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अभी नहीं मिलेगी गर्मी से राहत, मानसून के थम जाने से जून में होगी 'सामान्य से कम' बारिश

IMD ने कहा है कि 1 जून को मानसून की शुरुआत के बाद से देश में सामान्य से 20 फीसदी कम बारिश हुई है, इस वजह से पूरे महीने में कुल वर्षा भी औसत से कम होगी. 12 से 18 जून के बीच मानसून में कोई प्रोग्रेस नहीं देखा गया.

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प्रतीकात्मक तस्वीर
प्रतीकात्मक तस्वीर

देशभर के कई राज्यों में भीषण गर्मी पड़ रही है। कई इलाकों में पारा 47 डिग्री को पार कर चुका है। उत्तर भारत के लोग गर्मी से सबसे ज्यादा त्रस्त हैं. इस बीच देश में मानसून को लेकर मौसम विज्ञान विभाग (IMD) ने एक बुरी खबर दी है. IMD ने कहा है कि 1 जून को मानसून की शुरुआत के बाद से देश में सामान्य से 20 फीसदी कम बारिश हुई है, इस वजह से पूरे महीने में कुल वर्षा भी औसत से कम होगी. विभाग ने कहा कि देश में मानसून पहुंचने के बाद अब यह धीमा हो गया है. कई राज्यों में बारिश तो हुई, लेकिन उसके बाद 12 से 18 जून के बीच मानसून में कोई प्रोग्रेस नहीं देखा गया. इसलिए इसके पहुंचने में देरी हो रही है.

इन राज्यों में जल्द पहुंचेगा मानसून
हालांकि, मौसम विभाग ने बताया कि अगले तीन से चार दिनों में महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़, ओडिशा, आंध्र प्रदेश के तटीय क्षेत्रों, उत्तर-पश्चिमी बंगाल की खाड़ी, बिहार और झारखंड के कुछ हिस्सों में मानसून आने की स्थिति बन रही हैं. मौसम विभाग ने बताया कि भारत में एक से 18 जून के बीच 64.5 मिमी बारिश हुई, जो लंबी अवधि के 80.6 मिमी के औसत (LPA) से 20 फीसदी कम है.

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कहां हुई कितनी बारिश?
1 जून से अब तक उत्तर-पश्चिम भारत में 10.2 मिमी बारिश (सामान्य से 70 फीसदी कम), मध्य भारत में 50.5 मिमी (सामान्य से 31 फीसदी कम), दक्षिण प्रायद्वीप में 106.6 मिमी (सामान्य से 16 फीसदी अधिक) और पूर्व तथा उत्तर-पूर्व भारत में 146.7 मिमी (सामान्य से 15 फीसदी कम) दर्ज की गई है. दक्षिण-पश्चिम मानसून 19 मई को निकोबार द्वीप समूह के कुछ हिस्सों में पहुंच गया था. इसके बाद 26 मई को चक्रवात रेमल के साथ ही मानसून दक्षिण के अधिकांश हिस्सों और बंगाल की खाड़ी के मध्य के कुछ हिस्सों तक पहुंचा था.
केरल और पूर्वोत्तर राज्यों में सामान्य से क्रमशः दो और छह दिन पहले 30 मई को मानसून ने दस्तक दे दी थी.

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यहां हो चुकी है मानसून की दस्तक
केरल, कर्नाटक, गोवा, आंध्र प्रदेश और तेलंगाना के सभी हिस्सों, दक्षिणी महाराष्ट्र के अधिकतर क्षेत्रों, दक्षिणी छत्तीसगढ़, दक्षिणी ओडिशा के कुछ भागों, उप-हिमालयी पश्चिम बंगाल के अधिकतर हिस्सों, सिक्किम और सभी पूर्वोत्तर राज्यों के अधिकांश हिस्सों में 12 जून तक मानसून दस्तक दे चुका था.

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IMD ने कहा, 'उपरोक्त क्षेत्रों तक पहुंचने के बाद मानसून आगे नहीं बढ़ा.' IMD ने बताया कि देश के 11 मौसम सब-डिवीजन में एक से 18 जून के बीच सामान्य से लेकर बहुत अधिक बारिश हुई है, जबकि 25 सब-डिवीजन में बहुत कम बारिश हुई. मौसम विभाग के अनुमान के मुताबिक, देश भर में जून में औसत बारिश सामान्य से कम होने की संभावना है.

इन राज्यों में सामान्य से अधिक बारिश होने की संभावना
IMD ने बताया कि दक्षिणी प्रायद्वीप के अधिकांश क्षेत्रों और पूर्वोत्तर भारत के कुछ हिस्सों में सामान्य से अधिक वर्षा होने की उम्मीद है, जबकि उत्तर-पश्चिम और आसपास के मध्य भारत के कई क्षेत्रों के साथ-साथ पूर्वोत्तर भारत के कुछ हिस्सों में सामान्य से कम वर्षा होने का अनुमान है. IMD ने मई के अंत में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा था कि देश में चार महीने के मानसून सीजन (जून से सितंबर) में सामान्य से अधिक बारिश हो सकती है, जिसमें कुल बारिश 87 सेमी एलपीए का 106 फीसदी रहने का अनुमान है.

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पूर्वोत्तर भारत में सामान्य से कम, उत्तर-पश्चिम में सामान्य और देश के मध्य और दक्षिण प्रायद्वीपीय क्षेत्रों में सामान्य से अधिक बारिश होने की उम्मीद है. मौसम विभाग ने कहा कि देश के अधिकांश वर्षा-आधारित कृषि क्षेत्रों को कवर करने वाले भारत के मुख्य मानसून क्षेत्र में इस मौसम में सामान्य से अधिक बारिश होने का अनुमान है.

जून और जुलाई को कृषि के लिए सबसे महत्वपूर्ण मानसून महीने माना जाता है, क्योंकि खरीफ फसल की अधिकांश बुवाई इसी अवधि के दौरान होती है. वैज्ञानिकों ने कहा कि मौजूदा समय में अल नीनो की स्थिति बनी हुई है और अगस्त-सितंबर तक ला नीना की स्थिति बन सकती है.

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