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'हमलावर आए, हम पुलिस को फोन करते रहे लेकिन...', मुर्शिदाबाद हिंसा के शिकार दास फैमिली की आपबीती

हिंसा में पिंकी दास और सेलिमा बीबी जैसे परिवारों के पारिवारिक नुकसान के बाद स्थानीय पुलिस की प्रतिक्रिया पर सवाल खड़े हो रहे हैं. पीड़ितों का आरोप है कि उन्होंने हिंसा के दौरान मदद के लिए पुलिस को कई फोन किए लेकिन रिस्पॉन्स नहीं मिला. अपने 21 वर्षीय पति को खोने वाली सेलिमा भी न्याय की मांग कर रही हैं.

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मुर्शिदाबाद हिंसा की तस्वीर
मुर्शिदाबाद हिंसा की तस्वीर

पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद जिले में शुक्रवार को नए वक्फ (संशोधन) अधिनियम के खिलाफ विरोध-प्रदर्शन हिंसा में बदल गई, और इसका नतीजा कई परिवारों को भुगतना पड़ा. हालात ऐसे थे कि लोगों ने जब इस तबाही के दौरान पुलिस से संपर्क करने की कोशिश की तो उन्हें कोई रिस्पॉन्स नहीं मिला. चश्मदीदों और स्थानीय लोगों ने बेबसी और पीड़ा की कहानी बयां की. मदद के लिए एक महिला की हताश चीख अब लोगों के कानों में गूंज रही है.

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हिंसा में कई लोगों की जान चली गई, बड़ी संपत्तियों का नुकसान हुआ और इलाके में तनाव का माहौल है. एक घर में पिंकी तो दूसरे घर में सेलिमा अपने पति को खोने के गम में डूबी हैं. पिंकी ने जहां अपने पति के साथ अपने ससुर को भी खो दिया, तो वहीं सेलिमा के 21 वर्षीय पति की पुलिस फायरिंग में मौत हो गई.

यह भी पढ़ें: मुर्शिदाबाद हिंसा का साजिशकर्ता कौन? SDPI और बांग्लादेश के चरमपंथी संगठन पर शक

हत्या के बाद तीन घंटे घर के बाहर रहा शव, किसी ने मदद नहीं की!

32 वर्षीय पिंकी दास ने सदमे और दुख से कांपती आवाज में हमले के दौरान अपनी आपबीती बयां की. उन्होंने बताया, "हमले शुरू होने के बाद हम पुलिस को फोन करते रहे. किसी ने जवाब नहीं दिया. मेरे पति और ससुर की हत्या करने के बाद भी, शव तीन घंटे तक हमारे घर के पास पड़े रहे."

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पिंकी कहती हैं कि, उनके पति 40 वर्षीय चंदन दास और उनके 70 वर्षीय ससुर हरगोबिंद दास को उग्र भीड़ ने बेरहमी से निशाना बनाया. हमलावरों ने बार-बार उनके घर में घुसकर तोड़फोड़ की, और पिंका ने बताया कि कैसे "युवाओं" के ग्रुप पड़ोस में चक्कर लगा रहे थे - घरों पर कच्चे बम फेंक रहे थे और पत्थर फेंक रहे थे.

पिंकी ने याद करते हुए कहा, "उन्होंने हमारे घर पर चार बार हमला किया. आखिरकार, वे लकड़ी के दरवाजे को तोड़ने में कामयाब रहे." बताया जा रहा है कि इस तरह के हालात न सिर्फ मेन मुर्शिदाबाद में बल्कि कुछ अन्य क्षेत्रों में भी देखने को मिला.

सेलिमा बीबी ने पति को खोया, पुलिस फायरिंग में लगी थी गोली!

काशिमनगर के गाजीपुर इलाके में, सेलिमा बीबी टूटे हुए घर के बाहर अपने इकलौते बच्चे को लेकर खड़ी थी. कुछ समय पहले ही उनकी 21 वर्षीय एजाज अहमद से शादी हुई थी और उनका एक बच्चा है. पति की मौत ने उनके दुख को और बढ़ा दिया, जो कथित तौर पर अराजकता से बचने की कोशिश करते समय पुलिस की गोलीबारी में मारे गए. एजाज के चाचा शाहिद शेख कहते हैं, "मौत के बाद कोई भी नेता या पुलिसकर्मी हमारे घर नहीं आया." 

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वक्फ कानून में केंद्र सरकार द्वारा किए गए संशोधन के खिलाफ पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद में शुक्रवार को विरोध-प्रदर्शन हुए, जहां कथित रूप से हिंसा भड़क गई. देखते ही देखते पूरे इलाके में दंगा फैल गया, जिसमें हमलावरों ने न सिर्फ लोगों को बल्कि पूरे गांव में संपत्तियों में तोड़फोड़ की. स्थानीय लोगों ने बताया कि भीड़ ने घरों पर हमले किए, खिड़कियां तोड़ीं, दरवाजे तोड़े, वाहनों में आगजनी की.

इस दौरान एक 24 वर्षीय पीड़ित स्रबोनी दास ने बताया कि कैसे दंगाइयों द्वारा घर में घुसने में विफल रहने के बाद उनके घर को भी आग लगा दी गई. स्रबोनी ने बताया, "उन्होंने (भीड़ ने) कमरों में तोड़फोड़ की, हमारे सामान को तोड़ दिया और विरोध करने पर घरों में आग लगा दी. दंगाइयों न कई घरों में आगजनी के अलावा; कार, मोटरसाइकिल और यहां तक की सरकारी बसों को भी आग के हवाले कर दिया गया.

स्थानीय लोगों ने बताया कि हिंसा के बाद भी मदद की अपील करने पर पुलिस प्रशासन से मदद नहीं मिली और अधिकारियों ने चुप्पी साध ली. पुलिस प्रशासन ने इमरजेंसी फोन कॉल्स के रिस्पॉन्स भी नहीं दिए. 

पिंका का परिवार असहाय, सेलिमा बीबी को चाहिए न्याय!

अपने पति और ससुर की क्रूर हत्या को देखने के आघात से उबर रहीं पिंकी दास हिंसा के बाद की खामोशी को याद करती हैं और कहती हैं, "हम अविश्वास में खड़े रह गए क्योंकि शव घंटों तक वहां पड़े रहे, कोई नहीं आया." उनकी बातों में उन स्थानीय लोगों को दर्द भी झलका जहां  लोग अपने घरों में तोड़फोड़ और आगजनी से बड़े नुकसान से जूझ रहे हैं.

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रिपोर्ट के मुताबिक, हिंसा में अपनी जान गंवाने वाले चंदन दास की मां और पिंकी दास की सास पारुल दास कहती हैं, "हम असहाय थे. मैं बच्चों को लेकर छत पर चली गई और वहीं छिप गई." वह बताती हैं कि बेटे चंदन राजमिस्त्री का काम करते थे और उनके पति किसान थे जिनके पास कुछ बिघा जमीन हैं.

सेलिमा बीबी का परिवार भी इसी तरह टूट गया है. एजाज अहम अपना भविष्य बनाने के लिए चेन्नई जाने की तैयारी में थे, लेकिन वह अब दुनिया से चले गए और अपने पीछे एक साल के बच्चे को छोड़ गए हैं. बताया जा रहा है कि उनकी मौत एनएच12 के साजुरमोर पर पुलिस फायरिंग में गोली लगने से हुई.

ईद के मौके पर वह अपने घर आए थे और अपने अंकल से मिलने इस्लामपुर गए थे. वापस लौटने के दौरान वह हिंसा की चपेट में आ गए और पुलिस फायरिंग में गोली लग गई. सेलिमा कहती हैं, "मुझे न्याय चाहिए. मेरे पति की उम्र बहुत कम थी."

हिंसा करने वाले जानवर हैं!

पारिवारिक नुकसान के बाद स्थानीय लोग डर के माहौल में हैं. कई लोगों ने अपनी चिंता जाहिर की जो बताते हैं कि हिंसा के बाद इलाके में रहने में खौफ हो रहा है, जहां लोग कहते हैं कि किसी भी वक्त हिंसा भड़क सकती है.

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एक स्थानीय कांग्रेस नेता ने कहा, "हम डरे हुए हैं और नहीं जानते कि हम कभी यहां फिर से रह पाएंगे या नहीं." जाफराबाद और काशिमनगर के पूरे इलाके में बड़े स्तर पर तोड़फोड़ की गई, और भीड़ ने दुकानों को लूटा, घरों में घुस गई और संपत्तियों को आग लगा दी. 

एक समय पर, टीएमसी विधायक अमीरुल इस्लाम और बीजेपी ब्लॉक संयोजक उत्तम कुमार दास पिंकी के क्षतिग्रस्त घर के पास एक साथ देखे गए. दोनों दलों के नेताओं में एकता के इस  दुर्लभ मौके पर, दोनों नेताओं ने क्रूरता की निंदा की और प्रभावित परिवारों को अपना समर्थन दिया. टीएमसी विधायक ने कहा, "जिन्होंने ऐसा किया वे जानवर हैं. हम परिवार के साथ खड़े हैं."

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