में महात्मा बुद्ध को महापरिनिर्वाण (मोक्ष) हुआ था. यहां पर बुद्ध के आठ स्तूपों में से एक स्तूप बना है, जहां बुद्ध की अस्थियां रखी थीं.

भगवान बुद्ध की जन्मस्थली होने के कारण मौर्य सम्राट अशोक ने 243 ईसा पूर्व में एक स्तंभ लेख की स्थापना की थी, जिस पर मौर्यकालीन ब्रह्म लिपि में 'हिंद बुद्धे जातेति' लिखा हुआ था. बताया जाता है कि आसमानी बिजली गिरने के कारण ये स्तंभ लेख दो टुकड़ों में बंट गया था.

 

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