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आईपीएस पराग जैन बने RAW के नए बॉस, ऑपरेशन सिंदूर में रहा था बड़ा रोल

नरेंद्र मोदी सरकार ने शनिवार को वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी पराग जैन को भारत की खुफिया एजेंसी रिसर्च एंड एनालिसिस विंग (RAW) का नया चीफ नियुक्त किया है. 

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IPS पराग जैन RAW के नए चीफ नियुक्त किए गए हैं.
IPS पराग जैन RAW के नए चीफ नियुक्त किए गए हैं.

नरेंद्र मोदी सरकार ने शनिवार को वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी पराग जैन को भारत की खुफिया एजेंसी रिसर्च एंड एनालिसिस विंग (RAW) का नया चीफ नियुक्त किया है. पंजाब कैडर के 1989 बैच के आईपीएस अधिकारी पराग जैन 1 जुलाई को दो वर्ष की अवधि के लिए RAW चीफ का कार्यभार संभालेंगे और वर्तमान प्रमुख रवि सिन्हा का स्थान लेंगे. रवि सिन्हा का कार्यकाल 30 जून को समाप्त होगा. बता दें कि RAW भारत की वो खुफिया एजेंसी है जो देश के बाहर का खुफिया ऑपरेशन देखती है. 

पावर कॉरिडोर और खुफिया हलकों में 'सुपर जासूस' के रूप में चर्चा में रहने वाले पराग जैन अपने साथ RAW में इंसान आधारित खुफिया इंटेलिजेंस (HUMINT) और तकनीक आधारित खुफिया इंटेलिजेंस (TECHINT) का अनुभव लेकर आ रहे हैं. वे अपने कामकाज के दौरान दोनों इंटेलिजेंस को बेहद प्रभावी तरीके से मिक्स कर चुके हैं और इसका उपयोग कर चुके हैं. 

अधिकारियों का कहना है कि यह संयोजन कई हाई स्टेक वाले ऑपरेशनों के लिए महत्वपूर्ण रहा है. 

हाल के वर्षों में उनका सबसे ज्यादा चर्चा में रहने वाला योगदान ऑपरेशन सिंदूर के दौरान रहा, जहां उनके नेतृत्व में खुफिया सूचनाओं के आधार पर पाकिस्तान और पाक अधिकृत कश्मीर में आतंकवाद के बुनियादी ढांचों पर सटीक मिसाइल हमले संभव हो सके.

ऑपरेशन सिंदूर के दौरान हमने देखा कि मिसाइल हमले में कुछ ही मिनट लगे, लेकिन अंदरूनी सूत्रों ने जोर देकर कहा कि जमीनी स्तर पर वर्षों की मेहनत और काफी कोशिशों के बाद नेटवर्क बनाने के कारण ही इस तरह के सटीक लक्ष्य को हासिल करना संभव हो पाया.

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भारत के सबसे चुनौतीपूर्ण सुरक्षा थिएटरों में से एक जम्मू और कश्मीर में जमीनी स्तर पर जैन का व्यापक अनुभव भी उनके पक्ष में जाएगा. अस्थिर वैश्विक माहौल में उनके अनुभव पराग जैन के काफी काम आएंगे. 

सीनियर ऑफिसर पराग जैन को व्यवस्थित और विवेकशील बताते हैं. उन्होंने अपने पूरे करियर में कई महत्वपूर्ण भूमिकाएं निभाई हैं. उन्हें 1 जनवरी, 2021 को पंजाब में पुलिस महानिदेशक (DGP) के पद पर प्रमोशन दिया गया था, हालाकि वे तब केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर सेवारत थे और इस प्रकार उन्हें केवल नाममात्र के लाभ ही मिले थे,

उन्हें केंद्रीय DGP के समकक्ष पद पर रखने के लिए भी सूचीबद्ध किया गया था. ऐसा करना राष्ट्रीय खुफिया ढांचे में उनकी साख को रेखांकित करता है. जैन इससे पहले कनाडा और श्रीलंका में भारत का प्रतिनिधित्व कर चुके हैं.

कैबिनेट की नियुक्ति समिति ने 28 जून को उनके नाम को मंजूरी दे दी, जिससे इस बात पर अटकलें खत्म हो गईं कि रवि सिन्हा का उत्तराधिकारी कौन होगा. रवि सिन्हा का कार्यकाल अपेक्षाकृत लो प्रोफाइल वाला माना गया था. 
 

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