सुप्रीम कोर्ट में गुरुवार को मुंद्रा पोर्ट ड्रग्स मामले के आरोपी की तरफ से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता ने जांच एजेंसी के वकील की ओर से बेल हियरिंग के दौरान पहलगाम आतंकी हमले का जिक्र करने पर कड़ी आपत्ति जताई.
'बच्चों को मिल रही धमकियां'
वरिष्ठ अधिवक्ता आर्यमा सुंदरम ने शीर्ष अदालत के समक्ष बताया कि एडिशनल सॉलिसिटर जनरल (ASG) की ओर से पहलगाम आतंकी हमले के संदर्भ में की गई टिप्पणी के कारण आरोपी के बच्चों को स्कूल में बुली किया जा रहा है और उन्हें धमकियां मिल रही हैं.
उन्होंने कहा कि ASG के उस बयान के बाद अखबारों में आरोपी का नाम आतंकी हमले से जोड़ दिया गया, जिससे बच्चों को 'आतंकवादी के बच्चे' कहकर तंग किया जा रहा है. बच्चों को स्कूल से वापस लाना पड़ा क्योंकि उन्हें धमकी भरे फोन भी आ रहे हैं.
'दोनों मामले अलग-अलग हैं'
सीनियर एडवोकेट ने बताया कि यह मामला केवल एक सामान्य NDPS बेल का मामला था, जिसका आतंकी हमले से कोई संबंध नहीं था, फिर भी अचानक ऐसा बयान दिया गया. उन्होंने कहा कि स्पष्ट करना जरूरी है कि दोनों मामले आपस में जुड़े नहीं हैं. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ASG ने अलग मुद्दे पर बहस की थी, जिस पर वकील ने कहा, 'प्लीज देखिए अखबारों में क्या लिखा है.'
'ASG ने माफी मांग ली है'
जस्टिस सूर्यकांत ने कहा, 'मैं ऐसी न्यूज कभी नहीं पढ़ता और खुद पर कभी उनका असर भी नहीं होने देता.' कोर्ट ने कहा, 'यह कोई मुद्दा नहीं है जिस पर विचार किया जाना चाहिए. कभी-कभी वकील भावनाओं में बह जाते हैं. इस आधार पर बेल का विरोध नहीं किया गया है.'
सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कोर्ट को बताया कि ASG ने माफी मांगी है, लेकिन उन्होंने यह भी कहा कि जांच में पाया गया है कि ड्रग्स की कमाई का पैसा लश्कर-ए-तैयबा (LeT) को दिया गया है और यह वही बात है जो न्यूज रिपोर्ट्स में आई है.
'परिवार के किसी सदस्य को दिक्कत नहीं होनी चाहिए'
ASG ने कोर्ट में कहा कि बच्चों को कोई परेशानी नहीं होनी चाहिए. अगर ऐसा हो रहा है तो पुलिस स्थिति संभालेगी. कोर्ट ने भी कहा, 'परिवार के किसी सदस्य को दिक्कत नहीं होनी चाहिए. पुलिस इसका ध्यान रखेगी.' यह आपत्ति उन अखबारों की खबरों के संदर्भ में उठाई गई जिनमें NIA की ओर से ड्रग्स मामले और आरोपी को पहलगाम हमले और टेरर फंडिंग से जोड़ने की बात कही गई थी.
एएसजी ने कोर्ट में क्या कहा?
बिजनेसमैन कबीर तलवार की बेल का विरोध करते हुए ASG ने कहा था कि ड्रग्स की अंतरराष्ट्रीय कीमत 2100 करोड़ से ज्यादा है और यह पैसा आतंकवादी संगठनों को दिया जा रहा है. यह पैसा लश्कर-ए-तैयबा को गया है. ASG ने कहा, 'वे सोचते होंगे कि वे सिर्फ ड्रग्स का धंधा कर रहे हैं, लेकिन उनके हाथों निर्दोष पीड़ितों का खून भी बह रहा है.' कोर्ट ने बेल याचिका पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है.