मुम्बई से नवी मुंबई को जोड़ता एक पुल बनाने का प्रस्ताव 1963 में एक अमेरिकी कम्पनी ने दिया था. तबसे 51 साल बीत गए. मुम्बई के आम लोग इस रूट से आते जाते रहे, कभी लोकल में धक्के खा कर, कभी धूप धूल में ट्रैफिक जाम झेलकर. आज उनकी इस समस्या को हल मिला. इस पुल का उद्घाटन हो गया. नाम रखा गया है अटल सेतु.
नक्शा देखने पर पता चलता है कि इस पुल के बनने से मुम्बई से नवी मुंबई की दूरी 16 किलोमीटर घटी है. और अनुमान लगाएं तो ये पुल लोगों का लगभग 45 मिनट भी बचाएगा. मुम्बई के लोगों के लिए क्यों जरूरी था ये पुल और कितनी बड़ी आसानी बनेगा अब? क्या वजहें रहीं जो इसके निर्माण तक पहुंचने में 51 साल लगे? सुनिए ‘दिनभर’ की पहली ख़बर में.
पिछले साल कर्नाटक में जब विधानसभा चुनाव हुए थे, बीजेपी ने अपने कई मौजूदा विधायकों के टिकट काटे थे. हालांकि चुनाव के नतीजे बीजेपी के अनुरूप नहीं रहे और कांग्रेस सत्ता में आई. लेकिन ये फॉर्मूला जरूर बीजेपी कई राज्यों में अपना चुकी है और सफल भी रही है. अब कहा जा रहा है कि पार्टी इस बार के लोकसभा चुनावों में कई सांसदों का टिकट काटेगी और नए उम्मीदवार उतारेगी. हाल ही में बीजेपी ने बीएस येदियुरप्पा के बेटे के विजयेंद्र को वहाँ का प्रदेश अध्यक्ष बनाया है. जिसका कई नेताओं ने विरोध भी किया. इस विरोध के बावजूद नई लीडरशिप के साथ चुनावों में भी बीजेपी नए प्रयोग के मूड मे है. सवाल ये है कि अगर बीजेपी की यही रणनीति होने जा रही है तो इसके पीछे के फैक्टर्स क्या होंगे, सांसद स्तर के नेताओं के टिकट क्यों कटेंगे? सुनिए ‘दिनभर’ की दूसरी ख़बर में.
जम्मू कश्मीर राज्य में कश्मीर के लोग दशकों से आतंकी घटनाओं से पीड़ित हैं ये कोई नई बात नहीं. लेकिन नई बात ये है कि आतंक पीड़ित ज़िलों में दो नाम हाल के कुछ सालों में जुड़े हैं वो हैं पुंछ और राजौरी. हाल में हुए हमले, मौते और सेना की कार्रवाई कुछ इसी ओर इशारा करते हैं.इस बात को और बल मिला जब इस पर सेना प्रमुख जनरल मनोज पांडेय का बयान आया.
सेना प्रमुख जनरल मनोज पांडे ने कहा कि जम्मू-कश्मीर के पीर पंजाल रेंज में बढ़ता आतंकवाद और आतंकी घटनाएं चिंता का विषय है. आर्मी इसको लेकर काम भी कर रही है लेकिन आम आदमी को भी थोड़ा सजग रहना होगा. बीते कुछ सालों में आतंकी घटनाओं के आंकड़े भी क्या कहते हैं, इसकी बढ़ोतरी के क्या है कारण, आतंकियों को रोकने के लिए सेना की तरफ से क्या स्टेप्स लिए गए हैं? सुनिए ‘दिन भर’ की तीसरी ख़बर में.
अमेरिका और ब्रिटेन की सेना ने यमन में हूती विद्रोहियों के ठिकानों पर हमला किया है. अमेरिका ने अपने सहयोगी देशों के साथ हमला तब शुरू किया है. जब उसका एक अहम सहयोगी इजरायल ग़ज़ा में हमास के साथ युद्ध कर रहा है. ग़ज़ा में इजरायली हमले के ख़िलाफ़ मध्य-पूर्व के इस्लामिक देश एकजुट दिख रहे थे. हूती विद्रोहियों को ईरान समर्थित कहा जाता है और सऊदी अरब यमन में हूती विद्रोहियों के ख़िलाफ़ सालों से लड़ता रहा है. अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने कहा है कि यमन में हूती विद्रोहियों के खिलाफ ये एक्शन हाल के दिनों में लाल सागर में जहाजों पर हुए हमलों का बदला है. हालांकि हूतियों ने अमेरिकी अटैक के बाद कहा है कि वो लाल सागर में अपने हमले जारी रखेंगे.
न्यूज एजेंसी रॉयटर्स के मुताबिक यमन में किए जा रहे हमलों में अमेरिका और ब्रिटेन की सेना के साथ ऑस्ट्रेलिया, बहरीन, कनाडा और नीदरलैंड भी हैं. ये हमला यमन की राजधानी सना, सदा और धमार शहरों के साथ-साथ होदेइदाह प्रांत में हुए हैं. यमन में हूती विद्रोहियों पर हमले के पीछे अमेरिका और पश्चिमी देशों का क्या मोटिव है और इसके क्या रिएक्शन हो सकते हैं, इस हमले का इजराइल-हमास वॉर पर क्या असर पड़ेगा? सुनिए ‘दिनभर’ की आखिरी ख़बर में.