ईडी, सीबीआई और इनकम टैक्स तीनों ही जिसकी तलाश में लगी हुई हैं, सामने आया है कि वह नंदकिशोर चतुर्वेदी उत्तर प्रदेश के लखनऊ में 200 एकड़ की टाउनशिप डेवलप करने की कोशिश कर रहा है. नंदकिशोर चतुर्वेदी वांछित हवाला ऑपरेटर है और इसके खिलाफ लुक आउट सर्कुलर भी जारी किया गया था. हाल ही में आयकर जांच की बेनामी रोकथाम इकाई ने मामले का खुलासा किया था और चतुर्वेदी और उसके साथ जुड़े लोगों के अंडर में आने वाली कंपनियों के जरिए विकसित की जा रही 200 एकड़ की टाउनशिप की अचल संपत्तियों को पीबीपीटी (बेनामी लेनदेन (निषेध) अधिनियम), 2016 के तहत अस्थायी रूप से जब्त कर लिया.
ईडी ने ठाणे में जब्त किए थे 11 फ्लैट
हैरानी की बात यह है कि चतुर्वेदी ने लखनऊ में 200 एकड़ की इंटीग्रेटेड टाउनशिप विकसित करने के लिए लाइसेंस देने के लिए उसी कंपनी ट्रू लाइव होम्स प्राइवेट लिमिटेड (जिसे पहले हमसफ़र डीलर्स प्राइवेट लिमिटेड के नाम से जाना जाता था) का इस्तेमाल किया. हमसफ़र डीलर्स प्राइवेट लिमिटेड वही कंपनी है जिसने श्रीधर पाटनकर की साईबाबा गृहनिर्मिति नामक फर्म को लोन दिया था. श्रीधर पाटनकर पूर्व मुख्यमंत्री और शिवसेना यूबीटी पार्टी के अध्यक्ष उद्धव ठाकरे के साले हैं. ईडी ने पुष्पक बुलियन और अन्य के खिलाफ मामले में मार्च 2022 में श्री साईबाबा गृहनिर्मिति प्राइवेट लिमिटेड फर्म के नीलांबरी प्रोजेक्ट ठाणे में 11 आवासीय फ्लैट जब्त किए थे.
पेपर या शेल फर्म ?
ट्रू लाइव होम्स प्राइवेट लिमिटेड (पूर्व में हमसफर डीलर्स प्राइवेट लिमिटेड के रूप में जाना जाता था) को 21-07-2005 को कंपनियों को धन शोधन की सुविधा प्रदान करने के लिए कोलकाता में शामिल किया गया था. फाइनेंशियर ईयर 2005-06 में इस कंपनी का कुल कारोबार मात्र रु. 2,442/- का रहा और उसके बाद 2006-07 में मात्र 3,782/- रुपये की कुल आय हुई. हालाँकि वर्ष 2007 में, 31-03-2007 को शेयर की कीमतों में गलत वृद्धि के कारण अधिक आय हुई.
इस कंपनी का उपयोग उसके निदेशकों, प्रमोटरों और शेयरधारकों द्वारा मनी लॉन्ड्रिंग के लिए किया गया. लगभग 46 करोड़ रुपये जब्त किए गए और इस राशि को काले धन से निकालकर कहीं और ले जाया गया. इसे इसे आनंद शर्मा नामके एंट्री ऑपरेटर ने सफेद धन बनाया था, जिसका बयान आयकर विभाग ने दर्ज कर लिया है.
नंदकिशोर चतुर्वेदी के खिलाफ क्या है ईडी की जांच
इससे पहले, प्रवर्तन निदेशालय ने पीएमएलए, 2002 के प्रावधानों के तहत 06.03.2017 को पुष्पक बुलियन और समूह की कंपनियों के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग का मामला दर्ज किया था और पहले ही पुष्पक बुलियन की 21.46 करोड़ रुपये की अचल और चल संपत्तियों को अस्थायी रूप से कुर्क कर लिया था. यह महेश पटेल, चंद्रकांत पटेल, उनके परिवार के सदस्यों और द्वारा नियंत्रित कंपनियों से जुड़ा है.
बाद की जांच से पता चला कि महेश पटेल ने नंदकिशोर चतुर्वेदी के साथ मिलीभगत करके पुष्पक समूह की कंपनी मेसर्स पुष्पक रियल्टी के फंड का गबन कर लिया था. नंदकिशोर चतुर्वेदी सीसीमोडेशन एंट्री प्रदाता हैं. पुष्पक रियल्टी डेवलपर ने बिक्री की आड़ में 20.02 करोड़ रुपये की राशि को विभिन्न संबंधित/असंबद्ध संस्थाओं के माध्यम से स्थानांतरित कर नंदकिशोर चतुर्वेदी द्वारा नियंत्रित संस्थाओं को ट्रांसफर कर दिया.
नंदकिशोर चतुर्वेदी,कई फर्जी कंपनियां चलाता है. उसने अपनी फर्जी कंपनी मेसर्स हमसफर डीलर प्राइवेट लिमिटेड के माध्यम से मेसर्स श्री साईंबाबा गृहनिधि प्राइवेट लिमिटेड को 30 करोड़ रुपये से अधिक के लोन देने के नाम पर पैसा ट्रांसफर किया. इस प्रकार, नंदकिशोर चतुर्वेदी के साथ मिलीभगत करके महेश पटेल द्वारा निकाला गया धन श्री साईंबाबा गृहनिधि प्राइवेट लिमिटेड द्वारा रियल एस्टेट परियोजनाओं में लगाया गया. चतुर्वेदी, दो पूर्व मुख्यमंत्रियों और कुछ वरिष्ठ राजनेताओं का करीबी रहा है, ऐसे में इस पर भी शक गहराता है कि वह अपने फर्जी और कागजी कंपनियों के नेटवर्क के जरिए हाई प्रॉफिट वाली परियोजनाओं में उनका काला धन लगाने का आरोपी भी हो सकता है.
200 एकड़ की टाउनशिप लाइसेंस के लिए कंपनी का इस्तेमाल
हैरानी की बात यह है कि चतुर्वेदी ने टाउनशिप के लिए ज़मीन पाने के लिए बनाई गई आठ बेनामी कंपनियों और एलएलपी के एक संघ का इस्तेमाल किया. मामले की जांच करते समय आयकर जांच विंग के अधिकारियों ने पाया कि चतुर्वेदी और उनके सहयोगियों ने मेसर्स ट्रू लाइव होम्स प्राइवेट लिमिटेड (जिसे पहले मेसर्स हमसफर डीलर्स प्राइवेट लिमिटेड के नाम से जाना जाता था) इस नाम की कंपनी का इस्तेमाल 200 एकड़ के एकीकृत टाउनशिप लाइसेंस के लिए किया था.
सूत्रों के अनुसार शुरुआती योजना टाउनशिप के लिए 800 करोड़ रुपये के निवेश की थी. लखनऊ विकास प्राधिकरण (एलडीए) से आयकर विभाग ने जो जानकारी उठाई उसके मुताबिक मेसर्स ट्रू लाइव होम्स प्राइवेट लिमिटेड (जिसे पहले मेसर्स हमसफर डीलर्स प्राइवेट लिमिटेड के नाम से जाना जाता था) ने 20-07-2021 को लखनऊ के बक्कास और माधरमऊ खुर्द में 200 एकड़ भूमि पर एक एकीकृत टाउनशिप विकसित करने के लिए लाइसेंस देने के लिए आवेदन किया है.
एलडीए से जुटाए अभिलेखों से सामने आया कि 02.11.2022 की तारीख तक, मेसर्स हमसफर डीलर्स प्राइवेट लिमिटेड के नेतृत्व में एक संघ के माध्यम से, गाँव- माधरमऊ खुर्द और बक्कास में 54.1010 एकड़ जमीन अपनी सहयोगी कंपनियों के नाम पर अधिग्रहित कर ली आयकर अधिकारियों ने यह भी पाया कि एलडीए की तकनीकी समिति ने कुछ नियमों और शर्तों के साथ टाउनशिप प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है. हालांकि, मेसर्स ट्रू लाइव होम्स प्राइवेट लिमिटेड को एलडीए द्वारा अंतिम लाइसेंस जारी किया जाना बाकी है. इस बीच, आयकर कार्यवाही में रुचि रखने वाले पक्षों में से एक, नंदकिशोर चतुर्वेदी के करीबी रजत सहाय ने हाल ही में हाई कोर्ट में एक रिट याचिका दायर करके कुर्की की आयकर कार्रवाई को चुनौती दी है.
जालसाजी-धोखाधड़ी तथा टाउनशिप के लिए परमिशन
जानकारी के अनुसार, यूपी सरकार की हाई-टेक इंटीग्रेटेड टाउनशिप-2014 नीति के अनुसार, टाउनशिप लाइसेंस के लिए आवेदन करने हेतु न्यूनतम पात्रता के रूप में किसी व्यवसाय का टर्नओवर 50 लाख रुपये प्रति एकड़ और उस टर्नओवर का 20 प्रतिशत नेटवर्थ होना जरूरी है. मेसर्स ट्रू लाइव होम्स प्राइवेट लिमिटेड के नेतृत्व वाले कंसोर्टियम को 200 एकड़ के एकीकृत टाउनशिप के विकास के लिए न्यूनतम 100 करोड़ रुपये का टर्नओवर और 20 करोड़ रुपये की नेटवर्थ की जरूरत थी.
कंसोर्टियम के लिए टर्नओवर और नेटवर्थ का प्रमाण पत्र ऑडिटेड वित्तीय विवरणों के साथ पेश किया गया था और सीए निखिल भूत द्वारा टाउनशिप लाइसेंस आवेदन के लिए एलडीए को प्रस्तुत किया गया था. 31.03.2019 को समाप्त होने वाले वर्ष के लिए एलडीए के साथ प्रस्तुत वित्तीय विवरणों के विश्लेषण से, मेसर्स ट्रू लाइव होम्स प्राइवेट लिमिटेड का टर्नओवर 51.93 करोड़ रुपये बताया गया था, जबकि एमसीए फाइलिंग के साथ रिपोर्ट किए गए ऑडिटेड वित्तीय विवरणों में इसे 64.13 लाख रुपये बताया गया था. यह दर्शाता है कि समूह एलडीए के समक्ष लाइसेंस की आवश्यकता को पूरा करने के लिए गलत टर्नओवर प्रस्तुत कर रहा है. ऑडिट किए गए वित्तीय विवरणों के अवलोकन से पता चलता है कि एक चार्टर्ड अकाउंटेंट चंद्रकांत कोटियन द्वारा कई ऑडिट किए गए वित्तीय विवरणों पर हस्ताक्षर किए गए थे.
केवल कागजों पर ही मौजूद थीं कंसोर्टियम की संस्थाएं
आयकर विभाग ने संबंधित व्यक्तियों के बयान दर्ज किए और पाया कि कंसोर्टियम की संस्थाएं केवल कागजों पर ही मौजूद थीं और वे अपने रजिस्टर्ड पते पर कोई व्यावसायिक गतिविधि नहीं कर रही थीं. इन संस्थाओं को केवल अमरावती, पिंटेल समूह के लिए सुल्तानपुर रोड, लखनऊ में भूमि अधिग्रहण के एकमात्र उद्देश्य के लिए बनाया गया था और बाद में, इन संस्थाओं को बाद में अमरावती, पिंटेल समूह द्वारा औपचारिक रूप से अपने अधीन कर लिया जाना था. आवेदन पिंटेल इंफ्राकॉन एलएलपी के कर्मचारियों द्वारा दायर किए गए थे और एलडीए के साथ अनुवर्ती कार्रवाई भी पिंटेल इंफ्राकॉन के कर्मचारियों द्वारा की गई थी. कंसोर्टियम ने सहारा समूह की कंपनियों से भूमि का अधिग्रहण किया.
मेसर्स सिद्धिविनायक इंफ्राज़ोन एलएलपी नामक एलएलपी के बैंक स्टेटमेंट से पता चला है कि लेन-देन इसी एलएलपी के ज़रिए हुआ है. लेन-देन से पता चलता है कि बैंक खातों में पैसा मुंबई से आया और फिर वापस मुंबई स्थित खातों में भेज दिया गया. आयकर विभाग द्वारा दर्ज किए गए बयानों से पता चला है कि भूमि अधिग्रहण के लिए बनाई गई संस्थाएं केवल कागजों पर ही मौजूद हैं और वे अपने रजिस्टर्ड पते पर कोई व्यावसायिक गतिविधि नहीं कर रही हैं. इन संस्थाओं को केवल अमरावती, पिंटेल समूह के लिए सुल्तानपुर रोड, लखनऊ में भूमि अधिग्रहण के एकमात्र उद्देश्य के लिए बनाया गया थाय. बाद में, इन संस्थाओं को अमरावती, पिंटेल समूह द्वारा औपचारिक रूप से अपने अधीन कर लिया गया था.
आयकर अधिनियम, 1961 की धारा 132(4) के तहत शपथ पर अपना बयान दर्ज करने के दौरान, एलएलपी के निदेशक जितेंद्र प्रसाद वर्मा से उनके कंसोर्टियम संस्थाओं द्वारा अचल संपत्तियों की खरीद के संबंध में धन के स्रोत के बारे में पूछा गया. जवाब में, उन्होंने कहा कि धन का प्रबंधन रजत सहाय, रोहित सहाय, रवि प्रकाश पांडे और रजनीकांत मिश्रा द्वारा किया गया था.
उन्होंने आगे कहा कि उन्हें इन निधियों के स्रोत के बारे में कोई जानकारी नहीं है. जैसा कि उन्हें बताया गया है कि ये निधियाँ नंद किशोर चतुर्वेदी से प्राप्त हुई हैं, इसलिए, ऐसा प्रतीत होता है कि उनके नाम पर संस्थाओं का उपयोग अमरावती, पिंटेल समूह द्वारा नंद किशोर चतुर्वेदी के लिए बेनामी संपत्ति बनाने के लिए किया गया है. वर्मा चतुर्वेदी समूह और सहारा के बीच मध्यस्थ थे. वे अधिकांश एलएलपी में निदेशक थे, जिनमें जमीन खरीदी गई थी.
मथुरा का रहने वाला है नंदकिशोर
बता दें कि नंदकिशोर चतुर्वेदी उत्तर प्रदेश के मथुरा का रहने वाला है जो कि पेशे से चार्टर्ड अकाउंटेंट है. शुरू में चतुर्वेदी ने छोटे उद्योगपतियों को वित्तीय सलाह देने के काम से शुरुआत की थी और फिर धीरे-धीरे उसने हवाला ऑपरेशन में भी हाथ आजमाना शुरू कर दिया.