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Agnipath: सेना में चार साल के लिए भर्ती होंगे युवा, 'टूर ऑफ ड्यूटी' का अगले हफ्ते हो सकता है ऐलान !

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का ये ड्रीम प्रोजेक्ट है जिसके जरिए सेना में शामिल हो रहे जवानों की औसत उम्र कम करने का प्रयास रहेगा और रक्षा बलों के खर्चे में भी कमी लाई जाएगी. बताया जा रहा है कि योजना के तहत चार साल के लिए युवाओं (अग्निवीर) को सेना में भर्ती किया जाएगा. हालांकि, चार साल के बाद ज्यादातर जवानों को उनकी सेवा से मुक्त कर दिया जाएगा

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फाइल फोटो
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स्टोरी हाइलाइट्स
  • सेना में चार साल से लिए भर्ती किए जाएंगे जवान
  • चार साल के बाद 75% जवानों को किया जाएगा मुक्त
  • 25% निपुण जवान बने रहेंगे सेना में

नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार ने सेना में सुधारों को लेकर बड़े बदलाव की तैयारी कर ली है. बताया जा रहा है कि केंद्र सरकार अगले हफ्ते 'अग्निपथ भर्ती योजना' (Agnipath recruitment scheme) का ऐलान कर सकती है. पहले कहा जा रहा था कि आज इस योजना का ऐलान किया जा सकता है. इससे पहले तीनों सेनाओं के चीफ यानी थल सेना प्रमुख जनरल मनोज पांडे, एयरफोर्स चीफ एयर चीफ मार्शल वी आर चौधरी और नेवी चीफ एडमिरल आर हरि कुमार ने पिछले हफ्ते पीएम मोदी को इस योजना का प्रेजेंटेशन भी दिया था.

इस योजना के तहत सेना में युवा कम समय के लिए भर्ती हो सकेंगे. इस योजना को अग्निपथ स्कीम नाम दिया गया है. इसके तहत युवा चार साल के लिए सेना में शामिल हो सकते हैं और देश की सेवा कर सकेंगे. 

चार साल बाद सेवा से मुक्त कर दिए जाएंगे जवान

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का ये ड्रीम प्रोजेक्ट है जिसके जरिए सेना में शामिल हो रहे जवानों की औसत उम्र कम करने का प्रयास रहेगा और रक्षा बलों के खर्चे में भी कमी लाई जाएगी. बताया जा रहा है कि योजना के तहत चार साल के लिए युवाओं (अग्निवीर) को सेना में भर्ती किया जाएगा. हालांकि, चार साल के बाद ज्यादातर जवानों को उनकी सेवा से मुक्त कर दिया जाएगा 

चार साल के अंतराल के बाद जिन युवाओं को सेना की नौकरी से मुक्त किया जाएगा, उन्हें दूसरी जगह नौकरी दिलवाने में भी सेना एक सक्रिय भूमिका निभाएगी. तर्क दिया जा रहा है कि सेना में अगर कोई चार साल काम कर लेगा, तो उसकी प्रोफाइल मजबूत बन जाएगी और हर कंपनी ऐसे युवाओं को हायर करने में दिलचस्पी दिखाएंगी. 

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इसके अलावा सेना में 25 फीसदी जवान बने रह पाएंगे जो निपुण और सक्षम होंगे. हालांकि, ये भी तभी संभव रहेगा अगर उस समय सेना में भर्तियां निकलीं हों. इस प्रोजेक्ट की वजह सेना को करोड़ों रुपये की बचत भी हो सकती है. एक तरफ पेंशन कम लोगों को देनी पड़ेगी तो वहीं दूसरी तरफ वेतन में भी बचत हो जाएगी. 
 


 

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