दिल्ली से श्रीनगर जा रही इंडिगो की एक फ्लाइट 21 मई को ओलावृष्टि के कारण भीषण टर्बुलेंस (हवा में झटकों) की चपेट में आ गई थी. पायलट ने पहले भारतीय वायु सेना के अधीन आने वाले नॉर्दर्न एयर ट्रैफिक कंट्रोल (ATC) से संपर्क किया और प्लेन को ओलावृष्टि और तूफान से बचाने के लिए अपना मार्ग बदलकर पाकिस्तान की ओर जाने की अनुमति मांगी. इसके बाद पायलट ने लाहौर एटीसी से संपर्क किया और इमरजेंसी लैंडिंग की परमिशन मांगी थी. डीजीसीए के एक बयान के अनुसार, इंडिगो फ्लाइट के पायलट के दोनों अनुरोधों को अस्वीकार कर दिया गया, जिसके कारण तूफान और ओलावृष्टि के बीच ही विमान (6ई-2142) की श्रीनगर में इमरजेंसी लैंडिंग करानी पड़ी.
नई दिल्ली से श्रीनगर जा रही इस फ्लाइट ने 21 मई की शाम 6.30 बजे श्रीनगर एयरपोर्ट पर सेफ लैंडिंग की. हालांकि विमान का अगला हिस्सा (रेडोम) बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो गया था. इस विमान में क्रू मेम्बर्स सहित कुल 227 लोग सवार थे, जिनमें तृणमूल कांग्रेस के 5 सांसद भी शामिल थे. सोशल मीडिया पर सामने आए वीडियो में ए321 नियो विमान को तूफान के बीच झटके खाते हुए देखा जा सकता है. बता दें कि 21 मई की शाम उत्तर भारत में मौसम अचानक खराब हो गया था और 70 किलोमीटर प्रति घंटे से अधिक की रफ्तार से आंधी चली, ओले गिरे और बारिश हुई. इस तूफान से संबंधित घटनाओं में 50 से ज्यादा लोगों की मौत हो गई और कई पेड़ उखड़ गए. प्लेन में बैठे यात्रियों के डर से चीखने-चिल्लाने के वीडियो भी वायरल हुए हैं, जिनमें बच्चे और महिलाएं भी शामिल थे.
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पायलट ने तूफान के बीच कैसे बनाया रास्ता
डायरेक्टरेट जनरल ऑफ सिविल एविएशन (DGCA) ने कहा कि विमान पंजाब के पठानकोट के निकट लगभग 36,000 फीट की ऊंचाई पर उड़ रहा था, तभी आंधी और ओलावृष्टि की चपेट में आ गया. विमान में बहुत ज्यादा उथल-पुथल होने पर क्रू ने पहले नॉर्दर्न एटीसी से अनुरोध किया कि विमान को अंतरराष्ट्रीय सीमा की ओर मोड़ दिया जाए, जहां हाल ही में ऑपरेशन सिंदूर के दौरान भारत और पाकिस्तान के बीच भीषण संघर्ष देखने को मिला था. यह एयर ट्रैफिक कंट्रोल भारतीय वायु सेना के अधीन काम करता है. हालांकि, पायलट के अनुरोध को अस्वीकार कर दिया गया. इसके बाद पायलट ने लाहौर एटीसी से तूफान से बचने के लिए कुछ समय के लिए पाकिस्तानी हवाई क्षेत्र में जाने की अनुमति मांगी, लेकिन पाकिस्तान ने मना कर दिया. सीमित विकल्प होने के कारण पायलट ने शुरू में दिल्ली लौटने पर विचार किया.
हालांकि, घने बादलों के साथ तूफान विमान के बहुत करीब था, इसलिए वापस लौटना एक असुरक्षित विकल्प था. इसके बाद पायलट ने तूफान के बीच से होते हुए श्रीनगर की ओर आगे बढ़ने का फैसला किया, जो उसके लिए सबसे छोटा रास्ता था. तूफान से बचते समय विमान को हवा के तेज झोंके का सामना करना पड़ा, जिससे ऊपर और नीचे की तेज झटकों का सामना करना पड़ा, जिसके कारण ऑटोपायलट मोड बंद हो गया और विमान की गति में उतार-चढ़ाव होने लगा. डीजीसीए ने बयान में कहा, 'तूफानी बादल के बीच से गुजरने के दौरान, विमान के एंगल ऑफ अटैक फॉल्ट में खराबी आ गई, अल्टरनेट लॉ प्रोटेक्शन नष्ट हो गया. विमान से एयरस्पीड इंडीकेशन अलर्ट प्राप्त होने लगा.'
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पायलट की सूझबूझ से बच गई 227 जिंदगियां
डीजीसीए ने कहा कि एक समय ऐसा भी आया जब विमान की लैंडिंग स्पीड 8,500 फीट प्रति मिनट तक पहुंच गई. पायलट ने इस महत्वपूर्ण चरण के दौरान ओलावृष्टि से बाहर निकलने तक विमान का मैन्युअल नियंत्रण अपने हाथ में रखा. पायलट ने श्रीनगर एटीसी को इमरजेंसी लैंडिंग का अलर्ट भेजा, जिसके बाद रडार वेक्टर एक्टिव हो गए. विमान अंततः श्रीनगर में सुरक्षित रूप से उतरा, जिसमें किसी भी यात्री या चालक दल के सदस्य को कोई चोट नहीं आई. डीजीसीए ने कहा कि लैंडिंग के दौरान ऑटो थ्रस्ट सिस्टम सामान्य रूप से काम कर रहा था. घटना की पूरी जांच शुरू कर दी गई है.