एनसीआरबी (National Crime Records Bureau) के आंकड़ों मुताबिक, साल 2022 में देश में 28 हजार 522 मर्डर केस रजिस्टर्ड किए गए. यानि औसतन हर दिन 78 हत्याएं हुईं. साथ ही हत्या के कुल 28,522 मामले दर्ज किए गए, जो 2021 (29,272 मामले) की तुलना में 2.6% की मामूली गिरावट दर्शाता है.
वहीं, 2022 में महिलाओं के खिलाफ अपराध के कुल 4,45,256 मामले दर्ज किए गए, जो 2021 (4,28,278 मामले) की तुलना में 4.0% की वृद्धि दर्शाता है.
चार दिसंबर को जारी हुए राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) की वार्षिक अपराध रिपोर्ट के अनुसार, 2022 में हत्या की कुल 28,522 एफआईआर दर्ज की गईं यानि हर दिन औसतन 78 हत्याएं या हर घंटे तीन से अधिक हत्याएं हुईं. हालांकि, ये 2021 में 29,272 और 2020 में 29,193 मर्डर केस से कम हैं.
आंकड़ों के मुताबिक, 2022 में हत्या के 9,962 केसों में 'मामूली विवाद' कारण था. इसके बाद 3,761 मामलों में 'व्यक्तिगत प्रतिशोध या दुश्मनी' और 1,884 मामलों में 'लालच/फायदा' वजह थी. वहीं, देश भर में प्रति लाख जनसंख्या पर हत्या की दर 2.1 थी, जबकि ऐसे मामलों में आरोप पत्र दायर करने की दर 81.5 थी.
राज्यवार आंकड़े जानिए
पिछले साल उत्तर प्रदेश में सबसे अधिक 3,491 एफआईआर की गईं, उसके बाद बिहार (2,930), महाराष्ट्र (2,295), मध्य प्रदेश (1,978) और राजस्थान (1,834) राज्य रहे. इन शीर्ष पांच राज्यों में हत्या के 43.92 प्रतिशत मामले दर्ज किए गए.
एनसीआरबी के अनुसार, 2022 में सबसे कम हत्या के मामलों वाले शीर्ष पांच राज्यों में- सिक्किम (9), नागालैंड (21), मिजोरम (31), गोवा (44), और मणिपुर (47) थे.
वहीं, केंद्र शासित प्रदेशों में, राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में 2022 में हत्या के 509 मामले दर्ज किए गए. इसके बाद जम्मू-कश्मीर (99), पुडुचेरी (30), चंडीगढ़ (18), दादरा और नगर हवेली और दमन और दीव (16), अंडमान और निकोबार द्वीप समूह (7), लद्दाख (5) और लक्षद्वीप (शून्य) केस दर्ज हुए.
पूरे भारत की बात करें तो 2022 में हत्या की दर झारखंड (4) में सबसे अधिक थी. इसके बाद अरुणाचल प्रदेश (3.6), छत्तीसगढ़ और हरियाणा (दोनों 3.4), असम और ओडिशा (दोनों- 3) थे.
जबकि, प्रति लाख जनसंख्या पर अपराध के मामले में उत्तर प्रदेश (1.5), बिहार (2.3), महाराष्ट्र (1.8), मध्य प्रदेश (2.3) और राजस्थान (2.3) का प्रदर्शन बेहतर रहा.
वहीं, उम्र के संदर्भ में हत्या के 95.4 प्रतिशत पीड़ित वयस्क थे. NCRB के अनुसार, कुल हत्या पीड़ितों में से 8,125 महिलाएं और नौ तीसरे जेंडर के व्यक्ति थे. लगभग 70 प्रतिशत पीड़ित पुरुष थे.