जम्मू-कश्मीर (Jammu Kashmir) की बारामूला सीट से निर्दलीय लोकसभा सांसद इंजीनियर राशिद ने लोकसभा में अपनी स्पीच शुरू करने से पहले उर्दू शायर हबीब जालिब की नज़्म 'दस्तूर' पढ़ी. इंजीनियर राशिद की स्पीच में सबसे ज्यादा गौर करने वाला हिस्सा वह था, जब उन्होंने संसद आने के लिए होने वाली मुश्किल का जिक्र किया. उन्होंने अपना दर्द साझा करते हुए कहा, "आज के बाद शायद मैं संसद नहीं आ पाऊंगा. कहां से मैं डेढ़ लाख रोज लाऊं, मुझे आज बोलने दीजिए."
सांसद इंजीनियर राशिद ने अपनी स्पीच आगे बढ़ाते हुए कहा, "मेरे पैगंबर का फरमान है कि जिसने एक बेगुनाह शहरी का क़त्ल किया, उसने सारी इंसानियत का क़त्ल किया. पहलगाम में जो हुआ, वो पूरी इंसानियत का क़त्ल था."
उन्होंने सवाल खड़ा करते हुए आगे कहा कि हम कश्मीरियों से ज्यादा कौन पहलगाम में मारे गए उन लोगों के परिवारों का दर्द समझ सकता है. हम लोगों ने 1989 से आज तक ऐसे हजारों लोगों को खो दिया है. हमने तबाही देखी है, हमने क़ब्रिस्तान देखे हैं, हम लाशें उठाते-उठाते थक गए.
'कश्मीरियों के दिल जीतने होंगे...'
इंजीनियर राशिद ने कहा, "मैं ऐसी जगह से आता हूं जहां से बॉर्डर बहुत ऊपर दिखता है. आपको कश्मीरियों के दिल जीतने होंगे. मैं देख रहा हूं कि आप में से किसी एक ने भी कश्मीरियों के लिए बात नहीं की. आज रूलिंग पार्टी और विपक्ष को यह तय करना होगा."
उन्होंने आगे कहा कि देश आपको मिला 15 अगस्त 1947 को. जिन्ना हों, नेहरू हों, गांधी हों, सरदार पटेल हों, लियाकत अली खान हों... आप इंडिया को यूनाइटेड नहीं रख सके. आपने तीन हिस्से कर दिए. भारत के तीन हिस्से कर दिए. कश्मीरियों को क्यों मार रहे हैं. मैं पूछना चाहता हूं कि हमारा कुसूर क्या है. मैं पूछना चाहता हूं कि हमारे खून का जवाब कौन देगा.
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'कितने सांसद कश्मीर से थे?'
सांसद इंजीनियर राशिद ने कहा, "साठ एमपी आपने बाहर के देशों में भेज दीजिए. मैं पूछना चाहता हूं कि उनमें कश्मीर के कितने सांसद थे."
उन्होंने आगे कहा, "आप कहते हैं वहां सब कुछ ठीक है लेकिन आप हमें सोशल मीडिया पर कुछ लिखने नहीं देते हैं. लोग जेलों में मर रहे हैं. मिलिटेंसी खत्म करनी है. यहां सब ट्रंप, ट्रंप बोल रहे हैं. मैं कह रहा हूं, ट्रंप के पास कश्मीर मसले का हल नहीं है. कश्मीर का हल वहां के लोगों के पास है. यह एक राजनीतिक मामला है, सांप्रदायिक मामला नहीं है."
उन्होंने आगे कहा कि मैं आज डेढ़ लाख रुपए देकर यहां आया लेकिन जब आप मेरे लिए नहीं बोल सके, तो आप कश्मीरियों के लिए क्या बोलेंगे. मैं आपसे पूछने चाहता हूं कि सैय्यद अली गिलानी तीन बार संविधान की शपथ लेने के बाद सबसे बड़ा अलगाववादी नेता बना.
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इंजीनियर राशिद ने केंद्र सरकार की ओर मुखातिब होते हुए कहा, "आपको हिंदू राष्ट्र बनाना है, शौक से बनाओ लेकिन मेरे जम्मू कश्मीर की डेमोग्राफी टच मत कीजिए. कश्मीर के कल्चर के साथ छेड़छाड़ नहीं कीजिए. कश्मीर को कश्मीर रहने दीजिए. पाकिस्तान के साथ जो करना है, करिए हमें उससे क्या लेना है. आपका उनसे झगड़ा, हम बीच में मारे जा रहे हैं."
उन्होंने आगे कहा कि मेरी बाहर की दुनिया कुछ पता नहीं है. UN सिक्योरिटी काउंसिल में जब तालिबान की निंदा करने की बात आई तो उसका सपोर्ट किया गया. यूपी में कहा जाता था कि यहां तालिबानी शासन लाया जा रहा है. आज इतने बुरे दिन क्यों आ गए. क्या आपको तालिबान का सपोर्ट लेना पड़ेगा.
'आपके इलाकों में जंग नहीं लड़ी गई....'
ऑपरेशन सिंदूर का जिक्र करते हुए इंजीनियर राशिद ने कहा, "जो जंगें लड़ी गईं उरी में लड़ी गई, कुपवाड़ा में लड़ी गई, राजौरी में लड़ी गई, आपके इलाकों में नहीं लड़ी गई. वहां पर कितने लोग मरे क्या आपको पता है? मीडिया के लिए ये इलाके हेडलाइन की वजह तब बनते हैं, जब वहां गोलिया चलती हैं. वहां कोई इन्फ्रास्ट्रक्चर नहीं है."
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इंजीनियर राशिद को संसद आने के लिए क्यों देना पड़ता है डेढ़ लाख रुपए?
सांसद इंजीनियर राशिद टेरर फंडिंग मामले में जेल में बंद हैं. उन्हें गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम (UAPA) के तहत 2019 में गिरफ्तार किया गया था. पिछले दिनों संसद सत्र में भाग लेने के लिए दिल्ली हाई कोर्ट ने कस्टडी पैरोल दी. हालांकि, कोर्ट ने उन्हें लोकसभा की कार्यवाही में हिस्सा लेने के लिए जेल से लेकर संसद तक परिवहन और सुरक्षा व्यवस्था के लिए हर रोज़ 1.45 लाख रुपये अपनी जेब से खर्च करने के लिए कहा. इंजीनियर राशिद खर्च संसद आने के लिए खर्च से राहत पाने के लिए कोर्ट के चक्कर भी लगा रहे हैं लेकिन अभी उनकी कोशिश रंग नहीं लाई है.