दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट स्थित एनआईए की विशेष अदालत में पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI) के 20 शीर्ष नेताओं के खिलाफ आरोप तय किए जाने को लेकर शनिवार को अहम सुनवाई हुई. इस मामले में राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) ने आरोप तय करने के पक्ष में अपनी दलीलें पूरी कर दी हैं. अदालत ने अब इस मामले की अगली सुनवाई 23 दिसंबर को तय की है, जिसमें आरोपियों की ओर से अपनी दलीलें पेश की जाएंगी.
एनआईए ने कोर्ट को बताया कि PFI देश में शरिया कानून लागू करने के उद्देश्य से संगठित तरीके से काम कर रहा था. एजेंसी के अनुसार, अब प्रतिबंधित हो चुके इस संगठन ने देशभर में अपने कार्यालय खोलकर मुस्लिम युवाओं को गुमराह किया और उन्हें अन्य धर्मों के खिलाफ भड़काने की साजिश रची. एनआईए का आरोप है कि PFI का एजेंडा केवल एक सामाजिक संगठन के रूप में काम करने तक सीमित नहीं था, बल्कि उसका मकसद देश की लोकतांत्रिक व्यवस्था और संविधान के खिलाफ गतिविधियों को अंजाम देना था.
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सुनवाई के दौरान एनआईए ने यह भी दावा किया कि PFI के निशाने पर भारतीय जनता पार्टी (BJP) और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) से जुड़े कई प्रमुख नेता भी थे. एजेंसी ने कहा कि संगठन ने हिंसा फैलाने, सांप्रदायिक तनाव बढ़ाने और देश की आंतरिक सुरक्षा को कमजोर करने के लिए एक सुनियोजित नेटवर्क तैयार किया था. इसके लिए युवाओं को प्रशिक्षित किया जा रहा था और उन्हें कट्टरपंथी विचारधारा से जोड़ा जा रहा था.
बता दें कि एनआईए ने 2022 में देश के अलग-अलग हिस्सों में छापेमारी कर PFI के इन 20 शीर्ष नेताओं को गिरफ्तार किया था. इन गिरफ्तारियों के बाद केंद्रीय गृह मंत्रालय ने PFI को गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम (UAPA) के तहत प्रतिबंधित संगठन घोषित कर दिया था. अब 23 दिसंबर को होने वाली अगली सुनवाई में आरोपियों की ओर से अदालत में अपनी दलीलें रखी जाएंगी, जिसके बाद कोर्ट यह तय करेगी कि इस मामले में औपचारिक रूप से आरोप तय किए जाएं या नहीं.