हर भारतीय की तरह पाकिस्तान भी यही सोच रहा है कि भारत हमला कब करेगा. हमले का यही डर पाकिस्तान को सोने नहीं दे रहा है. हालात ये हैं कि पाकिस्तान के सांसद स्पेशल सेशन बुलाकर अपना डर एक दूसरे से बांट रहे हैं. और सांसद इतने डरे हुए हैं कि वो संसद में भी नहीं आना चाहते हैं. आज (सोमवार) शाम 5 बजे पाकिस्तान की नेशनल असेंबली का स्पेशल सेशन बुलवाया गया था. इस सेशन का मकसद पहलगाम हमले के बाद भारत की कार्रवाई पर चर्चा करना था. लेकिन हैरानी की बात ये थी कि इस चर्चा में बहुत ही कम संख्या में सांसदों ने हिस्सा लिया. जिस मुद्दे पर अलग-अलग मंच से पाकिस्तानी सांसद बड़ी-बड़ी बयानबाजियां कर रहे हैं, उसी मुद्दे पर चर्चा वाले दिन पाकिस्तान की संसद खाली थी. कोई भी सांसद भारत और भारतीय सेना के खिलाफ कुछ नहीं बोलना चाहता था.
पाकिस्तान के सांसदों को भी पता है कि भारत हमला करेगा ही करेगा. वो तो बस इस बात का इंतजार कर रहे हैं कि ये हमला कब होने वाला है.
शेर अफजल खान मारवात का बयान
इमरान खान की पार्टी पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ के सांसद शेर अफजल खान मारवात का कहना है कि अगर भारत ने हमला किया, तो वो उससे लड़ेंगे नहीं बल्कि इंग्लैंड भाग जाएंगे.
पाकिस्तान में युद्ध का डर
पाकिस्तान के नेता ही नहीं बल्कि उनके सैन्य अधिकारियों ने भी अपने परिवार को अलग-अलग देशों में शिफ्ट कर दिया है. उन्हें पता है कि भारत से युद्ध हुआ तो 4 दिन के अंदर ही हालात खराब हो जाएंगे क्योंकि उनके पास भारत से लड़ने की क्षमता ही नहीं है.
पाकिस्तान के पास 4 दिन का गोला-बारूद
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पाकिस्तान की मजबूरी और अंतरराष्ट्रीय दबाव
पाकिस्तानी सेना डरी हुई है कि बिना गोला-बारूद के भारत से कैसे लड़ा जाए? पाकिस्तान में इस बात पर हंगामा मचा हुआ है कि आखिर उनकी सरकार ने यूक्रेन को अपने हथियार क्यों बेचे? यूक्रेन को हथियार बेचना पाकिस्तान की मजबूरी थी.
पाकिस्तान ने अमेरिका और ब्रिटेन के कहने पर ही अपना गोला-बारूद यूक्रेन को बेचा था. और अब उसके पास भारत से युद्ध लड़ने लायक गोला-बारूद नहीं बचा है. अमेरिका और ब्रिटेन ने पाकिस्तान पर उनके जरिए यूक्रेन को हथियार बेचने का दबाव डाला था, ताकि उन्हें खुद के हथियार यूक्रेन को ना देने पड़ें. और पाकिस्तान को ये लालच दिया गया कि अगर वो यूक्रेन को अपने हथियार बेचेगा, तो उसे एफएटीएफ की ग्रे लिस्ट से हटा दिया जाएगा. कर्ज में दबा हुआ पाकिस्तान बुरी तरह से फंसा था, इसीलिए उसने अपने ज्यादातर गोला-बारूद यूक्रेन को बेच दिए. और अब वो और बुरी तरह से फंस गया है.
पाकिस्तान के रक्षा मंत्री की कन्फेशन
पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ ने अपने एक इंटरव्यू में कबूल किया था कि पाकिस्तान, आतंकवादियों को समर्थन देता है. इसी इंटरव्यू में उन्होंने अमेरिका और ब्रिटेन का नाम लेते हुए उन पर आरोप लगाया था कि पाकिस्तान उनके कहने पर ऐसा करता रहा है. ख्वाजा आसिफ के इस बयान को अमेरिका और ब्रिटेन पर दबाव डालने की कूटनीति माना गया है, ताकि ये दोनों देश मिलकर भारत पर युद्ध शुरू न करने का दबाव बनाएं. क्योंकि पाकिस्तान के पास युद्ध के लायक हथियार बचे ही नहीं हैं. पाकिस्तान की सेना इसी बात से डरी हुई है कि अगर भारत ने बड़ा युद्ध शुरू किया तो मात्र 96 घंटे में ही उन्हें सरेंडर करना पड़ेगा. और अब तो उसके आर्थिक हालात भी ऐसे नहीं हैं कि वो दूसरे देशों से हथियार खरीद सके.
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पाकिस्तान की आर्थिक स्थिति और युद्ध खर्च
अगर भारत और पाकिस्तान के बीच बड़ा युद्ध होता है तो युद्ध में एक दिन का खर्च 2,100 करोड़ रुपये होगा. आप सोचिए कि पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था 32 लाख करोड़ रुपये है और उसका रक्षा बजट 66 हजार 315 करोड़ रुपये का है. वहीं पाकिस्तान की तुलना में भारत की अर्थव्यवस्था 336 लाख करोड़ रुपये और रक्षा बजट 6 लाख 81 हजार करोड़ रुपये है, यानी पाकिस्तान से 10 गुना ज्यादा है. अब आप सोचिए कि जिस युद्ध का खर्च 2,100 करोड़ रुपये प्रतिदिन होगा, वो खर्च पाकिस्तान जैसा बर्बाद देश कितने दिन उठा पाएगा? और अब तो युद्ध के खतरे की वजह से पाकिस्तान को हर दिन अपनी सेनाओं को हाई अलर्ट पर रखने के लिए 27 करोड़ रुपये खर्च करने पड़ रहे हैं. और ये खर्च भी उसे भारी पड़ रहा है.