scorecardresearch
 

नहीं चलेगी पाकिस्तान की मनमानी! सिंधु जल संधि रोके जाने के बाद भारत क्या-क्या कर सकता है?

सिंधु नदी की पांच सहायक नदियां हैं जो रावी, ब्यास, सतलुज, झेलम और चिनाब हैं. रावी, ब्यास और सतलुज नदियों को पूर्वी नदियां जबकि चिनाब, झेलम और सिंधु को पश्चिमी नदियां कहा जाता है. इनका पानी भारत और पाकिस्तान दोनों के लिए ही अहम है.

Advertisement
X
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ

जम्मू कश्मीर के पहलगाम की बैसारन घाटी में आतंकी हमले के बाद भारत सरकार ने पाकिस्तान के खिलाफ कई बड़े फैसले लिए हैं. इनमें सबसे  प्रमुख है कि भारत ने 1960 में किए गए सिंधु जल समझौते को तत्काल प्रभाव से स्थगित कर दिया है. पाकिस्तान के आतंकवाद पर रोक लगाने तक इस पर रोक लगाई गई है. ऐसे में यह जानना जरूरी हो जाता है कि इस फैसले का क्या असर होगा?

Advertisement

सिंधु नदी की पांच सहायक नदियां हैं जो रावी, ब्यास, सतलुज, झेलम और चिनाब हैं. रावी, ब्यास और सतलुज नदियों को पूर्वी नदियां जबकि चिनाब, झेलम और सिंधु को पश्चिमी नदियां कहा जाता है. इनका पानी भारत और पाकिस्तान दोनों के लिए ही अहम है.

भारत के सिंध जल आयोग में छह सालों तक सेवाएं दे चुके प्रदीप कुमार सक्सेना का कहना है कि भारत के पास कई विकल्प हैं. सिंधु जल संधि को पूरी तरह से निरस्त करना इस दिशा में पहला कदम हो सकता है, अगर सरकार इसका फैसला करती है.

उन्होंने कहा कि हालांकि सिंधु जल संधि में इसे निरस्त करने का कोई स्पष्ट प्रावधान नहीं है. हालांकि वियना कन्वेंशन के अनुच्छेद 62 में इस बात की पूरी गुंजाइश है, जिसके तहत मौजूदा हालात को देखते हुए संधि के प्रावधानों का पालन करने से इनकार किया जा सकता है.

Advertisement

उन्होंने बताया कि अब भारत किशनगंगा प्रोजेक्ट और पश्चिमी नदियों पर चल रहे दूसरे प्रोजेक्ट पर प्रतिबंधों को मानने के लिए बाध्य नहीं होगा. संधि पर रोक लगाने से भारत अब पश्चिमी नदियों के बांधों पर फ्लशिंग कर सकेगा. दरअसल, बांधों के जलाशयों में गाद जमा होने पर उसे फ्लशिंग से हटाया जाता है. इसमें पानी का बहाव तेज कर गाद को निकाला जाता है.

इस संधि की वजह से किशनगंगा जैसे प्रोजेक्ट्स में भारत को फ्लशिंग करने की इजाजत नहीं थी क्योंकि इससे पाकिस्तान को मिलने वाले पानी पर असर पड़ सकता था. लेकिन अब इसे लेकर किसी तरह की बाध्यता नहीं रहेगी. 

पिछले साल भारत ने पाकिस्तान को औपचारिक नोटिस भेजा था, जिसमें इस संधि की समीक्षा और इसमें पर्याप्त बदलाव की बात कही गई थी. इस पर सक्सेना ने कहा कि यह संधि नहीं होने की स्थिति में भारत पर किसी तरह का दायित्व नहीं होगा.

संधि के मुताबिक, सिंधु और उसकी सहायक नदियों पर बांध जैसी संरचनाएं बनाने के लिए डिजाइन पर प्रतिबंध लगा है. पहले भी पाकिस्तान ने इन डिजाइनों पर आपत्ति जताई है लेकिन भविष्य में इन चिंताओं पर ध्यान देना अनिवार्य नहीं होगा. अतीत में लगभग हर प्रोजेक्ट पर पाकिस्तान ने आपत्ति जताई है. 

2019 में पुलवामा आतंकी हमले के बाद सरकार ने लद्दाख में आठ हाइड्रोपावर प्रोजेक्ट्स को मंजूरी दी थी. लेकिन अब सिंधु नदी समझौते पर रोक के बाद पाकिस्तान की ओर से नए प्रोजेक्ट्स पर किसी तरह की आपत्ति मान्य नहीं होगी. 
 

---- समाप्त ----
Live TV

Advertisement
Advertisement